मॉनसून में होगी झमाझम बारिश: स्काईमेट | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली April 12, 2022 | | | | |
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने आज कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 'सामान्य' रहने की उम्मीद है और दीर्घावधि औसत (एलपीए) की 98 फीसदी बारिश होने की संभावना है। यह अनुमान 5 फीसदी घट-बढ़ के साथ जाहिर किया गया है।
मॉनसून के चार महीनों जून से सितंबर के दौरान करीब 881 मिलीमीटर बारिश हो सकती है। एलसीए की 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश को 'सामान्य' माना जाता है। 2022 के मॉनसून का पहला विस्तृत आधिकारिक अनुमान जारी करते हुए स्काईमेट ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का पहला हिस्सा (जून और जुलाई) बाद वाले हिस्से (अगस्त और सितंबर) की तुलना में काफी बेहतर रहने की उम्मीद है।
मॉनसून अच्छा होने से कृषि पैदावार बेहतर होने की उम्मीद है, जिससे आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति का दबाव कुछ कम हो सकता है और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिंचाई में सुधार के बावजूद तकरीबन आधी कृषि योग्य भूमि बुआई-पैदावार के लिए मॉनसूनी बारिश पर निर्भर है।
भौगोलिक जोखिम के लिहाज से राजस्थान और गुजरात के साथ ही नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर इलाकों में मॉनूसन के दौरान कम बारिश के जोखिम का अनुमान है। इसके अलावा केरल और कर्नाटक के उत्तरी इलाकों में भी जुलाई और अगस्त के दौरान बारिश की कमी देखी जा सकती है। लेकिन खाद्यान्न का कटोरा माने जाने वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के कुछ इलाकों और मध्य प्रदेश में इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान है।
स्काईमेट ने यह भी कहा कि जून में एलपीए की 107 फीसदी बारिश होने की संभावना है और जुलाई में 100 फीसदी बारिश होने की उम्मीद है। अगस्त में देश भर में एलपीए की करीब 95 फीसदी बारिश हो सकती है और सितंबर में एलपीए की 90 फीसदी बारिश की संभावना है। एजेंसी ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने की संभावना 65 फीसदी, कम बारिश की संभावना 25 फीसदी और सामान्य से ऊपर बारिश की संभावना 10 फीसदी है। लेकिन इस साल सूखा पडऩे की कोई संभावना नहीं है।
स्काईमेट के मुख्य कार्याधिकारी योगेश पाटिल ने कहा, 'पिछले दो साल मॉनसून पर ला नीना का असर देखा गया था। ला नीना सर्दियों में तेजी से सिकुडऩा शुरू हो जाता है, लेकिन समुद्री हवाओं के कारण इसमें देर होती है। हालांकि यह अपने चरम पर पहुंच चुका है, ऐसे में प्रशांत महासागर में ला नीना मॉनसून आने तक शांत पड़ जाएगा। इसलिए मॉनसून को प्रभावित करने वाला अल नीनो पैदा होने की आशंका नहीं है।'
उन्होंने कहा कि हिंद महासागर डाइपोल तटस्थ है, लेकिन नकारात्मक झुकाव निधारित मार्जिन के करीब होने की प्रबलता है। हालांकि मॉनसून तटस्थ स्थिति (ईएनएसओ) से उबर जाएगा और मॉनूसन के दूसरे हिस्से के दौरान आईओडी से प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा। पाटिल ने कहा कि इससे मॉनूसन के दौरान मासिक बारिश के वितरण में काफी असमानता देखी जा सकती है।
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