नेपाल सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के मद्देनजर गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी है, जिसका असर भारत से होने वाले निर्यात पर पड़ सकता है। निर्यातकों ने पिछले हफ्ते कहा था कि नेपाल के केंद्रीय बैंक (नेपाल राष्ट्र बैंक) ने वहां के वाणिज्यिक बैंकों को निर्देश दिया था कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आ रही गिरावट थामने के लिए वे गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए उधार सुविधा पत्र (क्रेडिट लैटर) जारी न करें। नेपाल की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साइकल, मोपेड, चावल, सोना-चांदी, बिजली के उपकरणों आदि के आयात के लिए उधार पत्र जारी नहीं किया जाएगा। हाल के महीनों में नेपाल में आयात बढऩे से देश से काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा बाहर जा रही थी, जिससे आर्थिक संकट पैदा होने की चिंता बढ़ गई है। नेपाल दूतावास के एक अधिकारी ने आयात पर लगाए गए प्रतिबंध की पुष्टि की। हालांकि यह प्रतिबंध कितने समय तक रहेगा इस पर कोई टिप्पणी करने से उन्होंने इनकार कर दिया। भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच स्थानीय मुद्रा कारोबार की अनुमति दी गई है लेकिन नेपाल के पास आयात के लिए भुगतान करने के लिए पर्याप्त मात्रा में भारतीय रुपया नहीं है। भारतीय निर्यात संगठनों के संघ (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा कि निर्यातक चिंतित हैं और वे आयात प्रतिबंध पर नेपाल से आधिकारिक पुष्टि मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अधिकांश निर्यातकों को इसके बारे में पता नहीं है। श्रीलंका में घटनाक्रम देखने के बाद नेपाल सतर्क हो रहा है और यही कारण है कि वहां आयात सीमित किए जा रहे हैं। अभी तक हमारे पास इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है कि आयात के लिए किन सामानों को अनुमति नहीं दी जाएगी। कई देशों (जैसे श्रीलंका) में जैसे हालात बन रहे हैं ऐसे में निश्चित रूप से वैश्विक कारोबार को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है और यही चिंता का एक बड़ा कारण है।' वाहन उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि नेपाल में आयात पर रोक से फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भविष्य में नए अनुबंधों के मामले में चुनौती खड़ी हो सकती है। वाहन उद्योग के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वाहन और इसके कलपुर्जों को भी प्रतिबंधित गैर-जरूरी वस्तुओं की सूची में शामिल किया गया है। हालांकि आयात के लिए मौजूदा उधार पत्र पहले की तरह ही नेपाल में मान्य होंगे। ऐसे में भारत से होने वाले निर्यात पर हाल-फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अभी उधार पत्र उपलब्ध हैं। उधार पत्र वित्तीय अनुबंध या दस्तावेज होता है, जो विक्रेताओं को खरीदारों की ओर से भुगतान की गारंटी प्रदान करता है। समस्या नए अनुबंध की होगी, जिसके लिए नए उधार पत्र की जरूरत होगी। उक्त अधिकारी ने कहा कि इस निर्णय का मकसद नेपाल में जून में शुरू होने वाले बजट सत्र से पहले व्यापार संतुलन के घाटे को कम करना है। हमें लगता है कि यह अस्थायी उपाय है। भारत हर साल नेपाल को 60 से 70 करोड़ डॉलर मूल्य के वाहन और कलपुर्जे निर्यात करता है। मूल्य के लिहाज से कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है। भारतीय इंजीनियरिंग एवं निर्यात संवद्र्घन परिषद के सूत्रों ने कहा कि वह अभी इस प्रतिबंध के प्रभाव का आकलन कर रहा है। इस बारे में कोई टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगा। पहले यह समझना होगा कि किन उत्पादों के आयात पर रोक लगाई गई है। निर्यात के मामले में नेपाल भारत का नवां सबसे प्रमुख ठिकाना है। 2021 में भारत से 9.6 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया गया था और कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 2 फीसदी से अधिक थी। नेपाल भारत का 29वां सबसे बड़ा व्यापरिक साझेदार है और नेपाल में भारत विदेशी निर्यात का सबसे बड़ा स्रोत और अग्रणी भागीदार है। 2021-22 के पहले 11 महीने में दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। नेपाल में भारतीय दूतावास के अनुसार नेपाल में वस्तुओं के व्यापार में भारत की हिस्सेदारी दो-तिहाई और सेवाओं में करीब एक-तिहाई है। नेपाल के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत की हिस्सेदारी एक-तिहाई है। करीब 100 फीसदी पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति भारत से ही होती है और भारत में रहने वाले पेंशनभोगी, पेशेवर तथा श्रमिक काफी मात्रा में पैसे वहां भेजते हैं। एशियाई विकास बैंक ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण तेल की ऊंची कीमतें होने से आयात बिल और बढ़ेगा साथ ही नेपाल का व्यापार संतुलन बिगडऩे की भी संभावना है। इसमें चेतावनी देते हुए कहा गया, 'इन घटनाओं की वजह से चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी के 9.7 फीसदी तक बढऩे का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2021 में 8.0 फीसदी तक था।'
