पूंजीगत व्यय के लक्ष्य से चूक सकती है सरकार | असित रंजन मिश्र / नई दिल्ली April 10, 2022 | | | | |
सरकार की तरफ से आर्थिक रिकवरी को तेज करने के लिए पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) को प्रमुखता दिए जाने के बावजूद लगता है कि केंद्र 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय के लक्ष्य से चूक गया। लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों से पता चलता है कि आवंटित 6 लाख करोड़ रुपये में से फरवरी तक केवल 80.6 फीसदी ही खर्च हो पाया।
एक ओर जहां दिसंबर में मासिक पूंजीगत व्यय 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया वहीं उसके बाद के महीनों में इसमें बड़ी गिरावट देखी गई और फरवरी में यह केवल 43,495 करोड़ रुपये रह गया। वित्त मंत्रालय मंत्रालयों ओर विभागों को अपने पूंजीगत लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है। इसको लेकर सरकार का मानना है कि निजी खपत में मजबूत रिकवरी की अनुपस्थिति में सरकार की तरफ से अधिक खर्च किए जाने पर निजी निवेश को आकर्षित किया जा सकता है।
पूंजीगत व्यय करने में पीछे छूट गए विभागों और मंत्रालयों में फरवरी तक दूरसंचार विभाग ने 59 फीसदी, विदेश मंत्रालय ने 68 फीसदी, आर्थिक मामलों के विभाग ने 39 फीसदी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 57 फीसदी और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 1 फीसदी खर्च किया जो कि उपलब्ध संसाधनों से बहुत कम है।
रेल मंत्रालय ने 82 फीसदी और सडक़ परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने 82 फीसदी खर्च किया जबकि सबसे अधिक पूंजीगत व्यय आवंटन इन्हीं मंत्रालयों को हुआ था। ये मंत्रालय भी अपने वर्ष भर के लक्ष्य से चूक सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023 के अपने बजट में पूंजीगत व्यय में 35.4 फीसदी का इजाफा कर इसे 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया। इसे महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को सार्वजनिक निवेश के जरिये उबारने की कोशिश को जारी रखने के तौर पर देखा गया।
केंद्र सरकार के मंत्रालयों द्वारा पूंजीगत व्यय पर दबावों को महसूस करते हुए सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023 में 1.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजीगत व्यय में से 1 लाख करोड़ रुपये राज्यों को ऋण के तौर पर दिए जिसे उन्हें साल भर में पूंजीगत व्यय के तौर पर इस्तेमाल करना था।
शुक्रवार को सीएनबीसी-टीवी18 की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 के लिए उनकी प्राथमिकता बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करना है और वह सुनिश्चित करेंगी कि राज्यों को बुनियादी ढांचा परिव्यय का उनका हिस्सा प्राप्त हो।
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