नए बीमा कारोबार में 100 प्रतिशत एफडीआई संभव! | शुभमय भट्टाचार्य / नई दिल्ली April 10, 2022 | | | | |
बीमा नियामक बीमा कारोबार में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे सकता है जिसका मकसद इस क्षेत्र के दायरे में विस्तार करना है। फिलहाल, बीमा कवर अंकन करने वाली कंपनियों में एफडीआई की ऊपरी सीमा 74 फीसदी है।
ग्राहकों और बीमा कंपनियों को आपस में जोडऩे वाले दलाल और अन्य जैसे बीमा मध्यस्थों के लिए 100 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के नए चेयरमैन देवाशिष पांडा ने पिछले हफ्ते मुंबई में बीमा उद्योग के एक कार्यक्रम में कहा कि वह एक ऐसी योजना पर काम करना चाहते हैं जिसके तहत भारत के बीमा बाजार में नई कंपनियों के प्रवेश को सक्षम करने के लिए एक ढांचा तैयार किया जाए। इसमें विशेष जोर वैश्विक निवेशक पर दिया जाना चाहिए ताकि देश में एफडीआई की आवक में बढ़ोतरी की जा सके।
पांडा ने इसके बारे में बहुत कुछ नहीं बोला लेकिन एक सूत्र ने इस वक्तव्य का विश्लेषण करते हुए कहा कि उनके कहने का आशय बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी को और अधिक विस्तार देने के लिए विकल्प खड़ा करने से है जिसमें मौजूदा संयुक्त उद्यमों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
विदेशी निवेशकों की हमेशा से शिकायत रही है कि वे भारत में अपने संयुक्त उद्यमों में अपने बीमा कारोबार का विस्तार करने में समक्ष नहीं हैं। ऐसा भारतीय साझेदार की ओर से सीमित पूंजी के निवेश के कारण होता है। उद्योग के अंदर के लोगों के मुताबिक मौजूदा कंपनियों के लिए निवेश की ऊपरी सीमा को 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करना मुश्किल काम होगा। लेकिन नियामक बीमा कंपनियों के नए प्रकारों को चिह्निïत कर सकता है जहां पर वह विदेश मंत्रालय को विदेशी पूंजी के स्वतंत्र आवक की अनुमति देने को कह सकता है बशर्ते कि कारोबार के दायरे को उदार तरीके से विश्लेषित किया जाए।
पांडा ने अपने संबोधन में बीमा के नए प्रकारों के संबंध में कुछ संकेत दिए हैं।उन्होंने कहा कि नियामक बीमा क्षेत्र में कैप्टिव बीमाकर्ताओं, एकल सूक्ष्म बीमाकर्ताओं, आला कंपनियों और क्षेत्रीय कंपनियों के प्रवेश की सुविधा प्रदान करेगा।
बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि अगस्त 2021 से बीमा कंपनियों के लिए एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 74 फीसदी की जाएगी। देसी कंपनियों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एफडीआई की सीमा को धीरे धीरे बढ़ाकर 26 फीसदी से 49 फीसदी और अब 74 फीसदी किया गया है। इसमें कई वर्ष का वक्त लगा है। इस कदम का विशेष तौर पर अमेरिका के कारोबारी चैंबरों द्वारा स्वागत किया था जहां पर बीमा कंपनियों की मजबूत उपस्थिति है।
सामान्य बीमा कंपनी रहेजा क्यूबीई के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रवीण गुप्ता ने कहा, ‘देश में बीमा के प्रसार के दायरे को फैलाने के लिए संयुक्त उद्यम व्यवस्थाओं में नई सोच को जगह देने की जरूरत है।’ केंद्र सरकार को उम्मीद है कि एफडीआई की सीमा में वृद्घि से देश में बीमा कारोबार को विस्तारित करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। खास तौर पर इसका लाभ अद्र्घ ग्रामीण क्षेत्रों में होगा जहां पर मांग तो ऊंची है लेकिन कवरेज कम है।
देश में 24 जीवन बीमा कंपनियों और 34 गैर-जीवन बीमा कंपनियों की उपस्थिति के बावजूद 16 वर्ष में देश में बीमा की पहुंच में केवल एक प्रतिशत अंक की वृद्घि हुई है। 2001 में यह 2.7 फीसदी थी जो 2017 में बढक़र 3.7 फीसदी हुई। इसका वैश्विक औसत 7.33 है।
जीवन बीमा क्षेत्र के लिए मौजूदा विदेशी निवेश नियमों में गुंजाइश के अधिकंश हिस्से का इस्तेमाल नहीं हुआ है।
मार्च 2019 तक जब केवल 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति थी तब समग्र विदेशी निवेश केवल 35.49 फीसदी था। गैर-जीवन कारोबार, पुनर्बीमा और एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के लिए एफडीआई के इस्तेमाल की दर बदतर है।
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