एनएफओ में ठहराव से इक्विटी प्रवाह प्रभावित होने के आसार | चिराग मडिया / मुंबई April 10, 2022 | | | | |
नई फंड पेशकशों (एनएफओ) पर तीन महीने के प्रतिबंध से 39 लाख करोड़ रुपये का घरेलू म्युचुअल फंड उद्योग प्रभावित हो सकता है। जहां इक्विटी एनएफओ से उद्योग को 2021-22 में हरेक तिमाही में करीब 11,000 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली, वहीं उद्योग के जानकारों का मानना है कि एसआईपी में तेजी की वजह से यह प्रवाह मजबूत बना रहेगा।
एक प्रख्यात फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘जब तक समस्याएं नहीं सुलझ जातीं, तब तक कोई नई योनजा शुरू नहीं करेंगे। इसका निश्चित तौर पर एनएफओ पेश करने की योजना बना रहे फंड हाउसों पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि हम यह नहीं मान रहे हैं कि उद्योग के लिए पूा मासिक प्रवाह प्रभावित होगा, क्योंकि एसआईपी संबंधित बहीखाता अभी भी काफी मजबूत बना हुआ है।’
इक्विटी योजनाओं में कुल प्रवाह फरवरी 2022 में समाप्त 11 महीने की अवधि के लिए 1.35 लाख करोड़ रुपये था। इस अवधि के दौरान एनएफओ के जरिये जुटाई गई पूंजी 45,344 करोड़ रुपये थी। इस बीच, एसआईपी ने 1.12 लाख करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह दर्ज किया। पिछले चार महीनों में, एसआईपी प्रवाह हर महीने 11,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का रहा। ज्यादातर एसआईपी प्रवाह इक्विटी सेगमेंट से जुड़ा हुआ है।
विश्लेषकों का कहना है कि एनएफओ के अभाव में, फंड हाउस मौजूदा योजनाओं को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अलावा मार्च के निचले स्तर से बाजार में भारी तेजी आई है जिससे निवेशक धारणा मजबूत होगी।
फंड हाउस के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, ‘बाजार मार्च के निचले स्तरों से करीब 15 प्रतिशत चढ़ा है। अपने एसआईपी और एकमुश्त निवेश से जुड़े रहे निवेशकों को बड़ा फायदा मिला है। इससे नियमित निवेश की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। एनएफओ में छोटे निवेशकों को आकर्षित करने की संभावना होती है। हालांकि उद्योग की मौजूदा उत्पाद प्रोफाइल काफी अव्यवस्थित है, क्योंकि निवेशकों के लिए सभी विकल्प उपलब्ध हैं।’
बाजार कारोबारियों का कहना है कि वे इसे लेकर स्थिति स्पष्टï होने का इंतजार कर रहे हैं कि बाजार नियामक सेबी के नियम से उन योजनाओं पर कितना असर पड़ेगा जो पहले ही नियामक की मंजूरी हासिल कर चुकी हैं।
उद्योग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, ‘अक्सर फंड हाउसों को सेबीकी मंजूरी के बाद एनएफओ पेश करने के लिए 6 महीने का समय मिलता है। इसे लेकर स्थिति अभी भी स्पष्टï नहीं है कि क्या सेबी से पहले ही मंजूरी मिलने के बाद भी फंड अपने एनएफओ के साथ आगे बढ़ सकते हैं या नहीं। हमें उम्मीद है कि यह समस्या जल्द ही सुलझ जाएगी।’
सूत्रों का कहना है कि उद्योग संबद्घ चिंताएं दूर होने के बाद जल्द ही नई योजनाएं पेश करने में सक्षम होगा।
भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, ‘4 अक्टूबर के सर्कुलर के प्रभावी क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मने इस अवधि के दौरान एनएफओ ठंडे बस्ते में डालने पर सहमति जताई है। हमें विश्वास है कि एनएफओ जल्द ही पटरी पर लौटेंगे।’ पिछले साल जारी एक सर्कुलर में सेबी ने कहा था कि फंडों या शेयर ब्रोकरों द्वारा यूनिट की पूलिंग को एमएफ लेनदेन के लिए बंद किया जाना चाहिए।
नियामक ने उद्योग से इसे 1 अप्रैल से लागू करने को कहा था। उद्योग इन बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं था, जिसे देखते हुए सेबी ने उसे 1 जुलाई तक का समय दिया है। मौजूदा समय में फंडों या एमएफ योजनाओं की यूनिट शेयर ब्रोकरों या क्लियरिंग सदस्यों के पूल अकाउंट के जरिये ग्राहकों के खातों या क्लियरिंग निगम/परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के खाते से जुड़ी होती हैं।
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