अप्रैल-जुलाई में होगा 30 से 35 लाख टन गेहूं निर्यात | एजेंसियां/भाषा / नई दिल्ली April 08, 2022 | | | | |
विश्व बाजार में गेहूं की बढ़ती मांग के कारण अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान व्यापारियों ने 30 से 35 लाख टन गेहूं निर्यात को लेकर अनुबंध किए हैं। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने आज यह जानकारी दी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश का गेहूं निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 70 लाख टन को पार कर गया, जबकि वित्तवर्ष 2020-21 में यह निर्यात 21.55 लाख टन था। पांडे ने संवाददाताओं से कहा, 'व्यापार जगत का अनुमान है कि इस साल अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान लगभग 30-35 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए अनुबंध किया गया है।' उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि गेहूं की अधिकतम मात्रा का निर्यात गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से किया जाएगा क्योंकि इन राज्यों की बंदरगाहों से निकटता है और वहां आसानी से इनका निर्यात किया जा सकता है। सचिव के अनुसार नतीजतन, निजी व्यापारी इन राज्यों से निर्यात के लिए गेहूं खरीद रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय कीमतें और बढ़ती हैं तो व्यापारी हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों से अनाज खरीद सकते हैं।
उन्होंने कहा कि निजी व्यापारियों द्वारा निर्यात के लिए गेहूं खरीद के कारण सरकारी खरीद में कमी आ सकती है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि, सरकार नियमित रूप से स्थिति पर नजर रखे हुए है। पिछले हफ्ते, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश का गेहूं निर्यात 100 लाख टन के स्तर को पार कर सकता है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कई देश भारत और अन्य देशों से गेहूं खरीद रहे हैं। रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने उनके गेहूं के निर्यात को कम कर दिया है।
सरकार वैश्विक बाजार में गेहूं की ऊंची कीमतों की स्थिति का फायदा लेने के लिए गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। भारत विश्व में गेहूँ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
80 लाख टन से ज्यादा हो सकता है चीनी निर्यात
सितंबर में समाप्त होने वाले चल रहे विपणन वर्ष 2021-22 में भारत का चीनी निर्यात 80 लाख टन पार होने की संभावना है। पांडेय ने कहा कि देश का चीनी निर्यात इस विपणन वर्ष में पिछले साल के स्तर को पार कर जाएगा। 2020-21 विपणन वर्ष के दौरान देश ने 72.3 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। ज्यादातर निर्यात सरकार की सब्सिडी की मदद से किया गया था। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। इस विपणन वर्ष में चीनी का निर्यात बगैर सब्सिडी के हो रहा है। पांडेय ने कहा कि इस साल हम 80 लाख टन के आंकड़े को पार करेंगे और पिछले साल के स्तर को भी पार कर जाएंगे। आल इंडिया शुगर ट्ऱेड एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक चीनी मिलों ने इस साल अक्टूबर 2021 से 7 अप्रैल 2022 के बीच कुल 58.10 लाख टन चीनी निर्यात किया है। इसमेंं से 49.60 लाख टन चीनी मिलों और मर्चेंट निर्यातकों ने सीधे निर्यात किया है और 8,5 लाख टन चीनी की डिलिवरी भारतीय रिफाइनरियों किया गया है, जिसे डीम्ड एक्सपोर्ट माना जाता है। ब्राजील के बाद भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
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