रूस के खिलाफ प्रतिबंधों से हालात नाजुक होने के आसार | मनोजित साहा / मुंबई April 08, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन पर हमले की वजह से रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंधों से स्थिति नाजुक होगी। प्रतिबंधों को लेकर घरेलू व्यापारियों से रुपया-रूबल की बढ़ रही मांग के बीच इस तरह स्थिति चिंताजनक होगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, 'आयातकों और निर्यातकों को समस्याएं हैं। दोनों ने सरकार और आरबीआई का प्रतिनिधित्व किया है। हम सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं।'
हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि रुपया-रूबल व्यापार मांग को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, 'हम प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं और हालात पर नजर रख रहे हैं। इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जब भी कोई निर्णय लिया जाएगा, आपको इसके बारे में बताया जाएगा।'
फरवरी 2022 के आखिर में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद, यूरोपीय देशों और अमेरिका ने मॉस्को के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि भारत की रूस पर ज्यादा व्यापार निर्भरता नहीं है, लेकिन नीति निर्माताओं ने रूसी कंपनियों द्वारा छूट की पेशकश किए जाने के बाद कच्चे तेल आयात के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।
रूस-यूक्रेन युद्घ की वजह से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें वर्ष 2014 के बाद से पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गईं। यदि कच्चे तेल की कीमतें ऊपर बनी रहती हैं तो अपनी कुल कच्चे तेल जरूरत में से करीब 80 प्रतिशत का आयात करने वाले भारत को मुद्रास्फीति और चालू खाता घाटे के संदर्भ में ऊंची लागत का सामना करना पड़ेगा।
डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने भी दास के विचारों पर सहमति जताते हुए कहा, 'हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो प्रतिबंधों के खिलाफ हो।' उन्होंने कहा, 'युद्घ से सभी हितधारक प्रभावित हुए हैं। हम सभी हितधारकों के बारे में बात कर रहे हैं और प्रतिबंधों को लेकर सतर्क बने हुए हैं।'
रूस द्वारा कच्चे तेल की कीमतों पर 25-27 प्रतिशत की छूट दिए जाने के बाद इंडियन ऑयल ने रोसनेफ्ट से 30 लाख बैरल, जबकि बीपीसीएल और एचपीसीएल ने रूस की सरकारी कंपनी से 20-20 लाख बैरल तेल खरीदने का सौदा कर लिया।
आरबीआई ने कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल पर निर्धारित की है, जबकि उपभोक्ता कीमत मुद्रास्फीति और चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्घि के अनुमान जताए हैं। जहां चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्घि अनुमान केंद्रीय बैंक द्वारा घटाए गए थे, वहीं मुद्राफीति में संशोधन किया गया था।
|