छोटे फंड हाउस की बाजार हिस्सेदारी कम | सचिन मामबटा / मुंबई April 07, 2022 | | | | |
परिसंपत्तियों के लिहाज से निचले पायदान वाले म्युचुअल फंडों की बाजार हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है जबकि उद्योग में बढ़ोतरी होती रही है और बड़ी कंपनियों ने ज्यादातर परिसंपत्तियां हासिल की हैं।
निचले पायदान वाले 10 म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी मार्च 2022 में परिसंपत्तियों के अनुपात के तौर पर घटकर 20 आधार अंक रह गई है, जो मार्च 2016 में 62 आधार अंक थी। पिछले कुछ वर्षों में इनमें लगातार गिरावट दर्ज हुई है और यह जानकारी उद्योग निकाय एम्फी के आंकड़ों के विश्लेषण से मिली। इसकी तुलना में 10 अग्रणी म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी कमोबेश स्थिर बनी रही है, हालांकि ट्रेंड ने उन्हें साल 2016 के मुकाबले व्यापक तौर पर ऊंचे स्थान पर बनाए रखा है। ये कंपनियां भारतीय म्युचुअल फंडों में होने वाले हर 10 रुपये के निवेश में से आठ रुपये का प्रबंधन कर रही हैं।
बंधन बैंक ने नौवीं सबसे बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधक कंपनी का अधिग्रहण कंसोर्टियम के साथ किया है। आईडीएफसी म्युचुअल फंड के पास मार्च 2022 में समाप्त तिमाही में औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 1.2 लाख करोड़ रुपये की थी। यह बैंंक को परिसंपत्ति प्रबंधन के क्षेत्र में पांव जमाने का मौका देगा।
कोलकाता मुख्यालय वाले बैंक ने शुरू में माइक्रोफाइनैंस संस्थान के तौर पर परिचालन किया था। उसे साल 2014 में यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस मिला। यह इकाई देश के पूर्वी इलाके में बैंंकिंग सेवा के अभाव वाले क्षेत्र में सेवाएं देती है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है, बैंंक ने उन राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है जहां औपचारिक वित्त का मामला काफी कमजोर था। इसके अतिरिक्त पूर्वी बाजारों के बैंक सेवा अभाव वाले क्षेत्रों में ज्यादातर प्रतिस्पर्धी सेकेंडरी लेंडर हैं और बंधन बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से वर्चस्व की स्थिति में है। राज्यवार आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि म्युचुअल फंडों के लिहाज से भी इस क्षेत्र में काफी गुंजाइश है। उद्योग की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में पूर्वी इलाके का योगदान 10 फीसदी से भी कम है। इस विश्लेषण में बिहार, झारखंड, ओडिशा, सिक्किम और पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया। मार्च 2022 में परिसंपत्तियों में इस क्षेत्र का योगदान 6.1 फीसदी था। महामारी से पहले यह ज्यादा था और दिसंबर 2019 में यह 7.7 फीसदी के स्तर पर था।
भारत में परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग का संकेंद्रण अभी बहुत ज्यादा नहीं है। हालांकि नवंबर 2020 के रुटगर्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट मेंं कहा गया है कि ज्यादा संकेंद्रण निवेशकों पर असर डाल सकता है।
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