पीई, वीसी फंडों को कर नोटिस | |
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 04 07, 2022 | | | | |
आयकर विभाग ने पाया है कि कई बड़े वैश्विक फंड हाउस और निजी इक्विटी फंडों ने मॉरीशस, सिंगापुर और साइप्रस के साथ कर संधियों का दुरुपयोग किया है और कम आय दिखाई है। कर अधिकारियों ने पिछले हफ्ते कम से कम 14 फंड हाउसों को कर आकलन आदेश जारी किया है और उन पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू की है।
पिछले वित्त वर्ष में इन फंड हाउसों को पुन: आकलन करने का नोटिस भेजकर 2013-14, 2014-15 और 2015-16 आकलन वर्ष में आय की गणना में अनियमितता पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था। विभाग ने इन इकाइयों के खिलाफ पुराने आकलन के मामले को फिर से खोला है। आकलन आदेश आयकर कानून की धारा 144सी के तहत जारी किए गए थे।
एक आदेश की अंतिम टिप्पणी को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने देखा है, जिसमें कहा गया है, 'आकलनकर्ता के खाते में भारत-मॉरीशस के बीच दोहरे कराधान निषेध संधि के तहत प्रस्तावित कर लाभ का दुरुपयोग किया गया है और आयकर कानून, 1961 के प्रावधानों के तहत आय पर कर देनदारी से बचने का प्रयास किया गया है।' आदेश में आगे कहा गया है कि भारतीय कंपनी की गैर-सूचीबद्घ शेयरों को दूसरी इकाई में हस्तांतरण पर दीर्घावधि पूंजी लाभ को आकलनकर्ता की आय में जोड़ा गया है और उस पर आयकर कानून की धाा 112(1)(सी) के प्रावधानों के तहत कर का प्रस्ताव किया गया है। आदेश में उल्लेख किया गया है कि उनके पास साक्ष्य हैं कि परिचालन प्रबंधन विदेश में बैठकर समूचा निर्णय ले रहे थे जबकि कंपनी वहां पंजीकृत नहीं थी। इसमें कहा गया है, 'निवेशक ने अपने न्यायिक क्षेत्र से सीधे तौर पर भारत में निवेश किया है तो पूंजी लाभ पर भारत में कर देनदारी बनेगी। इसलिए ऐसे करदाता संधि के तहत लाभ का दावा नहीं कर सकते और यह स्पष्ट तौर पर कर संधि का उल्लंघन है।' आदेश के मसौदे में 10 फीसदी पूंजी लाभ कर और ब्याज का प्रस्ताव किया गया है। एक सूत्र ने बताया कि कम दिखाई गई कुल आय पर जुर्माने के साथ कर 50 फीसदी तक होता है।
आदेश का मसौदा आम तौर पर इसके जारी होने के 30 दिन के अंदर कर विभाग के विवाद निपटान समिति के पास जाता है। उसके बाद विभाग आकलनकर्ता पर कर मांग को अंतिम रूप देता है। इन फंड हाउसों पर 500 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त कर देनदारी होने का अनुमान है।
पीडब्ल्यूसी में पार्टनर भवीन शाह ने कहा, 'भारत-मॉरीशस कर संधि के तहत पूंजीगत लाभ छूट को वापस लिए जाने के बाद मौजूदा निवेश की रक्षा के लिए निवेश समुदाय के हित सरकार का कदम व्यावहारिक कदम है। हालांकि कर संधि के लाभ से इनकार करने का हालिया रुख चिंताजनक है और सरकार के कर निश्चिंतता मुहैया कराने के उद्देश्य के विपरीत है।'
क्या है मामला?
वित्त वर्ष 2022 में कम दिखाई गई आय के लिए आयकर कानून की धारा 148 के तहत आकलन नोटिस जारी किया गया था। इसके प्रावधान के तहत 50 लाख रुपये या इससे अधिक आय छिपई गई है तो कर अधिकारी
10 साल तक पुराने मामलों की जांच कर सकते हैं। संबंधित आकलन वर्षों के दौरान भारत में निवेश करने वाली ज्यादातर प्राइवेट इक्विटी फर्मों ने मॉरीशस और साइप्रस के जरिये निवेश किया है। कर विभाग यह जानना चाहता है कि इन फर्मों ने सीधे तौर पर भारत में क्यों नहीं निवेश किया। उनके अनुसार कहीं ऐसा कर संधि का बेजा लाभ उठाने के मकसद से तो नहीं किया गया है।
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