संयुक्त कंपनी को कोष की कम लागत का लाभ | मनोजित साहा / April 06, 2022 | | | | |
बीएस बातचीत
एचडीएफसी के वाइस-चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी केकी मिस्त्री ने मनोजित साहा को बताया कि एचडीएफसी बैंक के साथ विलय के विकल्प पर पहले से ही विचार किया जा रहा था, लेकिन अब विभिन्न कारकों की वजह से इसके फायदों को समझना जरूरी हो गया है। पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश:
एचडीएफसी ने अपनी पहचान समाप्त करने का निर्णय क्यों लिया?
यह पहचान समाप्त करने का सवाल नहीं है। एचडीएफसी होल्डिंग कंपनी थी और बैंक एक अलग इकाई थी। समय के हिसाब से हमने फिर से विलय की संभावना पर विचार किया। पिछले समय में ये सब बदलाव कई वजहों से अनुकूल नहीं थे। अब नकदी आरक्षी अनुपात/ (सीआरआर/एसएलआर) जरूरतें घटी हैं,ब्याज दरें नीचे आई हैं, बाजार में प्राथमिक क्षेत्र के उधारी पत्र मौजूद हैं, नियामकीय व्यवस्था को अनुकूल बनाया गया है। एनपीए दर्ज करने की प्रक्रिया समान है। विलय हमेशा से लाभकारी समझा जाता रहा है, क्योंकि एक मंच पर आपको सभी उत्पाद मिले हैं। एचडीएफसी बैंक में आवासीय ऋण मुहैया कराने की सुविधा नहीं है। लेकिन बैंक के पास ऐसे बहुत सारे ग्राहक हैं जो आवासीय ऋण चाहते हैं। अब बैंक ग्राहक से आवेदन लेता है और उन्हें हमारे कार्यालय भेजता है। हम यह निर्णय लेते हैं क्या ग्राहक को ऋण दिया जाए या नहीं। अब ये ऋण एचडीएफसी बैंक की बैलेंस शीट पर उपलब्ध होंगे। एचडीएफसी के सभी कर्मचारी बैंक में शामिल हो जाएंगे।
किफायती आवास खंड एचडीएफसी के लिए मुख्य सेगमेंट था। क्या यह बना रहेगा?
एचडीएफसी बैंक का किफायती आवास क्षेत्र पर समान रूप से ध्यान बना रहेगा।
क्या एचडीएफसी बैंक ग्राहकों को बेहतर ब्याज दरें मुहैया करा सकेगा?
हमारे पास 8.1 प्रतिशत का लागत-आय अनुपात है। बैंकों के लिए यह 30 प्रतिशत से ज्यादा है। यदि हम दोनों कंपनियों को एकीकृत करते हैं तो बैंक लगातार ऋण हासिल कर सकेगा, क्योंकि उसके पास बड़ा वितरण प्लेटफॉर्म उपलब्ध है। एचडीएफसी को प्रोसेसिंग में गहन दक्षता हासिल है। बैंक को एचडीएफसी की प्रोसेसिंग ताकत तक पहुंच हासिल होगी। वहीं हम इसे कम परिचालन लागत पर करेंगे। संयुक्त इकाई को कोषों की
कम लागत और कम परिचालन खर्च का लाभ मिलेगा।
क्या आप दोनों संगठनों के मानव संसाधन को समेकित करने में किसी तरह की चुनौतियां देख रहे हैं?
नहीं, क्योंकि समेकन काफी आसान है। एचडीएफसी के 3,500 कर्मचारी हैं और उन्हें बैंक में समेकित करना आसान है। तथ्य यह है कि एचडीएफसी बैंक के पास आवासीय ऋण प्लेटफॉर्म नहीं है जिससे यह सब और ज्यादा आसान हो गया है।
क्या इससे एनबीएफसी के बैंकों के साथ विलय को लेकर विलय-अधिग्रहणों की लहर शुरू होगी?
मैं ऐसा नहीं मानता। मेरा मानना है कि एनबीएफसी के कायाकल्प की राह चुनौतीपूर्ण होगी। उन्हें लगातार परिचालन करना होगा।
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