कपड़ा मिल में काम करने वाले संभाजी सुर्वे अपने परिवार के साथ कई सालों तक महज 110 वर्गफुट वाले घर में रहे लेकिन अब बड़े घर में जाने का उनका सपना जल्द ही पूरा हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार जल्द ही दक्षिण मध्य मुंबई के झुग्गी-झोपडिय़ों वाले पिछड़े इलाके कमाठीपुरा के पुनर्विकास की महत्त्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू कर सकती है जो करीब 39 एकड़ के दायरे में फैला हुआ है। उनके साथ-साथ अन्य 8,000 परिवारों के बेहतर तरीके से रहने का सपना पूरा हो सकता है जब पुरानी बस्तियों के पुनर्विकास की योजना के तहत इस परियोजना पर भी काम होगा और निश्चित तौर पर कुछ निवासियों के रहने के लिए अच्छा माहौल बनेगा। शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बीडीडी चाल और धारावी के पुनर्विकास की योजना बनाई है लेकिन सुर्वे के लिए कमाठीपुरा अहम है जहां वह 1970 के दशक में एक कपड़ा मिल में काम करने के लिए नाशिक से पहुंचे थे। मुंबई के सात द्वीपों को जोडऩे की कवायद के बाद कमाठीपुरा 150 साल पहले बना था। ब्रितानी हुकूमत से लेकर आजादी के बाद तक यह झुग्गी-झोपडिय़ों और कोठा वाले इलाके के नाम पर बदनाम रहा। सुर्वे को इसकी वजह से कोई दिक्कत नहीं है। वह कहते हैं, 'यौनकर्मी अपनी रोजीरोटी के लिए ऐसा काम करती हैं। हम यहां रहते हैं लेकिन काम करने दूसरी जगह जाते हैं, हमें कोई दिक्कत नहीं है।' इस वक्त यहां यह भी चिंता जताई जा रही है कि पुनर्विकास के नाम पर यहां से यौनकर्मियों को हटाने की योजना है लेकिन सरकार के सूत्रों का कहना है कि उन्हें मुंबई के बाहरी इलाके में मीरा रोड पर ले जाया जा रहा है। कमाठीपुरा शहर के मुख्य जगह में एक प्रमुख रियल एस्टेट बनने जा रहा है। हाल ही में राज्य के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने घोषणा की है कि तीन महीने के भीतर 'कमाठीपुरा टाउनशिप' परियोजना की शुरुआत हो जाएगी। हालांकि मुंबई ने हमेशा ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के वित्तीय केंद्रों मसलन शांघाई, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के साथ प्रतिस्पद्र्धा करने का लक्ष्य रखा है लेकिन बढ़ती आबादी, झुग्गियों वाले इलाके और भूमि संसाधनों की कमी की वजह से यह अन्य वैश्विक केंद्रों से प्रतिस्पद्र्धा करने में पीछे हैं। हालांकि आमलोगों को आवास मुहैया कराने का सपना पूरा करने के लिए वास्तविक समाधान तभी निकलेगा जब पोर्ट ट्रस्ट, रक्षा बलों और अन्य सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं से जमीन को मुक्त किया जाए। रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि कमाठीपुरा में 16 लेन और 500 इमारतें हैं जिनमें करीब 3,858 कमरे और 778 दुकानें हैं। संजय लीला भंसाली की हिंदी फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' हाल ही में रिलीज हुई जो गंगूबाई की जिंदगी पर बनी फिल्म है। वह कमाठीपुरा क्षेत्र की बदनाम बस्तियों में बेहद ताकतवर मानी जाती थीं। इस फिल्म की वजह से भी कमाठीपुरा और इसकी तंग गलियां सुर्खियों में है। इस क्षेत्र में करीब 8,000 किरायेदार और 800 मकान मालिक रहते हैं। इस क्षेत्र के पुनर्विकास के बाद किरायेदारों को 40 लाख वर्गफुट का क्षेत्र और मकान मालिकों को 400,000 वर्गफुट का क्षेत्र मिलेगा। इस परियोजना के तहत कुल क्षेत्र का विकास छह संकुल के दायरे में किया जाना है। इस टाउनशिप में एक सेंट्रल पार्क, जिम, खुली जगह और आवासीय टावर होगा जिनमें उनके खेलने की जगह, प्ले स्कूल और अन्य सुविधाएं होंगी। मुंबादेवी से विधायक अमीन पटेल का कहना है कि यहां पुनर्वास के साथ-साथ बिक्री के विकल्प भी होंगे। पटेल ने कहा, 'विचार यह है कि लोगों को सस्ते मकान दिए जाएं। आपको शहर के मुख्य क्षेत्र में कहां 1.5 करोड़ रुपये में अपार्टमेंट मिलता है?' दो बेडरूम वाले अपार्टमेंट की लागत 2.5 करोड़ रुपये से लेकर 3.5 करोड़ रुपये के बीच है। पटेल ने कहा कि जो लोग 300 वर्गफुट से कम क्षेत्र वाले मकान में रह रहे हैं उन्हें 508 वर्गफुट का दो बेडरूम वाला अपार्टमेंट मिलेगा और सुर्वे को भी इसका ही इंतजार है। कमाठीपुरा पुनर्निर्माण समिति के कोषपाल सचिन कार्पे इस बात पर सहमति जताते हैं कि यह प्राइम लोकेशन वाली जगह है। वह कहते हैं, 'जब आपको बेहतर कीमत पर मुंबई के मुख्य इलाके में अच्छा घर मिल जाता है तब आपको और क्या चाहिए?' टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी संजय दत्त कहते हैं कि परियोजना पर समय पर काम पूरा होना चाहिए और इसमें स्थानीय निवासियों को कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए। दत्त कहते हैं, 'लोगों को बेहतर जिंदगी देना राज्य सरकार के लिए अहम है। चाहे पोर्ट ट्रस्ट, नौसेना, थलसेना की जमीन या धारावी हो सबका पुनर्विकास ही भविष्य है। कमाठीपुरा अधिक अहम इस वजह से है क्योंकि यहां के समुदाय की जिंदगी पर इसका सीधा असर पडऩे वाला है।' अन्य लोगों की तरह ही उन्हें भी उम्मीद है कि इससे लोगों के बीच खाई कम होगी जिस पर कुछ डेवलपर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि उनका क्षेत्र मुंबई के लक्जरी, मध्यम और प्रीमियर सेगमेंट पर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शहर के रियल एस्टेट बाजार पर पुनर्विकास योजना का क्या असर पड़ेगा जो दुनिया में सबसे महंगा है। कमाठीपुरा से ही कुछ लाख वर्गफुट रियल स्टेट मिलेंगे। वर्ली, नायगांव में और लोअर परेल में बीडीडी चाल के पुनर्विकास से करीब 10,000 मकान तैयार होंगे जिसे एमएचएडीए बाजार की दर पर बेचेगी और यह अनुमानत: 2 करोड़ रुपये प्रति अपार्टमेंट से कहीं ज्यादा हो सकता है। नाइट फ्रैंक में कार्यकारी निदेशक गुलाम जिया ने कहा, 'यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगा कि आपूर्ति बाजार में किस तरह जारी होगी और ये सभी परियोजनाएं कम से कम आधी दशक तक चलेंगी। अगर अन्य बाजार इन्वेंट्री की तरह आपूर्ति नियंत्रित रहेगी तब कीमतें भी नियंत्रित की जा सकती हैं।' जिया ने कहा कि संपत्ति की कीमतों में गिरावट की तभी आशंका होगी जब बड़ी तादाद में अपार्टमेंट खरीदे जाएंगे।
