2025-26 तक प्रतिफल अनुपात सुधरने की उम्मीद | निकिता वशिष्ठ / नई दिल्ली April 05, 2022 | | | | |
निवेशकों ने सोमवार को बाजार में आई शानदार तेजी के बाद मंगलवार को एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में मुनाफावसूली की। मंगलवार को एचडीएफसी का शेयर 2 प्रतिशत गिर गया जबकि एचडीएफसी बैंक में मंगलवार को 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। तुलनात्मक तौर पर, बीएसई का सेंसेक्स 0.8 प्रतिशत की गिरावट पर बंद हुआ।
इन दोनों कंपनियों के शेयरों में सोमवार को 10 प्रतिशत तक की तेजी आई थी। एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक विलय की खबरों के बाद इन शेयरों में शानदार तेजी दर्ज की गई थी। इस दोनों कंपनियों के विलय से बाजार पूंजीकरण के लिहाज से उन्हें भारत की एक सबसे बड़ी ऋणदाता दिग्गज बनने में मदद मिलेगी।
जारी किए गए प्रस्ताव के आधार पर विलय वाले एचडीएफसी बैंक की कुल अग्रिमें करीब 18 लाख करोड़ रुपये होंगी और भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसका अंतर घट गया है, जिसकी कुल अग्रिमें दिसंबर 2021 के अंत में 26.66 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गई थीं।
विश्लेषकों का कहा है कि हालांकि विलय से लाभ के साथ साथ नियामकीय अनुपालन की लागत जैसी चिंताएं बनी हुई हैं। आइए जानते हैं इस सौदे के बारे में ब्रोकरों की राय:
मॉर्गन स्टैनली
प्रस्तावित विलय वाली इकाई की बैलेंस शीट 330 अरब डॉलर की होगी। एचडीएफसी बैंक की ऋण बुक 41 प्रतिशत बढ़कर करीब 230 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा, जो पूरे बैंकिंग व्यवस्था के ऋणों का 15 प्रतिशत है। बेहद महत्वपूर्ण यह है कि रिटेल ऋण बुक की भागीदारी मौजूदा 40 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 50 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगी।
मैक्वेरी
हमारा मानना है कि इस विलय का क्षेत्र पर प्रत्यक्ष असर दिखेगा, क्योंकि इससे प्रतिस्पर्धी तीव्रता बढ़ी है। साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ है कि बड़ी एनबीएफसी को बैंकों में तब्दील करने पर जोर रहेगा, क्योंकि बैंकों और एनबीएफसी के बीच नियामकीय अंतर अनुकूल हुआ है।
आईसीआईसीआई सिक्यो.
जहां एचडीएफसी लिमिटेड को बैंक के कम फंडिंग खर्च से फायदा होगा, वहीं एचडीएफसी बैंक को मॉर्गेज क्षेत्र में उत्पाद दक्षता हासिल होगी और उसे लागत/आय अनुपात घटाने में मदद मिलेगी। एचडीएफसी लिमिटेड के ग्राहक आधार तक प्रत्यक्ष पहुंच के साथ बैंक के लिए बेहतर बिक्री अवसरों से वृद्घि को भी मदद मिलेगी। प्रस्तावित सौदे से असुरक्षित ऋणों से संबंधित एचडीएफसी का जोखिम अनुपात घटेगा।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज
एचडीएफसी के नजरिये से यह सौदा सकारात्मक है, क्योंकि ऋण वृद्घि हाल के वर्षों में घटी है। यह विलय ऐसे समय में हुआ है जब बैंक का आकार एचडीएफसी लिमिटेड के मुकाबले बड़ा है और मूल्यांकन अनुकूल है। इसलिए इस अधिग्रहण के बाद बैंक के व्यवसाय के लिए मध्यावधि परिदृश्य सकारात्मक रहने की संभावना है।
एमके ग्लोबल
प्रस्तावित विलय के तहत, एचडीएफसी लिमिटेड की गैर-उधारी सहायक इकाइयां (बीमा और एएमसी समेत) बैंक में शामिल होंगी। हालांकि आरबीआई की नीति के अनुसार, बैंक को मौजूदा बीमा कंपनी में अपनी हिस्सा घटाकर 30 प्रतिशत करना होगा और नए बीमा व्यवसाय में अधिकतम 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति है। इस तरह से, बैंक को एचडीएफसी लाइफ समेत बीमा व्यवसाय में अपनी हिस्सेदारी बेचनी होगी।
निर्मल बांग
हालांकि यह आपसी तालमेल आकर्षक लग रहा है, लेकिन हमारा मानना है कि इससे कई चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं, जिनमें एसएलआर/सीआरआर/पीएसएल अनुपालन लागत मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं बैंक के लिए पैरा-बैंकिंग व्यवसाय में बड़ी हिस्सेदारी रखने के संबंध में आरबीआई की सख्ती मुख्य चिंता होगी।
इसके अलावा विलय पूरा होने पर बैंक की अतिरिक्त तरलता मौजूदा स्तरों से बढऩे की संभावना है, क्योंकि इस संबंध में आरबीआई के नियमों पर अमल किए जाने की जरूरत होगी। परिचालन खर्च अनुपात में सुधार के लिए संभावना को देखते हुए बैंक वृद्घि और ग्राहक जोडऩे के प्रयास में आक्रामक तौर पर निवेश कर सकता है जिससे लागत/आय अनुपात घटकर सिर्फ 33-35 प्रतिशत पर सीमित रह सकता है।
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