एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के बीच विलय कुछ म्युचुअल फंड योजनाओं के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी में संयुक्त इकाई का भारांक करीब 14 फीसदी रहने की संभावना है। इसका मतलब यह हुआ कि ऐक्टिव योजनाओं को इस शेयर पर अंडरवेट रहना पड़ सकता है क्योंकि पोर्टफोलियो में एकल शेयर का निवेश 10 फीसदी तक सीमित करना होगा। इसके अतिरिक्त वैयक्तिक फंड हाउस की सीमा नरम हो सकती है, जो एक निश्चित सीमा से ऊपर शेयर खरीदने से रोकता है, मसलन योजना की कुल होल्डिंग का 5 फीसदी या 7.5 फीसदी। इसका मतलब यह भी हुआ कि फंड मैनेजरों को उस समय इस शेयर के उम्दा प्रदर्शन में भागीदारी का मौका नहीं मिलेगा जब उसका भारांक 10 फीसदी से ज्यादा हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि लार्जकैप योजनाएं (जो मोटे तौर पर बाजार कीमत के लिहाज से 100 अग्रणी शेयरों में निवेश पर ध्यान केंद्रित करती है) को एचडीएफसी द्वय के ज्यादा भारांक का नुकसान झेलना पड़ सकता है। ये योजनाएं सूचकांकों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर सकती हैं जब तक कि भारांक 10 फीसदी से नीचे या उसके करीब नहीं होता है। विशाखित इक्विटी योजनाओं के जरिए मोटे तौर पर 45 से 60 शेयरों में निवेश किया जाता है। ऐसे में मौजूदा समय में असर शायद बहुत ज्यादा नहीं होगा। लेकिन इन दोनों शेयरों में तेजी आने वाले समय में समस्या बढ़ा सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज अभी एकमात्र ऐसा शेयर है जिसका भारांक सेंसेक्स व निफ्टी में 10 फीसदी से ज्यादा है। दिसंबर 2021 की शेयरधारिता के मुताबिक, देसी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड समेत म्युचुअल फंडों के पास एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंंक में क्रमश: 9.41 फीसदी व 14.98 फीसदी हिस्सेदारी थी। फरवरी 2022 के आखिर में एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंंक में म्युचुअल फंडों का कुल निवेश क्रमश: 46,000 करोड़ रुपये व 1.02 लाख करोड़ रुपये था। वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
