देश की दो प्रमुख कोविड-19 टीका विनिर्माताओं - सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक (बीबी) ने कोविड के टीकों का उत्पादन रोक दिया है। इसके बजाय ये विनिर्माता गैर-कोविड टीकों पर ध्यान केंद्र्रित करेंगी। देश में लगाई गई कोविड-19 की टीका खुराकों में इन दोनों फर्मों ने संयुक्त रूप से 98 प्रतिशत से अधिक का योगदान किया है। देश में अब तक कोविशील्ड की 1.51 अरब खुराक और कोवैक्सीन की 30 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं, जिससे देश में दी गई कुल 1.84 अरब खुराक में इनका योगदान 98.36 प्रतिशत बैठता है। हालांकि अब टीकाकरण की मांग में कमी होने की वजह से इन दोनों ही कंपनियों ने अपने सुविधा केंद्रों में कोविड-19 के इंजेक्शनों का उत्पादन रोक दिया है। सूत्रों ने इस बात का संकेत दिया कि केंद्र सरकार की ओर से कोई नए ऑर्डर नहीं हैं और उनकी आपूर्ति की प्रतिबद्धता 31 मार्च तक खत्म हो चुकी है। एसआईआई ने अपने पुणे स्थित सुविधा केंद्र में कोविशील्ड की लगभग 25 करोड़ खुराक जुटा ली हैं, जबकि भारत बायोटेक ने कहा है कि वह आपूर्ति की अपनी सारी प्रतिबद्धता पूरी कर चुकी है। एसआईआई ने दिसंबर में इस बात का संकेत दिया था कि वह कोविशील्ड के उत्पादन को आधा कर रही है, क्योंकि उसके पास अपने सुविधा केंद्रों में 50 करोड़ खुराक का स्टॉक है। इनमें से आधा स्टॉक तैयार खुराकों का था, जबकि शेष थोक खुराकें थीं, जिन्हें फॉर्मूलेशन में तब्दील नहीं किया गया था। एसआईआई के करीबी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि अब कंपनी कोविशील्ड के टीकों का विनिर्माण नहीं कर रही है, क्योंकि उसके पास घरेलू और निर्यात मांग, दोनों के लिए ही पर्याप्त स्टॉक है। इस बीच बीबी के करीबी सूत्रों ने कहा कि हैदराबाद स्थित यह टीका विनिर्माता अब पोलियो, रेबीज के लिए टीके बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिन्हें वह महामारी फैलने से पहले बना रही थी। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में कोवैक्सीन के जितने भी बैच का उत्पादन हो रहा है, उसे पूरा किया जाएगा और आगे भेज दिया जाएगा। टीका विनिर्माण में 120 दिन लगते हैं। इसके बाद जब तक हमारे पास निश्चित ऑर्डर नहीं होंगे, तब तक कोवैक्सीन का कोई उत्पादन नहीं होगा। बीबी ने कोवैक्सीन बनाने के लिए हैदराबाद, बेंगलूरु, अंकलेश्वर और यहां तक कि पुणे में भी अपने संयंत्रों को नए रूप से तैयार किया था। बीबी जीएसके के प्लास्मोडियम फाल्सीपैरम मलेरिया टीके (आरटीएस, एस/एएस01ई अस्थायी तौर ब्रांडेड मोस्किरिक्स) के लिए विनिर्माण स्थल स्थापित करने के लिए काम कर रही है, जिसे यह अफ्रीकी देशों के लिए बना रही है। दुनिया की सबसे बड़ी टीका विनिर्माता एसआईआई कोविड -19 के टीकों की मांग कम होने के बाद अपनी स्थापित क्षमता के दोबारा इस्तेमाल के लिए योजना पर काम कर रही है। अगले कुछ महीनों से लेकर एक साल में मलेरिया, निमोनिया और एचपीवी के विरुद्ध जैसी प्रमुख टीका पाइपलाइन का उत्पादन होने की संभावना है और इससे क्षमता उपयोग को भी मदद मिलेगी। फिलहाल एसआईआई के पास कोविड और गैर-कोविड दोनों ही टीकों की करीब तीन अरब खुराकों की सालाना विनिर्माण क्षमता है। मार्च 2019 में कंपनी के पास करीब 1.5 अरब खुराक की स्थापित क्षमता थी। इसने पिछले दो साल में इसने अपने पुणे संयंत्र में विनिर्माण क्षमता को दोगुना कर लिया है। टीका उद्योग के एक वरिष्ठ अनुभवी व्यक्ति ने कहा कि आम तौर पर टीका कंपनियां अपने ऑर्डर के अनुसार विभिन्न प्रकार के टीके बनाने के लिए अपने मौजूदा सुविधा केंद्रों का पुनप्र्रबंधन करती हैं। टीका सुविधा केंद्र आम तौर पर काफी लचीले होते हैं। तैयार टीकों का या थोक रूप से भंडार तैयार किया जा सकता है और उसी उत्पादन लाइन को अन्य टीकों के निर्माण के लिए भी काम में लिया जा सकता है। एसआईआई को उम्मीद है कि इसके मलेरिया टीका उम्मीदवार का उत्पादन इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा। अभी यह अफ्रीका में क्लीनिकल परीक्षण के तीसरे चरण मेंं है और वर्ष 2023 तक इस टीके का लाइसेंस मिलने की उम्मीद है। इस घटनाक्रम के एक करीबी सूत्र ने कहा कि इसी वजह से इस साल के अंत तक एसआईआई में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय ने आर21/मैट्रिक्स-एम का निर्माण करने के लिए एसआईआई के साथ साझेदारी की हुई है। लाइसेंस मिलने के बाद एसआईआई इस टीके की हर साल 20 करोड़ से ज्यादा खुराक की आपूर्ति करेगी।
