कर बचाने की बात आती है तो अब भी बड़ी तादाद में लोगों को लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) की याद आती है। वास्तव में पीपीएफ अच्छा साधन है क्योंकि इसमें सालाना 7.1 फीसदी प्रतिफल मिलता है और उस पर किसी तरह का कर भी नहीं लगता। सरकार के समर्थन वाली स्थिर आय योजनाओं को गिनें तो केवल कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और सुकन्या समृद्घि योजना ही पीपीएफ के मुकाबले अधिक कर मुक्त प्रतिफल देती हैं। ईपीएफ पर फिलहाल 8.1 फीसदी प्रतिफल मिल रहा है और सुकन्या समृद्घि पर सरकार 7.6 फीसदी प्रतिफल दे रही है। लेकिन जो वेतनभोगी नहीं हैं और जिनके बेटी भी नहीं है, उनके पास पीपीएफ के अलावा कोई सरकार समर्थित निवेश साधन नहीं रह जाता। मगर पीपीएफ में निवेश करते समय यह जरूर ध्यान रखें कि अधिक से अधिक प्रतिफल हासिल करने के लिए रकम किस समय जमा करनी चाहिए। किसी भी साल 5 अप्रैल तक निवेश कर देने से आपको सबसे अधिक प्रतिफल मिलेगा। कैसे होता है ब्याज का हिसाब पीपीएफ खाते में किसी भी वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 1.5 लाख रुपये डाले जा सकते हैं। किसी भी महीने में कम से कम 500 रुपये डाले जा सकते हैं, उससे कम नहीं। ब्याज का मामला थोड़ा पेचीदा है। पंजीकृत निवेश सलाहकारों के संघ (एआरआईए) के निदेशक मंडल के सदस्य दिलशाद बिलिमोरिया बताते हैं, 'पीपीएफ पर ब्याज हर महीने कमाया जाता है मगर उसे साल के आखिर में ही पीपीएफ खाते में भेजा जाता है।' मगर पेच कहां है? पेच यह है कि महीने की 5 तारीख से महीने के आखिर तक खाते में जिस दिन सबसे कम रकम होती है, उसी दिन का ब्याज लगा दिया जाता है। बैंकबाजार के मुख्य कार्य अधिकारी आदिल शेट्टी अधिकतम ब्याज कमाने का तरीका समझाते हैं। वह कहते हैं, 'पीपीएफ खाते में जो भी रकम डालनी है, वह महीने की 5 तारीख से पहले ही जमा कर देनी चाहिए ताकि उस महीने का ब्याज जुड़ जाए।' अगर आप 5 तारीख के बाद रकम जमा करते हैं तो उस महीने आपको उस पर एक पाई भी ब्याज नहीं मिलेगा क्योंकि 5 तारीख को खाते में मौजूद कम रकम पर ही ब्याज की गणना कर ली जाएगी। 5 के बाद जमा की गई रकम पर ब्याज अगले महीने जोड़ा जाएगा।देर करके ब्याज न गंवाएं अगर आप एकमुश्त मोटी रकम पीपीएफ खाते में डालना चाहते हैं तो यह काम 5 अप्रैल से पहले ही कर डालें। पैसाबाजार डॉट कॉम के वरिष्ठ निदेशक गौरव अग्रवाल की सलाह है, 'पीपीएफ में निवेश करने का सबसे अच्छा समय वित्त वर्ष की शुरुआत में होता है। अगर उस समय रकम डाल दी जाए तो जमा रकम पर निवेशक को पूरे साल का ब्याज मिल सकता है।' मान लीजिए कि आपके पीपीएफ खाते में 31 मार्च, 2021 को 15 लाख रुपये थे। किसी भी साल में ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं और आपने यह समूची रकम 3 अप्रैल को अपने खाते में डाल दी। इस तरह 3 अप्रैल को आपके पीपीएफ खाते में कुल 16.5 लाख रुपये हो गए। जाहिर है कि 5 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच खाते में कम से कम 16.5 लाख रुपये रहना तय है। इसलिए अप्रैल के महीने में आपको 16.5 लाख रुपये पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा, जो 9,762 रुपये होगा। अब मान लीजिए कि आप यही रकम 3 अप्रैल के बजाय 7 अप्रैल को डालते हैं। तो 5 अप्रैल को आपके खाते में 15 लाख रुपये ही होते और 5 से 30 अप्रैल के बीच किसी भी दिन की न्यूनतम रकम भी यही रहती, जिस वजह से आपको इसी रकम पर ब्याज मिलता। इस तरह आपको 1.5 लाख रुपये का निवेश करने के बावजूद अप्रैल में बतौर ब्याज 8,875 रुपये ही मिलते। यानी पीपीएफ खाते में रकम जमा करने में महज कुछ दिन की देर से आपको उस महीने में 888 रुपये कम ब्याज मिलेगा। ब्याज में 888 रुपये की कमी आपको मामूली लग सकती है। मगर ध्यान रखिए कि पीपीएफ में 15 साल के लिए निवेश किया जाता है और आप इसकी अवधि आगे भी बढ़ा सकते हैं। जाहिर है कि इसमें चक्रवृद्घि ब्याज लगता है और लंबी अवधि तक हर साल अप्रैल में ब्याज में कमी होने पर चक्रवृद्घि प्रभाव की वजह से आप 15 या 20 साल में खासी रकम गंवा देती हैं। मतलब साफ है, मामूली सी चूक करेंगे तो आपको अच्छी खासी रकम से हाथ धोना पड़ेगा। मगर जिनके पास अप्रैल में एकमुश्त निवेश के लिए मोटी रकम नहीं है और जो हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करते हैं, उनका क्या? अग्रवाल के मुताबिक उन्हें भी 5 तारीख का ध्यान रखना चाहिए। वह कहते हैं, 'आप पीपीएफ में किस्तों में निवेश करते हों तो भी हर महीने की 5 तारीख तक किस्त जमा कर दें ताकि आपको अपने निवेश पर ज्यादा से ज्यादा प्रतिफल हासिल हो सके।'निवेश महफूज, प्रतिफल भी खूब रिटायरमेंट जैसे दीर्घकालिक निवेश पोर्टफोलियो में भी आपको स्थिर आय वाली निवेश योजना शामिल करनी चाहिए और निवेश में स्थिरता चाहिए तो पोर्टफोलियो का कम से कम 20 फीसदी हिस्सा या उससे भी अधिक इसी में लगना चाहिए। पोर्टफोलियो के इस हिस्से में ईपीएफ और पीपीएफ जैसी निवेश योजनाएं शामिल होनी चाहिए। ईपीएफ की बात करें तो इसमें साल में केवल 2.5 लाख रुपये का निवेश ही कर मुक्त रहता है। इससे अधिक धनराशि डाली जाएगी तो उस पर आयकर स्लैब के मुताबिक कर काटा जाएगा। सुकन्या समृद्घि योजना के जरिये कर मुक्त प्रतिफल भी वे लोग ही हासिल कर सकते हैं, जिनके बेटी है। जिनका अपना रोजगार है यानी जिन्हें ईपीएफ की सुविधा नहीं मिल सकती, उनके लिए पीपीएफ और भी जरूरी हो जाता है। पीपीएफ की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। एआरआईए के बोर्ड सदस्य दिलशाद बिलिमोरिया कहते हैं, 'निवेशक पीपीएफ खाते की अवधि बढ़वा भी सकते हैं और जब तक चाहें, 5-5 साल के लिए इसमें बढ़ोतरी करा सकते हैं। हम यही करने की सलाह भी देते हैं। आप जितनी बार भी अवधि बढ़वाएं, एक बार में 5 साल का ही इजाफा हो सकता है।' हां, एक बात ध्यान रखिए। पीपीएफ आपको कर बचाने में और रिटायरमेंट तथा लंबी अवधि के दूसरे लक्ष्य पूरे करने के लिए व्यवस्थित तरीके से निवेश करने का मौका तो दे सकता है मगर आप केवल इसी के भरोसे नहीं बैठ सकते। बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, 'पीपीएफ पर 7.1 फीसदी की दर से ही ब्याज दिया जा रहा है। अगर महंगाई की दर देखें तो यह प्रतिफल उससे बमुश्किल 1 फीसदी ही अधिक है। इससे साफ है कि इस प्रतिफल की मदद से आप मोटी रकम तो जमा नहीं कर सकते।' फिर क्या किया जाए? इसका जवाब शेयर बाजार से मिल सकता है। सलाहकार मानते हैं कि अगर 7 साल या उससे अधिक अवधि के लिए निवेश किया जा रहा है तो शेयरों में अच्छा-खासा निवेश किया जाना चाहिए।
