जिंस कीमतों में तेजी की वजह से टायर सेक्टर वाहन कलपुर्जा खंड में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है। इस क्षेत्र के शेयरों की आय में सर्वाधिक प्रति शेयर आय (ईपीएस) गिरावट और रेटिंग में कमजोरी दर्ज की गई है। प्रख्यात टायर क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में जनवरी के ऊंचे स्तरों से 17 प्रतिशत और 30 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है। हालांकि पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान इनमें कुछ सुधार देखने को मिला है। सभी क्षेत्रों में कच्चे माल की लागत की आय संबंधित कमजोरी को देखते हुए आईआईएफएल रिसर्च के जीवी गिरि के नेतृत्व वाले विश्लेषकों ने टायर कंपनियों को उस सूची में शीर्ष पर रखा है जो ज्यादा जोखिम से जुड़ी हुई है। उनका कहना है कि सिएट, अपोलो टायर्स और एमआरएफ पर ईपीएस प्रभाव 56 से 114 प्रतिशत के दायरे में रहा और 23 फरवरी से शेयर उतने ज्यादा नहीं गिरे हैं। कच्चे माल से संबंधित जोखिम कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों पर निर्भरता को देखते हुए अन्य के मुकाबले टायरों के लिए ज्यादा है। टायरों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, जैसे रबर, इस्पात सिंथेटिक रबर, और कार्बन ब्लैक की कीमतों में भारी तेजी आई है। रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख मितुल शाह ने कहा, 'करीब 50 प्रतिशत कच्चा माला कच्चे तेल की कीमतों से संबंधित है। इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा तक की तेजी आई है जिससे टायर कंपनियों के लिए समान लागत वृद्घि को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन हमले और रूसी उत्पादों पर प्रतिबंधों से भी ऊंची कीमतें कुछ समय तक बनी रहेंगी जिससे इन कंपनियों पर लागत प्रभाव बना रहेगा।' इन शेयरों पर दबाव अगली कुछ तिमाहियों के दौरान मार्जिन को कितना प्रभावित करेगा, इसे देखते हुए कंपनियों को ऊंची लागत का बोझ ग्राहकों पर डालना होगा। मूल्य निर्धारण क्षमता के अभाव का संबंध मांग में कमजोरी से है। जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषकों के अनुसार, टायर कंपनियों को रीप्लेसमेंट सेगमेंट में 7-9 प्रतिशत तक की कीमत वृद्घि और करनी होगी। यह दिसंबर तिमाही के बाद से की कीमत कीमत वृद्घि 12-18 प्रतिशत ज्यादा है। कच्चे माल के लागत प्रभाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जेके टायर ऐंड इंडस्ट्रीज के मुख्य वित्तीय अधिकारी संजीव अग्रवाल ने कहा कि कंपनी लागत में अप्रत्शवित वृद्घि का करीब 60 प्रतिशत बोझ ग्राहकों पर डालने में सक्षम थी और धीरे धीरे बाकी बोझ भी डालेगी।घरेलू मांग के मोर्चे पर कमजोरी का कुछ हिस्से की भरपाई पिछले साल के दौरान निर्यात में आई 50 प्रतिशत तक की तेजी से हो गई। उनका कहना है कि घरेलू बाजार में भी मांग वाणिज्कि एवं यात्री वाहन खंड में अब धीरे धीरे सुधर रही है, लेकिन दोपहिया और ट्रैक्टर सेगमेंट में दबाव कुछ हद तक अभी भी बना हुआ है। कच्चे माल की कीमत वृद्घि को देखते हुए जिंस कीमतों में ताजा तेजी का प्रभाव वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के अंत तक दिखेगा, जबकि मार्च तिमाही का मार्जिन अपेक्षाकृत स्थिर बना रहेगा। जहां अनुबंधों में लागत वृद्घि के संबंध में वाहन निर्माता रीप्लेसमेंट बाजार पर ध्यान देंगे, वहीं टायर कंपनियां मांग में सुधार की उम्मीद कर रही हैं, जिससे कीमतें बढ़ाने में मदद मिलेगी। लागत को अनुकूल बनाने के उपाय अन्य कारक हैं जिनसे मार्जन बढ़ाने में मदद मिल सकती है। हालांकि आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि यह क्षेत्र तीन पहलुओं पर चक्रीयता के आधार पर मजबूत दिख रहा है, जिससे मुक्त नकदी प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा। ये पहलू हैं - बिक्र वृद्घि, मुनाफा और पूंजीगत खर्च। उन्हें वाहन क्षेत्र में विभिन्न सेगमेंट की बिक्री वित्त वर्ष 2022-24 के दौरान 12-22 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना है और रीप्लेसमेंट बाजार के 9-12 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान है। प्रति किलोग्राम सकल मुनाफापहले ही 10 वर्ष निचले स्तर पर पहुंच चुका है और अगली कुछ तिमाहियों में यह और नीचे आ सकता है और उसके बाद बिक्री में फिर से सुधार देखा जा सकता है। क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान क्षमता बढ़ाने पर निवेश किया है, जिसे देखते हुए इस संबंध में खर्च अब सुस्त बने रहने की आशंका है। रिलायंस सिक्योरिटीज के शाह का कहना है कि सेमीकंडक्टर आपूर्ति आसान होने और बेहतर कृषि पैदावार के साथ वित्त वर्ष 2023 के मध्य तक मांग में सुधार आने की संभावना है। कई ब्रोकरों ने अपोलो टायर्स, सिएट और बालकृष्ण इंडस्ट्रीज को खरीदने की सलाह दी है।
