अमेरिका में अघोषित निवेश पर कर विभाग की नजर | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली April 03, 2022 | | | | |
जिन भारतीयों की अमेरिका में अषोघित आय होती है उन्हें चालू वित्त वर्ष में काला धन निरोधक कानून, 2015 के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर लीक हुए दस्तावेजों में जिनके नाम हैं, उन्हें तलाशी, कारण बताओ नोटिस और कानूनी कार्रवाई से दो-चार होना पड़ सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की आंतरिक कार्ययोजना में इसकी रूपरेखा बनाई गई है।
सीबीडीटी ने कर चोरी मामले की जांच के लिए आक्रामक लक्ष्य और समयसीमा तय किए हैं, खास तौर पर अघोषित विदेशी संपत्तियों के मामले में। सीबीडीटी की कार्ययोजना की जानकारी देश भर में कर अधिकारियों को दी गई है और उन्हें विदेशी खाता कर अनुपालन कानून (फाटका), ऑटोमोटिव एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन (एईओआई) तथा सामान्य रिपोर्टिंग मानदंड (सीआरएस) के तहत 1 अप्रैल, 2022 को या उसके बाद सत्यापन में प्राप्त आंकड़ों से ऐसे मामलों की मिली जानकारी पर जांच के निर्देश दिए गए हैं।
फाटका के तहत भारत और अमेरिका के बीच वित्तीय सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान किया जाता है। इससे विदेशी संपत्तियों से होने वाली आय पर कर भुगतान सुनिश्चित कराने में मदद मिलती है। समझौते के तहत दोनों देश अपने नागरिकों और उनकी संपत्तियों के बारे में जानकारी साझा करते हैं। सीआरएस भी रिपोर्टिंग व्यवस्था है जिसमें अमेरिका को छोड़कर 90 देश शामिल हैं।
कार्ययोजना के अनुसार सूचना मिलने की तारीख से चार महीने के अंदर जांच पूरी करनी होगी और उसी के हिसाब से काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्तियां) कानून के तहत कार्रवाई करनी होगी। 31 मार्च, 2022 तक प्राप्त सूचनाओं की जांच जुलाई अंत तक पूरी करने का निर्देश दिया गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने वित्त वर्ष 2023 के लिए सीबीडीटी की कार्ययोजना को देखा है।
वैश्विक लीक मामलों में सीबीडीटी ने कर विभाग को पनामा और पैराडाइज पेपर्स मामले की जांच दिसंबर अंत तक पूरी करने और काला धन निरोधक कानून के तहत कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। एक कर अधिकारी ने कहा कि काला धन कानून के तहत कार्रवाई में कारण बताओ नोटिस भेजा जा सकता है और फिर आकलन आदेश तथा कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
ये पेपर्स 2016 और 2017 में आए थे, जिनमें संभावित कर चोरी के लिए विदेशों में संपत्तियों और विदेशी कंपनियों की अषोघित जानकारियां शामिल हैं। सरकार के आंकड़ों के अनुसार पनाम और पैराडाइज पेपर्स लीक से जुड़े 930 भारतीय इकाइयों से 20,353 करोड़ रुपये मूल्य की अघोषित संपत्तियों का पता चला है।
इसी तरह 2021 में पैंडोरा पेपर्स आया था जिसमें 300 से ज्यादा धनाढ्य भारतीयों के नाम शामिल थे। ऐसे मामलों में कर अधिकारियों को कार्रवाई योग्य और कार्रवाई नहीं करने योग्य मामलों को अलग-अलग करने के लिए कहा गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अक्टूबर 2021 में लीक हुई सूची में जिन लोगों के नाम शामिल थे, उन्हें कर विभाग ने समन भेजना शुरू कर दिया है। पैंडोरा पेपर्स लीक में कर बचाने के लिहाज से मुफीद माने जाने वाले देशों में संपत्तियों का वित्तीय रिकॉर्ड शामिल हैं। इसमें अनिल अंबानी, विनोद अदाणी, जैकी श्रॉफ, किरण मजूमदार शॉ, नीरा राडिया, सचिन तेंडुलकर और सतीश शर्मा जैसे लोगों के नाम शामिल हैं।
इसके अलावा सीबीडीटी ने बड़े मामलों (100 करोड़ रुपये से अधिक अघोषित आय) में चालू वित्त वर्ष में तलाशी और जब्ती की कम से कम 150 कार्रवाई करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही 31 मार्च तक 60 दिन से अधिक लंबित तलाशी और सर्वे की जांच रिपोर्ट को इस महीने के अंत तक जमा कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।
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