महंगाई अनुमान बढ़ाएगा आरबीआई! | मनोजित साहा / मुंबई April 03, 2022 | | | | |
पेट्रोल और डीजल के दाम दो हफ्ते से भी कम समय में 8 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं। ऐेसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) चालू वित्त वर्ष में 4.5 फीसदी मुद्रास्फीति रहने का अपना अनुमान बढ़ा सकता है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वेक्षण में सभी 10 प्रतिभागियों ने मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाए जाने पर सहमति जताई है।
आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 से 8 अप्रैल को होगी, जिसके नतीजों की घोषणा बैठक के अंतिम दिन की जाएगी। सर्वेक्षण में शामिल सभी प्रतिभागियों को लगता है कि आरबीआई रीपो दर में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा, वहीं अधिकतर का कहना था कि रिवर्स रीपो भी मौजूदा स्तर पर बनी रहेगी और दो साल से जारी समायोजन वाला नीतिगत रुख भी बरकरार रहेगा।
एलऐंडटी फाइनैंस होल्डिंग्स की समूह मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने कहा, 'रूस-यूक्रेन युद्घ की चिंता के मद्देनजर जिंसों खास तौर पर कच्चे तेल के दाम में इजाफे और आपूर्ति पक्ष में बाधा को देखते हुए आरबीआई रीपो दर पर यथास्थिति बनाए रखेगा।'
कुछ प्रतिभागी मानते हैं कि चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्घि के अनुमान में बदलाव किया जा सकता है। आरबीआई ने पिछली बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए 7.8 फीसदी विकास दर का अनुमान जाहिर किया था। नोमुरा ने एक रिपोर्ट में कहा है, 'मुद्रास्फीति और राजकोषीय जोखिम का भारत में असर दिखने लगा है... 8 अप्रैल को प्रस्तावित नीतिगत बैठक में आरबीआई जीडीपी वृद्घि का अनुमान घटा सकता है और खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ा सकता है।' रिपोर्ट में कहा गया, 'पूरी संभावना है कि आरबीआई नीतिगत दरों को सामान्य बनाने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए अपने रुख को समायोजन से तटस्थ कर दे मगर हमें उम्मीद है कि वह सहज दिशानिर्देश के साथ इसमें संतुलन कायम करेगा।' नोमुरा को लगता है कि मुद्रास्फीति 2 से 6 फीसदी के आरबीआई के लक्षित दायरे को पार कर सकती है और पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी से यह औसतन 6.3 फीसदी तक पहुंच सकती है। नित्सुरे ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति को संशोधित कर 5.7 से 5.8 फीसदी किया जा सकता है। बार्कले में प्रबंध निदेशक और भारत में मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, 'पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, खाद्य तेल, केरोसिन और सोने के दाम में तेजी को देखते हुए मुद्रास्फीति अनुमान को संशोधित कर बढ़ाया जा सकता है। मुझे लगता है कि मौद्रिक नीति समिति देश में बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए राजकोषीय नीति की भूमिका के भी संकेत दे सकती है।'
2020 में कोविड महामारी शुरू होने के बाद से आरबीआई ने सक्रियता दिखाते हुए रीपो दर में लगातार कटौती कर उसे 115 आधार अंक कम किया है। वृद्घि को सहारा देने के लिए आरबीआई ने नीति में नरमी बनाए रखी है।
हालांकि 2020-21 के निचले स्तर से वृद्घि में सुधार के बाद पिछले वित्त वर्ष में तरलता कम करने जैसे कुछ उपाय किए हैं। केंद्रीय बैंक ने भरोसा दिया था कि जब तक अर्थव्यवस्था में सुधार टिकाऊ नहीं हो जाता, वह समायोजन वाला रुख बनाए रखेगा। मई 2020 की समीक्षा बैठक से अब तक आरबीआई ने रीपो दर में कोई इजाफा नहीं किया है।
मगर मुद्रास्फीति में तेजी ने चिंता बढ़ा दी है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचने से घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इससे भी मुद्रास्फीति में इजाफा हो सकता है।
भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा, 'मुद्रास्फीति के साथ समस्या यह है कि लंबी अवधि में यह ज्यादा नुकसानदायक होती है और अल्पावधि में इसे नजरअंदाज करने से बाद में असर व्यापक हो सकता है। हम मानते हैं कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी से सुधार की गति पर असर पड़ सकता है।' एक्यूट रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा, 'जिंसों की ऊंची कीमतों के साथ ही वैश्विक वित्तीय परिस्थितियां देखते हुए हम मानते हैं कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को बढ़ा सकता है और समायोजन वाले अपने रुख से धीरे-धीरे हटने का आधार तैयार कर सकता है।' वृद्घि अनुमान की बात करें तो ज्यादातर प्रतिभागियों को लगाता है कि केंद्रीय बैंक इसकी समीक्षा के लिए अभी थोड़ा इंतजार कर सकता है। 2022-23 के लिए आरबीआई ने वास्तविक जीडीपी में 7.8 फीसदी वृद्घि का अनुमान लगाया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'हमें लगता है कि आरबीआई वृद्घि परिदृश्य पर भारी अनिश्चितता और चुनौतियों जैसे यूरोप में संघर्ष, विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा नीतियों में सख्ती और चीन में कोविड के नए मामले आदि से वाकिफ है।'
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