बीएस बातचीत यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से इस्पात कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत बढ़ गई है। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और समूह के मुख्य वित्त अधिकारी शेषगिरि राव ने ईशिता आयान दत्त को बताया कि यह बात अस्थायी हो सकती है, क्योंकि मांग-आपूर्ति में सक्रियता बनी हुई है। संपादित अंश : इस्पात उद्योग को कच्चे माल की कीमतों में में उछाल की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जेएसडब्ल्यू स्टील पर इसका क्या असर पड़ेगा? लागत पर बड़ा असर पड़ा है। लौह अयस्क और कोकिंग कोल के दामों में इजाफा हो गया है। जस्ते और एल्युमीनियम जैसी मूल धातुओं तथा फेरोअलॉय और रिफ्रैक्टरी की लागत का भी यही हाल है। लागत में यह संपूर्ण वृद्धि काफी ज्यादा है और इसका असर अगली तिमाही (वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही) में अनुभव किया जाएगा।लागत के इस असर को कम करने के लिए जेएसडब्ल्यू क्या कर रही है? मिश्रण और स्रोत को बदलकर इस असर को कम किया जा सकता है। या फिर लागत को उपभोक्ता पर डालकर। लेकिन अगर किसी से बात नहीं बनती, तो उत्पादन में कटौती करनी पड़ेगी। इस्पात के दामों में इस इजाफे लागत वृद्धि की भरपाई नहीं होती है। कोकिंग कोल के मामले में चीन प्रति टन 150 से $200 डॉलर का लाभ उठा रहा है, यह बात कुछ महीने पहले के हालात से बिल्कुल उलट है। चीन एशिया की अधिकांश कीमतों को प्रभावित करता है और आर्बिट्रेज की वजह से, इस्पात के दाम भले ही बढ़ चुके हैं, ये अब भी 900 डॉलर प्रति टन के स्तर पर हैं।क्या इस्पात के दामों में बढ़ोतरी के संबंध में बाजार की ओर से कोई प्रतिक्रिया हो रही है? हमें मांग-आपूर्ति की गतिशीलता समझने की जरूरत है। अगर हम चीन के अलावा शेष विश्व पर नजर डालें, तो मुझे नहीं लगता कि रूस और यूक्रेन की ओर से आपूर्ति में गिरावट की पर्याप्त बराबरी होगी। ये आपूर्ति पक्ष की गतिशीलता हैं। मांग पक्ष की बात करें, तो यूरोप में इसमें गिरावट आ रही है, यही वजह है कि यह पूरी तरह से उत्पादन नहीं कर रहा है, फिलहाल क्षमता उपयोग 72 से 73 प्रतिशत है। इसलिए यूरोप से अतिरिक्त उत्पादन नहीं होगा।लेकिन क्या हम यह बात जानते हैं कि कोकिंग कोल के दाम कब कम होंगे? दूसरे रास्ते से व्यापार हो रहा है और रूस की ओर से तो अधिशेष है। उस संदर्भ में मुझे लगता है कि कीमतों में नरमी आएगी।आप उत्पादन कटौती के संबंध में कब फैसला करेंगे? अगर कच्चे माल के दाम इस्पात की कीमतों में वृद्धि के बिना जारी रहते हैं, तो केवल भारत में ही नहीं, बल्कि सभी जगह उत्पादन में कटौती महसूस की जाएगी।क्या निर्यात से कच्चे माल की लागत में इजाफे की भरपाई करना संभव है? यूरोप का एक कोटा है और किसी को इस कोटे के भीतर ही रहना पड़ता है। इस कोटे के तहत रूस से जो भी निर्यात हो रहा है, उसका पुनर्वितरण किया जा रहा है। अगर उसका पुनर्वितरण किया जाता है, तो भारत के लिए कोटा 3,00,000 टन तक बढ़ जाएगा। यह कोई बहुत बड़ा इजाफा नहीं है।घरेलू मांग कैसी? अभी वाहन (क्षेत्र) से मांग कमजोर है, लेकिन अन्य क्षेत्रों से ठीक है।अगले महीने इस्पात के दामों में किस तरह की कीमत वृद्धिा के आसार हैं? हमें आगे यह देखना होगा कि कच्चे माल की कीमतों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या हो र हा है।
