यूपीआई लेनदेन 1 लाख करोड़ डॉलर के पार | सुब्रत पांडा / मुंबई April 01, 2022 | | | | |
भारत के अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से वित्त वर्ष 2022 में 1 लाख करोड़ डॉलर से अधिक के लेनदेन किए गए। वित्त वर्ष 2022 में 29 मार्च तक यूपीआई के जरिये 45 अरब से अधिक लेनदेन किए गए जिनका मूल्य 83 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह जानकारी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से मिली है।
वित्त वर्ष 2021 में यूपीआई के माध्यम से 22.28 अरब लेनदेन हुए थे जिनका मूल्य 41.03 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस प्रकार से, एक वर्ष में यूपीआई पर होने वाले लेनदेन की संख्या और मूल्य दोनों ही करीब करीब दोगुने हो गए जिससे देश में डिजिटल भुगतान विशेष तौर पर यूपीआई को अपनाने की दिशा में जबरदस्त वृद्घि के संकेत मिलते हैं।
इसके अलावा, मार्च में पहली बार यूपीआई के जरिये एक महीने के भीतर 5 अरब लेनदेन का आंकड़ा पार हुआ है। इस महीने 29 मार्च तक 5.04 अरब लेनदेन किए गए जिनका मूल्य 8.88 लाख करोड़ रुपये रहा। यह आंकड़ा फरवरी में किए गए लेनदेन से 11.5 फीसदी और मूल्य के लिहाज से 7.5 फीसदी अधिक है। मार्च 2021 में यूपीआई के जरिये 2.73 अरब लेनदेन किए गए थे जिनका मूल्य 5.04 लाख करोड़ रुपये रहा था।
यूपीआई 2016 में लॉन्च किया गया था। यूपीआई ने अक्टूबर 2019 में पहली बार 1 अरब लेनदेन का आंकड़ा पार किया था। इसके बाद 2 अरब लेनदेन का आंकड़ा छूने में एक वर्ष का समय लगा और अक्टूबर 2020 में 2 अरब से अधिक लेनदेन किए गए। प्रति महीने 2 अरब लेनदेन से 3 अरब लेनदेन पर पहुंचने में 10 महीने का वक्त लगा लेकिन उसके बाद हर महीने 4 अरब लेनदेन को छूने में महज तीन महीने का वक्त लगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी ने देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने की दर को उस स्तर पर पहुंचा दिया जो सामान्यतया 5 से 10 वर्षों में हासिल होता और यूपीआई पर होने वाले देनदेन में जोरदार वृद्घि इसकी तस्दीक करती है। महामारी के आरंभ के बाद से यूपीआई लेनदेन की संख्या में 300 फीसदी का इजाफा हुआ है और लेनदेन के मूल्य में 331 फीसदी की वृद्घि हुई है। आरंभ में जहां इसे पीयर-टू-पीयर (पी2पी) लेनदेन के लिए प्रमुखता दी जाती थी वहीं अब इसे पीयर टू मर्चेंट (पी2एम) लेनदेन के लिए भी प्रमुखता दी जाने लगी है। 2021 में लेनदेन की संख्या की लिहाज से इसकी बाजार हिस्सेदारी 56 फीसदी से अधिक थी।
देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने में तेजी की झलक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिजिटल भुगतान सूचकांक (डीपीआई) से भी मिलती है। देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण के दायरे को बताने के लिए इस सूचकांक को जनवरी में लॉन्च किया गया था।
सितंबर 2021 के लिए डीपीआई 304.06 रहा था जबकि मार्च 2021 में यह 270.59 था। मार्च 2019 में सूचकांक 153.47 पर था और सितंबर 2019 में यह बढ़कर 173.49 हो गया जिसके बाद मार्च 2020 में यह 207.94 पर, सितंबर 2020 में 217.74 पर और मार्च, 2021 में 270.59 पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि सूचकांक को अद्र्घवार्षिक आधार पर 4 महीने के अंतराल पर प्रकाशित किया जाएगा। आरबीआई-डीपीआई में मार्च 2018 को आधार अवधि बनाया गया है यानी कि मार्च 2018 के लिए डीपीआई का स्कोर 100 रुखा गया था।
लॉकेबल कैसेट्स के इस्तेमाल को लेकर बैंकों को मिला वक्त
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के लिए लॉकेबल कैसेट्स के इस्तेमाल की समयावधि एक साल के लिए बढ़ा दी है। बैंक अब नकद पुनर्प्राप्ति के लिए इसे अपने एटीएम में 31 मार्च, 2023 तक लागू कर सकेंगे। नियत समयसीमा पर काम पूरा किए जाने को लेकर आ रही कठिनाइयों के बारे में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन और विभिन्न बैंकों की ओर से रिजर्व बैंक को आवेदन मिले थे, जिसके बाद रिजर्व बैंक ने यह फैसला किया है।
यह पहला मौका नहीं है, जब रिजर्व बैंक ने समय सीमा बढ़ाई है। बैंकों से उम्मीद की गई थी कि वे चरणबद्ध तरीके से लॉकेबल कैसेट्स का इस्तेमाल शुरू करेंगे और 31 मार्च, 2021 तक कम से कम एक तिहाई एटीएम इसके दायरे में आ जाएंगे।
बहरहाल यह समयसीमा बाद में बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दी गई। रिजर्व बैंक ने 2018 में एक अधिसूचना के माध्यम से यह बदलाव बैंकों के लिए पेश किया था। बीएस
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