जून तिमाही में लघु बचत दरों में बदलाव नहीं | असित रंजन मिश्रा / नई दिल्ली April 01, 2022 | | | | |
मध्य वर्ग और छोटे बचतकर्ताओं को राहत देते हुए वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए सरकार समर्थित बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई फेरबदल नहीं किया है। सरकार का यह निर्णय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जमाओं पर ब्याज दरों में कटौती की घोषणा के कुछ दिन बाद आया है।
मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2022 के लिए ईपीएफ जमाओं पर ब्याज दर को पिछले वित्त वर्ष के 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 करने की घोषणा की थी जो चार दशक में सबसे कम है।
उम्मीद की जा रही है कि मुद्रास्फीति की बढ़ती दर और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उदार रुख के पलटने के बढ़ते आसार को देखते हुए सरकार ने छोटी बचत पर दरों में कटौती करने से परहेज किया है। रिजर्व बैंक के रुख में परिवर्तन होने पर ब्याज दरों में इजाफा होने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग ने एक वक्तव्य में कहा, 'वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा। वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही 1 अप्रैल, 2022 से आरंभ होकर 30 जून, 2022 को समाप्त होगी। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही यानी कि 1 जनवरी, 2022 से 31 मार्च, 2022 की अवधि में छोटी बचत योजनाओं पर जितना ब्याज दिया जा रहा है उसे ही अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए जारी रखा गया है। सक्षम प्राधिकारी से इसके लिए मंजूरी दे दी गई है।'
अप्रैल-जून तिमाही के लिए सरकार समर्थित प्रमुख बचत योजनाओं में से राष्ट्रीय बचत पत्र, वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाओं, सार्वजनिक भविष्य निधि योजना, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्घि खाता योजना पर ब्याज दरें क्रमश: 6.8 फीसदी, 7.4 फीसदी, 7.1 फीसदी, 6.9 फीसदी, 7.6 फीसदी पर अपरिवर्तित रखी गई हैं।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले तीन महीने में सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में इजाफा होने के साथ साथ बैंकों की ब्याज दरों में धीरे धीरे इजाफा होने से थोड़ी उम्मीद की जा सकती है कि आगामी तिमाहियों में छोटी बचत दरों में वृद्घि होगी। उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद कर सकते हैं कि 2022 के मध्य में दर वृद्घि चक्र की धीमी शुरुआत हो जिसके तहत अगस्त-अक्टूबर 2022 में रीपो दर में 50 आधार अंक की वृद्घि हो सकती है जिसका परिणाम छोटी बचत दरों में इजाफे के तौर पर सामने आ सकता है।'
साल भर पहले 31 मार्च, 2021 को वित्त मंत्रालय ने छोटी बचत ब्याज दरों में कटौती की थी लेकिन रातोरात उसने यह निर्णय पलट दिया था। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले की गई इस कटौती की घोषणा की चर्चा सोशल मीडिया पर जोर पकडऩे लगी थी। तब सरकार ने कहा था कि ब्याज दरों में कटौती की यह घोषणा गलती से हो गई थी।
इन योजनाओं पर उच्च ब्याज दरों के कारण ही बैंक कई बार यह शिकायत करते हैं कि वे इसी कारण से उधारी दरों में कमी नहीं कर सकते हैं। उनका तर्क है कि छोटी बचत योजनाओं पर दरें कम होने से उन्हें केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दर कटौती को ठीक प्रकार से अपनाने में मदद मिलेगी।
छोटी बचत योजनाओं पर उच्च लघु अवधि की ब्याज दरों से उनके ऊपर अपनी जमा दरों को भी उसके आसपास रखने का दबाव होता है जिसके कारण वे नीतिगत दर कटौती के अनुरूप ऋण देने की दरों में ज्यादा कटौती नहीं कर पाते हैं। रिजर्व बैंक द्वारा अपनी नीतिगत दर कटौती का प्रभाव आंशिक तौर पर दिखाई देने पर चिंता जाहिर किए जाने के बाद वित्त मंत्रालय ने छोटी बचत दरों की त्रैमासिकआधार पर समीक्षा शुरू की। इसकी शुरुआत 1 अप्रैल, 2016 से हुई जिसके बाद यह प्रक्रिया अधिक गतिशील और बाजार से जुड़ी हुई बन गई।
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