रेलवे क्षेत्र में सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाभार्थियों में से एक वैबटेक कॉरपोरेशन डीजल रेल इंजनों, बिजली के कलपुर्जों और कई अन्य उत्पादों के निर्यात के लिए देश को विनिर्माण केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में कंपनी के समूह अध्यक्ष (वैश्विक माल ढुलाई सेवा ) पास्कल श्वीत्जर ने कहा कि हमारा इरादा भारत से दुनिया के बाकी हिस्सों को निर्यात करने का है, यह केवल रेल इंजन तक सीमित नहीं है। हमारे पास रेल उद्योग को समर्पित एक विस्तृत पेशकश है। एक वैश्विक कंपनी के रूप में हम विश्व स्तर पर अपनी मौजूदगी का लाभ उठाना चाहते हैं। बिहार के मढ़ौरा में डिजल रेल इंजन की एक विनिर्माण इकाई और अपनी वैश्विक इंजीनियरिंग टीम का एक-तिहाई भाग भारत में रखने वाली वैश्विक रेल दिग्गज विभिन्न देशों में कलपुर्जों, डिजिटल समाधान, ट्रेक की देखरेख और विद्युतीकरण के अवसर तलाश रही है तथा इस संंबंध में अपनी भारतीय इकाइयों को इस महत्त्वपूर्ण संसाधन के रूप में देखती है। श्वीत्जर ने कहा कि हम इलेक्ट्रिक क्षेत्र की भी कंपनी हैं। हम इलेक्ट्रिक रेल इंजनों के लिए बहुत सारे पुर्जों की आपूर्ति करते हैं। हमारा इरादा इसमें (खंड में) और अधिक हिस्सा लेने का है। हम आवागमन और माल ढुलाई, पुर्जों और डिजिटल समाधान में वैश्विक अगुआ बनना चाहते हैं। हम रेल के डीकार्बोनाइजेशन की भी अगुआई करना चाहते हैं, यही वजह है कि हम बैटरी वाले रेल इंजनों और हाइड्रोजन तथा फ्यूल सेल इंजनों के विकास में खासे संसाधनों का निवेश कर रहे हैं। हम डीजल वाले रेल इंजनों के संबंध में नवीकरणीय ईंधन और जैव ईंधन उपयोग सक्षम करने के लिए काम कर रहे हैं। देशों ने जिस उत्साह के साथ सतता की चुनौती स्वीकार की है, उसे देखते हुए कंपनी कई तरह के हरित समाधान विकसित और पेश कर रही है। भारतीय रेलवे को पेश किए गए समाधानों के संबंध में जब जलवायु परिवर्तन की बात आती है, तो वैबटेक केवल उत्पाद बेचना ही नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि हम अपने ग्राहकों के साथ रणनीतिक चर्चा करना चाहते हैं कि वे कार्बन उत्सर्जन कम करने के अपने प्रयासों में हमारी सेवाओं का किस तरह से लाभ उठा सकते हैं। हाल ही में रेल मंत्रालय ने रेल नेटवर्क की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 50,000 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का विद्युतीकरण पूरा किया है भारतीय रेलवे के बजटीय आवंटन और इस राष्ट्रीय परिवहन के लिए पाइपलाइन में एक लाख करोड़ रुपये की निविदाओं की वजह से बुनियादी ढांचे की विस्तृत व्यय क्षमता के कारण वैबटेक की नजर भारत में विस्तार के अवसरों पर है।
