वित्त वर्ष 2021-22 की समाप्ति निजी नियोजन में सालाना आधार पर तीव्र गिरावट के साथ हो सकती है। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, 25 मार्च तक कुल 5.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए, जो वित्त वर्ष 21 में जुटाई गई रकम 7.5 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 27 फीसदी कम है। चूंकि इस संबंध मेंं तुलना के लिए वित्त वर्ष 2001 से आंकड़े उपलब्ध हैं, ऐसे में यह सालाना आधार पर सबसे तेज गिरावट होगी। कोविड-19 महामारी के बाद कंपनियां विस्तार के मामले में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं और सामान्य ट्रेंड यह रहा कि वे अब कर्ज घटाने पर विचार कर रही हैं। कर्ज जुटाने के लिए निजी नियोजन लोकप्रिय जरिया है, जहां प्रतिभूतियां सीमित इकाइयों को जारी की जाती है। प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, कंपनियों ने खासी रकम जुटाई थी जब 2020-21 में कोविड के शुरुआती दौर में नियामकीय कदमों के कारण काफी ज्यादा नकदी उपलब्ध थी। उन्होंंने कहा कि कंपनियों ने ऐसी रकम के निवेश के लिए सीमित गंतव्य देखे, लिहाजा अतिरिक्त उधारी की जरूरत ऐसे समय में कम हो गई जब कर्ज महंगा हो गया। इससे पहले निजी नियोजन में तेज गिरावट 2013-14 मेंं देखने को मिली थी। उस दौरान निजी नियोजन 18.4 फीसदी घट गया था क्योंंकि वैश्विक नकदी के सख्त हालात से जुड़े खतरे ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया था। सुंदरम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी द्विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, इसकी वजहें ज्यादातर बाजार की स्थिति से जुड़ी है। उन्होंंने कहा, पूंजीगत खर्च में सीमित गतिविधियां देखने को मिली और क्रेडिट ने कॉरपोरेट उधारी के बजाय खुदरा के कारण जोर पकड़ा। नए कर्ज लेने के बजाय कंपनियां अपने कर्ज घटा रही हैं। ज्यादातर कंपनियां अपनी मौजूदा उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में ये चीजें उन्हें उधार लेने और नई फैक्टरी में निवेश कर अतिरिक्त क्षमता तैयार करने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता। विनिर्माण क्षेत्र की सिर्फ 68.3 फीसदी क्षणता का ही इस्तेमाल हो पाया और यह जानकारी आरबीआई के सर्वे से मिली, जो सितंबर 2021 में समाप्त तीन महीने के लिए हुए थे। मौजूदा साल की गिरावट उस घटनाक्रम के एक साल बाद देखने को मिली जब रकम जुटाने के कुल जरिये में निजी नियोजन की हिस्सेदारी बढ़ी थी। गैर-वित्तीय इकाइयों की तरफ से सकल निजी नियोजन वित्त वर्ष 21 में कई साल के उच्चस्तर 16.9 फीसदी पर पहुंच गया था।
