पीएलआई की दो चरणों में होगी समीक्षा | श्रेया नंदी / नई दिल्ली March 30, 2022 | | | | |
सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की दो स्तर पर समीक्षा करेगी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में इन योजनाओं में प्रगति और लागू किए जाने की स्थिति पर चर्चा होगी।
इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि इसके बाद उपयोग न हो सके फंड पर चर्चा होगी और उन सरकारी विभागों व मंत्रालयों को इस धन के फिर से आवंटन की संभावना तलाशी जाएगी, जिन्हें ज्यादा धन की जरूरत है।
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में बनी सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक अगले महीने होने की संभावना है। इसमें प्रदर्शन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'बचत (पीएलआई से) के उपयोग के बारे में किसी फैसले पर भी सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति विचार करेगी।'
इसके अलावा सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत भी शुक्रवार को बैठक करके पीएलआई योजना की अब तक की प्रगति और उसके प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे। पीएलआई योजना में सरकार की कुल बचत 11,484 करोड़ रुपये रही है, जिसका आवंटन सरकार के उन विभागों को किया जा सकता है, जिन्हें धन की जरूरत है। पीएलआई की डिजाइन तैयार करते समय इसके लिए प्रावधान किया गया था।
पिछले साल नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने लिए पीएलआई में ज्यादा धन आवंटित किए जाने की मांग की थी, जिसे मूल रूप से 4,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। विभाग का मानना था कि यह राशि पर्याप्त नहीं थी, जिससे कि भारत के महत्त्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। उसके बाद 2022-23 के केंद्रीय बजट में सौर विनिर्माण के लिए 19,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि का आवंटन किया गया था।
इसी तरह से पिछले साल नवंबर में औषधि विभाग ने भी शीर्ष सरकारी समिति से फार्मास्यूटिकल ड्रग्स की पीएलआई योजना के लिए करीब 3,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त धन मुहैया कराए जाने की मांग की थी, जिससे क दवाओं, इन विट्रो डायग्नोस्टिक्स (आईवीडी) और उनके कच्चे माल के उत्पादन को आगे और बढ़ावा दिया जा सके। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि औषधि विभाग की ओर से की गई मांग पर फैसला तब लिया जाएगा, जब उन्हें आवंटित धन का पूरा इस्तेमाल हो जाएगा। इसके पहले बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय (मेइटी), जो इस समय बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, आईटी हार्डवेयर और वीयरेबल और हीयरेबल आईओटी डिवाइसेज के लिए पीएलआई योजना का प्रभारी है, ने सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह को सूचित किया था कि उसे चल रही सभी योजनाओं के लिए 22,900 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत होगी। बहरहाल मंत्रालय के पास 2,923 करोड़ रुपये का बजट है। अगर यह राशि आवंटित की जाती है तो इसका इस्तेमाल कंपनियों को और प्रोत्साहन देने और निर्यात बढ़ाने में किया जा सकेगा। अब तक 14 पीएलआई योजनाएं अधिसूचित की गई हैं और संबंधित सरकारी विभागों द्वारा दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। पहली 3 योजनाएं 2020 में अधिसूचित की गई थीं और ये मोबाइल फोन और विशेष इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स, एपीआई और मेडिकल उपकरणों के लिए थीं। अधिकारी ने कहा, 'इनमें अधिकतम प्रगति देखी गई है।'
2021-22 की आर्थिक समीक्षा के मुताबिक मोबाइल फोन और स्पेसीफाइड इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के मामले में पहले चरण में 36,440 करोड़ रुपये के 16 आवेदनों को मंजूरी दी गई। वहीं दूसरे चरण में 483 करोड़ रुपये के 18 आवेदनों को मंजूरी दी गई थी। सर्वे के मुताबिक, 'एपीआई-ड्रग इंटरमीडएटरीज और मेडिकल उपकरणों के मामले में 4,347 करोड़ रुपये के 42 आवेदनों और 798 करोड़ रुपये निवेश प्रतिबद्धता के 13 आवेदनों को अब तक सक्षम प्राधिकरणों द्वारा मंजूरी दी गई है।'
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