अलायंस एयर अपने विमान केबिन का नवीकरण कर रही है, सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली में निवेश कर रही है और विपणन अभियान शुरू कर रही है, क्योंकि एयर इंडिया की बिक्री के बाद यह अपने खुद के नक्शे कदम पर चलना चाहती है। एयर इंडिया में विलय हो चुकी इंडियन एयरलाइंस की सहायक कंपनी के रूप में वर्ष 1996 में स्थापित अलायंस एयर ने इस राष्ट्रीय विमान कंपनी की क्षेत्रीय शाखा के रूप में सेवा की है तथा टीयर-दो और टीयर-तीन के शहरों को जोड़ा है। जनवरी में राष्ट्रीय वाहक के विनिवेश के बाद यह विमान कंपनी अब एआई एसेट होल्डिंग कंपनी के अधीन है। अब तक अलायंस एयर बिक्री, विपणन और वित्तीय सहायता के लिए एयर इंडिया पर निर्भर थी। अब प्रबंधन अपने ब्रांड की पहचान बनाने के लिए कदम उठा रहा है। मुख्य कार्याधिकारी विनीत सूद ने कहा 'हम सूचना प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे, यात्री सेवा प्रणाली और परिचालन तथा लेखांकन के लिए सॉफ्टवेयर में लगभग 10 करोड़ रुपये का निवेश कर रहे हैं। अप्रैल तक हमारे पास अपनी यात्री सेवा प्रणाली (पीएसएस) होगी।' पीएसएस में परिचालन का व्यापक दायरा आता है, जिसमें उड़ान की समयसारणी और टिकट आरक्षण भी शामिल होता है। इस विमान कंपनी के पास 18 एटीआर-72 विमानों का बेड़ा है और यह देश में 51 गंतव्यों के लिए उड़ान भरती है। पिछले महीने इसने दो छोटे एटीआर-42 विमानों के लिए एक पट्टे पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे यह शिमला, कुल्लू और धर्मशाला जैसे छोटे रनवे वाले हवाई अड्डों के लिए बेहतर तरीके से संचालित कर पाएगी। अलायंस एयर पिछले 20 साल से एटीआर विमान का परिचालन कर रही है और इंडिगो के बाद भारत में यह इसकी सबसे बड़ी ग्राहक है। एटीआर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (वाणिज्यिक) फैब्रिस वॉटिअर ने कहा कि हमें विस्तार के अवसर नजर आ रहे हैं, खास तौर पर इसलिए क्योंकि अधिकाधिक मार्ग उभर रहे हैं। भारतीय बाजार में हमारे पास करीब 60 विमान हैं। बाजार में अब और ज्यादा परिपक्वता है, जो कारोबार के अवसर उपलब्ध कराती है। एटीआर विमान के अलावा अलायंस एयर ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स से 19 सीट वाले दो डोर्नियर-228 विमान किराए पर लिए हैं और उन्हें अगले महीने पूर्वोत्तर भारत में पासीघाट, तेजू तथा जीरो जैसे दूरस्थ हवाई क्षेत्रों को जोडऩे के लिए तैनात करेगी। हालांकि सुरक्षा बलों ने डोर्नियर-228 को उड़ाया हुआ है, लेकिन वाणिज्यिक वायु सेवा के लिए इसे पहली दफा इस्तेमाल किया जा रहा है।
