सेबी ने किया सामूहिक निवेश योजना के नियमों में बदलाव | बीएस संवाददाता / मुंबई March 29, 2022 | | | | |
बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को सामूहिक निवेश योजनाओं के नियमों में बदलाव कर दिया और उन्हें म्युचुअल फंड नियमों के समकक्ष ला खड़ा किया। नियामक ने कहा कि यह कदम नियामकीय आर्बिट्रेज को दूर कर देगा।
सेबी के निदेशक मंडल ने इसके अलावा सेबी कस्टोडियन रेग्युलेशन 1996 में संशोधन को मंजूरी दी ताकि पंजीकृत कस्टोडियन देसी एमएफ की तरफ से पेश सिल्वर ईटीएफ के संबंध में कस्टोडियन से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराने मेंं सक्षम हो सके। इसके अलावा बोर्ड ने लिस्टिंग आब्लिगेशंस ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट रेग्युलेशन में भी संशोधन किया ताकि निवेशकों के लिए प्रतिभूति पारेषण प्रक्रिया आसान हो और प्रक्रिया में एकरूपता सुनिश्चित हो। बोर्ड ने अगले वित्त्त वर्ष के लिए बजट अनुमानों को भी मंजूरी दे दी।
एक प्रेस विज्ञप्ति में सेबी ने कहा कि सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के नियमोंं में हुए अहम बदलाव में न्यूनतम नेटवर्थ की अनिवार्यता में इजाफा और सीआईएस के गठन को लेकर संबंधित क्षेत्र में ट्रैक रिकॉर्ड के लिए एक उपबंध को जोडऩा शामिल है। साथ ही क्रॉस शेयरधारिता के नियम भी हैं, जहां एक इकाई सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी की 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकती।
साल 1999 की अधिसूचना के बाद सीआईएस के नियमों की यह पहली अहम समीक्षा है। इससे पहले सीआईएस नियमों की समीक्षा के लिए जनवरी में सेबी ने एक परामर्श पत्र जारी किया था।
अभी कई कंपनियां सोना, प्लांटेशन, बकरी, गाय व एमू बर्ड आदि से जुड़ाव रखने वाली मनी पूल्ड स्कीम्स के जरिए निवेशकों से रकम जुटाती हैं, जिन्हें सीआईएस के नाम से जाना जाता है और वह भी बिना उचित ऑथराइजेशन के। अक्सर ऐसी योजनाएं निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर समाप्त हो जाती है क्योंकि इसका ढांचा ऐसा है कि वे नियामकीय जांच से बच जाते हैं।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि नियमन में बदलाव से बड़े संस्थान सीआईएस के गठन को प्रोत्साहित होंगे, जिससे घरेलू बचत को अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाली गतिविधियों में सुरक्षा के साथ लगाया जा सकेगा।
सेबी ने सीआईएस में निवेशकों की न्यूनतम संख्या, किसी एक निवेशक के पास अधिकतम हिस्सेदारी और न्यूनतम आवेदन की रकम के नियम तय किए हैं।
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