आईपीओ से जुटाए जाएंगे 1.4 लाख करोड़ रु. | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली March 28, 2022 | | | | |
वित्त वर्ष 2021-22 आईपीओ के लिहाज से शानदार रहा है और इस दौरान 52 भारतीय कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.11 लाख करोड़ रुपये जुटाए। वित्त वर्ष 23 में भी यह रफ्तार बनी रह सकती है और जुटाई जाने वाली रकम इससे भी ज्यादा रह सकती है।
प्राइम डेटाबेस के नोट के मुताबिक, 54 कंपनियों की योजना आईपीओ के जरिए 1.4 लाख करोड़ रुपये (एलआईसी आईपीओ समेत) जुटाने की है और इन कंपनियों को बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिल चुकी है। नोट में कहा गया है, अन्य 43 कंपनियां करीब 81,000 करोड़ रुपये जुटाने पर विचार कर रही है, जिसके लिए अभी सेबी की मंजूरी की प्रतीक्षा हो रही है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, वित्त वर्ष 22 में आईपीओ की रकम साल 2020-21 में 30 कंपनियों के आईपीओ से जुटाई गई रकम 31,268 करोड़ रुपये का करीब 3.5 गुना है। नई पीढ़ी की नुकसान वाली तकनीकी स्टार्टअप के आईपीओ, मजबूत खुदरा भागीदारी और सूचीबद्धता पर भारी भरकम लाभ साल 2021-22 की अहम विशेषता रही। इक्विटी के कुल सार्वजनिक निर्गम हालांकि एक साल पहले के 1.90 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले घटकर 1.70 लाख करोड़ रुपये के रह गए।
2021-22 का सबसे बड़ा आईपीओ अब तक का भारत का सबसे बड़ा आईपीओ भी था और वह था वन97 कम्युनिकेशंस यानी पेटीएम का, जिसने 18,300 करोड़ रुपये जुटाए। इसके बाद जोमैटो (9,375 करोड़ रुपये), स्टार हेल्थ (6,019 करोड़ रुपये), पीबी फिनटेक (पॉलिसीबाजार 5,710 करोड़ रुपये), सोना बीएलडब्ल्यू (5,550 करोड़ रुपये), एफएसएन ई-कॉमर्स (नायिका 5,350 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। सूचीबद्धता पर औसत लाभ 33 फीसदी रहा, जो 2020-21 में 36 फीसदी और 2019-20 में 24 फीसदी रहा था। छह अग्रणी आईपीओ में से चार नई पीढ़ी की तकनीकी कंपनियोंं के थे, जिन्होंंने कुल मिलाकर 38,734 करोड़ रुपये जुटाए।
केपीएमजी इंडिया के पार्टनर करण मारवाह ने साइं वेंकटेश्वरन के साथ लिखी रिपोर्ट में कहा है, वित्त वर्ष 22 में प्राथमिक बाजार की गतिविधियों ने दूसरी छमाही से जोर पकड़ा और हर कारोबारी क्षेत्र की कंपनियां बाजार में उतरी। संस्थागत निवेशकों के साथ खुदरा निवेशकों ने परिसंपत्ति प्रबंधन फर्मों को एसआईपी योगदान के जरिए जरूरी नकदी मुहैया कराई। एलआईसी का आईपीओ अच्छी खासी नकदी बाजार से खींच सकता है।
खुदरा निवेशक
खुदरा श्रेणी में निवेशकों की तरफ से किया गया औसतन आवेदन 14 लाख रहा, जो 2020-21 में 12.7 लाख और 2019-20 में 6.88 लाख रहा था। प्राइम डेटाबेस की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। 2021-22 में सबसे ज्यादा खुदरा आवेदन ग्लेनमार्क लाइफ साइंसेज (33.9 लाख) में मिले, जिसके बाद देवयानी इंटरनैशनल (32.7 लाख) और लेटेंट व्यू (31.9 लाख) का स्थान रहा। विश्लेषकों को लग रहा है कि रूस व यूक्रेन के बीच जारी भूराजनीतिक संकट के कारण बाजार में उथलपुथल बना रहेगा। इसका प्राथमिक बाजार की गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा।
हल्दिया ने कहा, आईपीओ की गतिविधियां कम से कम अगले कुछ हफ्तों में सुस्त बनी रह सकती है क्योंंकि द्वितीयक बाजार में काफी उतारचढ़ाव हो रहा है, जिसका कारण रूस-यूक्रेन का संकट है।
मध्यम अवधि के लिहाज से विश्लेषक दोनों युद्धरत देशों के बीच समाधान निकलने की उम्मीद कर रहे हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, दोसी इक्विटी बाजार मौजूदा स्तर से शायद ही बुरी तरह नीचे जाएगा। उन्होंने कहा, यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध का समाधान निकलने तक सेंसेक्स 56,000 से 57,000 के बीच रह सकता है।
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