यूक्रेन में संकट के साथ ही सऊदी अरब के जेद्दा बंदरगाह शहर में स्थित अरामको के एक तेल वितरण केंद्र पर मिसाइल हमला होने और वहां आग लगने से कच्चे तेल की कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं। इससे भारत में भी रसोई गैस (एलपीजी) की उपलब्धता को धक्का लग सकता है और इसकी कीमतों पर असर पड़ सकता है। 2019 में जब इसी तरह का एक हमला सऊदी अरामको के एक केंद्र पर हुआ था तब ऊर्जा की आपूर्ति करने वाले इस बड़े देश से एक निश्चित आपूर्ति में कमी आई थी। इसके बाद महाराष्ट्र्र, कर्नाटक, पंजाब और गोवा जैसे राज्यों में एलपीजी का पहले से बुकिंग का स्तर 15 दिन तक पहुंच गया था। दूसरी ओर उद्योग सूत्रों ने कहा कि तेल विपणन कंपनियां फिलहाल हरेक घरेलू सिलिंडर पर करीब 250 रुपये का नुकसान उठा रही हैं। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, 'हम तुरंत कोई प्रभाव नहीं देख रहे हैं। हमारे पास विविधीकृत बास्केट है और इसीलिए देश एलपीजी और कच्चे तेल के संदर्भ में जोखिम को कम कर रहा है।' कच्चे तेल की कीमतें नवंबर, 2020 के 41 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर अब करीब 121 अरब डॉलर पर पहुंच चुकी है। इसके मद्देनजर सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक सऊदी अरामको ने एलपीजी की कीमत को नवंबर के 376.3 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर मार्च में 769.1 डॉलर प्रति टन कर दिया है। यह जनवरी के 726.4 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से 5.9 फीसदी अधिक है। देश में एलपीजी की कीमत सऊदी कॉन्टै्रक्ट (सीपी) पर आधारित है। सऊदी कॉन्ट्रैक्ट एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के लिए बेंचमार्क है। फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रिब्यूटर्स ऑफ इंडिया के महासचिव पवन सोनी ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय क्रूड कीमत में तेजी से इजाफा होने से मुझे लगता है कि एलपीजी की कीमत अगले महीने बढ़ सकती है। कीमतों में कई हिस्सों में वृद्घि हो सकती है।' हालिया विधानसभा चुनावों के बाद देश भर में एलपीजी सिलिंडर की कीमत में 50 रुपये का इजाफा किया गया है। 6 अक्टूबर, 2021 के बाद एलपीजी के दाम पहली बार बढ़े हैं। 14.2 किलोग्राम के गैर-सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलिंडर का भाव राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 899.50 रुपये से बढ़कर 949.50 रुपये हो गया।
