रिटर्न भरने में हुए फेल तो लगेगा जुर्माना या होगी जेल | |
बिंदिशा सारंग / 03 27, 2022 | | | | |
वित्त वर्ष 2020-21 (कर निर्धारण वर्ष 2021-22) के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2021 मुकर्रर की गई थी। मगर कोरोना महामारी के कारण तमाम लोगों को हो रही परेशानी देखते हुए देर से रिटर्न जमा करने की तारीख 15 फरवरी कर दी गई थी और बाद में उसे बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया गया था। अगर आप 31 दिसंबर की तय समयसीमा में रिटर्न दाखिल करने से चूक गए थे तो जल्दी कीजिए क्योंकि अब आपके पास केवल चार दिन हैं। इनमें भी ढिलाई बरती तो आपको बहुत भारी पड़ सकता है।
टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्य अधिकारी दीपक जैन कहते हैं, 'यदि करदाता इस तारीख तक भी अपना रिटर्न नहीं भर पाता है तो उसे अघोषित आय के लिए कारण बताओ नोटिस दिया जा सकता है। उस सूरत में उस पर दोहरी मार पड़ेगी। उसे जुर्माना भरना होगा और ब्याज भी चुकाना होगा। साथ ही समय से कर या रिटर्न भरने पर जो फायदे मिलते हैं, उनसे भी उसे वंचित रहना होगा।'
अगर करदाता पर कोई कर देनदारी है और वह रिटर्न 31 मार्च तक रिटर्न भरने में नाकाम रहता है तो उसे जेल का मुंह भी देखना पड़ सकता है।
ढिलाई के नतीजे गंभीर
यदि करदाता रिटर्न दाखिल करने के लिए बढ़ाई गई तारीख यानी 31 मार्च तक भी अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाता है तो आयकर विभाग अपने अनुपालन पोर्टल के जरिये उसे नोटिस जारी कर सकता है। उस नोटिस में उससे देर होने का कारण पूछा जाएगा।
आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के मनीत पाल सिंह समझाते हैं, 'यदि आयकर विभाग मानता है कि आपने वह आय छिपाई है, जिस पर आपको कर चुकाना चाहिए था तो आयकर विभाग की धारा 148 के तहत कर निर्धारण की कार्यवाही शुरू की जा सकती है। आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करके आपने जो कर की चोरी है, उस पर आयकर विभाग धारा 270ए के तहत कम से कम 50 फीसदी जुर्माना भी लगा सकता है। इस जुर्माने के अलावा आपको पूरा कर तो चुकाना ही होगा, जिस तारीख को आप रिटर्न दाखिल कर रहे हैं, उस तारीख तक का ब्याज भी आपसे वसूला जाएगा।'
धारा 234एफ के तहत जुर्माना
आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के अनुसार आयकर रिटर्न दाखिल करने में देर होने पर करदाता को जुर्माना भरना होगा। इतना ही नहीं, यदि 31 दिसंबर, 2021 की तय समयसीमा के बाद रिटर्न दाखिल करने पर विलंब शुल्क भी भरना पड़ेगा। अगर कर योग्य आय 5 लाख रुपये से अधिक है तो 5,000 रुपये विलंब शुल्क भी वसूला जाएगा और कर योग्य आय 5 लाख रुपये से कम है तो विलंब शुल्क 1,000 रुपये रहेगा।
कभी-कभी किसी तरह की कर देनदारी नहीं बनने पर भी करदाता को आयकर रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। ऐसा तब होता है, जब उसकी कुल आय बुनियादी छूट वाली आय सीमा से अधिक होती है मगर 5 लाख रुपये के पार नहीं जाती है और धारा 87ए के अंतर्गत रिबेट मिलने के कारण उसे किसी तरह का कर नहीं भरना होता है।
प्रिवी लीगल सर्विस एलएलपी में मैनेजिंग पार्टनर मुइज रफीक कहते हैं, 'ऐसा तब भी हो सकता है, जब करदाता को आयकर रिटर्न इसलिए दाखिल करना पड़े क्योंकि वह भारत से बाहर संपत्तियों का स्वामी है, विदेश में किसी खाते पर हस्ताक्षरकर्ता की उसकी हैसियत है या उसने बिजली अथवा विदेश यात्रा पर तय सीमा से अधिक खर्च कर दिया है।' ऐसे मामलों में विलंब शुल्क 1,000 रुपये होता है।
गंवाने पड़ेंगे फायदे
अगर करदाता अपना आयकर रिटर्न समय पर दाखिल नहीं करता है तो उसे जुर्माना, ब्याज, विलंब शुल्क तो चुकाना ही पड़ेगा, कई तरह के फायदों से भी हाथ धोना पड़ेगा। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के मनीत पाल सिंह समझाते हैं, 'यदि करदाता को आय के किसी भी मद में नुकसान उठाना पड़ा है तो उसे तय तारीख तक ही अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर देना चाहिए वरना घाटे को आगे के सालों में ले जाने और कर छूट के रूप में भरपाई करने की इजाजत नहीं मिलेगी।'
विक्टोरियम लीगलिस - एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा बताते हैं, 'जो करदाता तय तारीख तक अपना रिटर्न दाखिल करने से चूक जाता है, उसे चुकाए गए अतिरिक्त का रिफंड तो मिलता है मगर कर रिटर्न दाखिल करने में उसने जितनी देर की है, उस अवधि का ब्याज उसे नहीं दिया जाता है।'
ध्यान रहें ये बातें
करदाता अगर अपना रिटर्न देर से दाखिल कर रहा है तो उसे कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए। टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्य अधिकारी दीपक जैन कर भरने पर ज्यादा ध्यान देने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, 'देर से कर रिटर्न भरना है तो उससे पहले अपनी समूची कर देनदारी खत्म कर दीजिए यानी जो कर बन रहा है, उसे पहले चुका दीजिए।'
आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए अब आपके पास केवल चार दिन का समय है, इसलिए जल्दबाजी या बदहवासी में रिटर्न भरते समय आपसे गलती भी हो सकती है। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के मनीत पाल सिंह कहते हैं, 'सही बात तो यह है कि जो रिटर्न दाखिल करने में आप पहले ही देर कर चुके हैं, उसमें किसी तरह के संशोधन की नौबत आने ही नहीं देनी चाहिए। रिटर्न के साथ जो भी दस्तावेज लगाने जरूरी होते हैं, वे सभी आपको अपने पास रखने चाहिए, जैसे फॉर्म 16 या 16ए, नगरपालिका के करों की रसीदें, होम लोन का सर्टिफिकेट, खरीद या बिक्री के दस्तावेज, वित्त वर्ष के दौरान खरीदे या बेचे गए शेयरों के स्टेटमेंट, कर योग्य आय में जिस कटौती का दावा किया जा रहा है, उसका सबूत। जब रिटर्न भर रहे हों तो उन सभी का जिक्र उचित तरीके से और उचित स्थान पर करना चाहिए।'
एक बड़ी गलती अक्सर हो जाती है और वह है किराये से होने वाली आय जैसी कुछ खास प्रकार की आय का जिक्र नहीं करना और कर्मचारी भविष्य निधि में किए जा रहे अंशदान पर कटौती का दावा नहीं करना। इनसे बचना चाहिए। इसके अलावा विक्टोरियम लीगलिस - एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा एक और चूक की ओर ध्यान दिलाते हैं। वे कहते हैं कि करदाता को रिटर्न भरते समय बैंक का ब्योरा बेहद बारीकी से भरना चाहिए क्योंकि अक्सर लोग बैंक का विवरण देने में गलती कर जाते हैं, जो बाद में परेशानी का कारण बनती है।
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