बाजार की चाल का आईपीओ योजना पर पड़ा असर | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई March 25, 2022 | | | | |
बाजार में लगातार हो रहे उतारचढ़ाव और भारतीय जीवन बीमा निगम की शेयर बिक्री में हो रही देरी ने सार्वजनिक निर्गम पेश करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों की योजना को पटरी से उतार दिया है। जिन फर्मों को अपने-अपने सार्वजनिक निर्गम के लिए बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिल गई है वे अब अंतिम विवरणिका मार्च के वित्तीय आंकड़ों के साथ नियामक के पास दोबारा जमा करा सकती है, जिन्हें मई के आखिर तक अंतिम रूप दिया जा सकता है और उसी समय तक उसका अंकेक्षण हो सकता है। बैंकरों ने यह जानकारी दी। इसका मतलब यह हुआ कि ये सार्वजनिक निर्गम सितंबर तिमाही या फिर जून तिमाही में बाजार में उतारे जा सकते है, यानी साल की शुरुआत में सूचीबद्ध कराने की उम्मीद कर रही कंपनियों की योजना में छह महीने या ज्यादा की देर हो सकती है।
करीब 52 कंपनियों (एलआईसी को छोड़कर) को नियामकीय मंजूरी मिली है और ये इस साल आईपीओ के जरिए 75,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रहे हैं। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इसके अलावा बाजार नियामक के पास विवरणिका का मसौदा जमा कराने वाली अन्य 46 कंपनियां मंजूरी की प्रतीक्षा कर रही हैं। सेंट्रम कैपिटल के पार्टनर (ईसीएम) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, देर हो चुकी है और यह कहना मुश्किल है कि कब दोबारा खिड़की खुलेगी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पिछले साल अक्टूबर से अब तक भारतीय बाजारों से 19.5 अरब डॉलर की निकासी की है और रूस-यूक्रेन विवाद की पृष्ठभूमि में वे अपने पोर्टफोलियो को दोबारा दुरुस्त करने में व्यस्त हैं। विदेशी निवेशकों की सुस्त दिलचस्पी का तात्कालिक आधार पर आईपीओ के मूल्यांकन पर असर दिख सकता है, इसी वजह से कंपनियां अपनी पेशकश के लिए अपेक्षाकृत अनुकूल वक्त का इंतजार कर रहे हैं।
प्राइवेट इक्विटी फर्म के एक कर्मी ने कहा, पीई समर्थित आईपीओ जून तिमाही मेंं शायद ही आएगा क्योंकि मिड व स्मॉलकैप में उतारचढ़ाव है और मूल्यांकन पर भी दोबारा विचार होगा।
पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच 47 कंपनियोंं ने बाजार नियामक सेबी के पास डीआरएचपी जमा कराया था और उनका इरादा 2022 की शुरुआत में बाजार में उतरने का था। अमेरिका में अगर किसी कं पनी के आईपीओ का विपणन होना है तो डीआरएचपी में वित्तीय आंकड़े 135 दिन से ज्यादा पुराने नहीं हो सकते।
इसका मतलब यह हुआ कि सेबी के पास दस्तावेज जमा करा चुकी कंपनियों के पास दिसंबर तिमाही के वित्तीय आंकड़ों पर काम करने और जनवरी से मई की खिड़की पर नजर डालने का विकल्प था।
साल की शुरुआत में हालांकि एफपीआई की निकासी के बीच बाजार मेंं काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला। रूस-यूक्रेन युद्ध फरवरी में शुरू हुआ, जिससे उतारचढ़ाव में इजाफा हुआ और एलआईसी ने मार्च में आईपीओ पेश करने का इरादा जताया, ऐसे में अग्रणी कंपनियां आईपीओ योजना पर दोबारा सोच रही हैं और मार्च के वित्तीय आंकड़ों पर काम कर रही हैं।
बीमा कंपनी के आईपीओ में देर इंतजार कर रही कंपनियों के लिए अच्छा नहींं रहा क्योंकि इस आईपीओ से बाजार से नकदी खींचे जाने की संभावना थी और बीमा कंपनी की शेयर बिक्री के कुछ हफ्तों में कंपनियां अपनी पेशकश उतारना चाहेंगी।
शुरुआती पेशकश की इच्छुक फर्मों को अब मूल्यांकन पर भी कटौती झेलनी पड़ सकती है। प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों और उसके निवेशकों की ओएफएस योजना टाले जाने के बीच ओयो होटल्स कथित तौर पर अपने आईपीओ का आकार घटाने पर विचार कर रही हैं।
इस साल सिर्फ तीन कंपनियां ही शेयर बिक्री में कामयाब रही हैं। साल 2021 में आईपीओ के जरिए रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए और उम्मीद थी कि एलआईसी के भारी भरकम आईपीओ की पृष्ठभूमि इस साल यह आंकड़ा और बढ़ेगा। लेकिन अब ऐसा होने की संभावना धूमिल हो रही है।
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