महाराष्ट्र के सरकारी दफ्तरों में अब मराठी अनिवार्य | |
सुशील मिश्र / मुंबई 03 24, 2022 | | | | |
महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को लेकर विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जिसको सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई। इस विधेयक के तहत सभी नगर निगमों, नगर निकायों और स्थानीय प्रशासन के तहत होने वाले सरकारी कामकाज के लिए मराठी भाषा को अनिवार्य बनाया गया है। राज्य में दुकानों का नाम मराठी में लिखना पहले से अनिवार्य किया जा चुका है।
राज्य के मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम, 1964 के कारण इस विधेयक को पेश करना आवश्यक था क्योंकि उसमें स्थानीय अधिकारियों के लिए अपने आधिकारिक कार्यों में मराठी का उपयोग करना अनिवार्य नहीं था। उन्होंने अधिनियम में प्रावधान की कमी का लाभ लेने वाले अधिकारियों के उदाहरणों का भी हवाला दिया। देसाई ने कहा कि हमने उस गलती को दूर करने का प्रयास किया है। कोई भी (स्थानीय) प्राधिकरण, चाहे वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार या (राज्य द्वारा संचालित) निगमों द्वारा स्थापित हो, उसे जनता के साथ संवाद करते समय तथा कार्यों में भी मराठी का उपयोग करना होगा। मंत्री ने यह भी कहा कि विदेशी राजदूतों के साथ संवाद करने जैसे कुछ सरकारी कार्यों के लिए स्थानीय अधिकारियों को अंग्रेजी या हिंदी के उपयोग की अनुमति दी गई है।
देसाई ने विधान परिषद में कहा कि हम इस बार सार्वजनिक और व्यावसायिक स्थानों पर मराठी भाषा का उपयोग न करने का बहाना खोजने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य सरकार सरल मराठी शब्दों का एक शब्दकोश भी ला रही है, जिसका दिन-प्रतिदिन के काम में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले विधानसभा में भाजपा विधायक योगेश सागर ने विधेयक पर अपनी बात रखते हुए पूछा कि चुनाव नजदीक आते देख मराठी के प्रति प्रेम क्यों उमड़ पड़ा है? वह आगामी स्थानीय निकाय चुनावों का जिक्र कर रहे थे, जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव भी शामिल है। सागर ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सभी कामकाज मराठी में होने चाहिए।
सवालों का जवाब देते हुए देसाई ने कहा कि इस मुद्दे को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि क्या हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन सिर्फ इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि चुनाव नजदीक हैं? विधेयक लाना हमारा अधिकार है। चुनाव होते रहेंगे।
दुकानों का नाम भी मराठी भाषा में लिखना राज्य में पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है। इसी महीने महाराष्ट्र सरकार ने एक और नियम पास किया था, जिसके तहत महाराष्ट्र में सभी दुकानों को अपना नाम मराठी में लिखना अनिवार्य किया गया है। नियम के मुताबिक सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड पर मराठी में अपने नाम लिखने होंगे। साथ ही मराठी में लिखे नाम के अक्षरों का आकार, दूसरी लिपि या भाषा में लिखे अक्षरों के आकार से छोटा नहीं होना चाहिए ।
खुदरा व्यापारियों का संगठन इस मामले को लेकर अदालत भी गया था। हालांकि बंबाई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के इस नियम को सही करार देते हुए व्यापारियों की याचिका खारिज कर दी थी। इसके अलावा अदालत ने याचिका खारिज करते हुए 'फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स' पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। अदातल ने आदेश में कहा कि दुकानों पर उनके बोर्ड में किसी अन्य भाषा के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है और नियम के अनुसार दुकान का नाम मराठी में प्रदर्शित होना अनिवार्य है।
|