अमेरिका में महामारी के बाद हुए आर्थिक सुधार ने भारत को 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद की है। किसी वित्तीय वर्ष में निर्यात का इतना बड़ा लक्ष्य भारत ने पहली बार हासिल किया है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जुटाए गए प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 1 अप्रैल, 2021 से 21 मार्च, 2022 तक अमेरिका को 73 अरब डॉलर के सामानों का निर्यात किया जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 47 फीसदी अधिक है। कुल निर्यातों की तुलना में अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात की हिस्सेदारी 18.2 फीसदी है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के साथ साथ सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है। सोमवार को सरकार ने कहा था कि भारत ने निर्धारित समय से पहले ही 400 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात लक्ष्य को हासिल कर लिया। यह पिछले वित्त वर्ष में हुए निर्यात से 37 फीसदी अधिक है। सरकार 31 मार्च तक 410 अरब डॉलर के निर्यात तक पहुंचने को लेकर आश्वस्त है। इसकी वजह यह है कि भारत रोजाना मोटे तौर पर 1.3 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहा है। हालांकि, चीन में कोविड-19 की ताजा लहर आने से उत्पन्न बाधाओं के कारण इस पड़ोसी देश को किए जाने वाले निर्यात में अपेक्षाकृत धीमी गति से वृद्घि हुई है। चीन में कई जगहों पर लॉकडाउन तक लगाया गया है। वित्त वर्ष के पहले 11 महीने में चीन को किया जाना वाला निर्यात केवल 7 फीसदी बढ़ा और इसका मूल्य 19.8 अरब डॉलर था। यह चीन को साल भर में 22 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात लक्ष्य का 90 फीसदी है। लक्ष्य इस महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। निर्यातकों को इस बात का भय है कि इस साल चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य रहा। कोविड-19 से उत्पन्न बाधाओं के बाद पश्चिमी बाजारों में सुधार के अलावा उच्च निर्यात के लिए अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं जिसमें पिछले साल से जिंस कीमतों में आई तेजी के साथ साथ घरेलू मुद्रा में मामूली गिरावट शामिल है। जहां तक जिंसों की बात है तो वित्त वर्ष 2022 में निर्यात वृद्घि इंजीनियरिंग सामानों, पेट्रोलियम उत्पादों, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनों तथा कपड़ों के दम पर हासिल हुई है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने जिन आंकड़ों का अवलोकन किया है उसके मुताबिक भारत ने 1 अप्रैल, 2021 से 21 मार्च, 2022 तक 107.8 अरब डॉलर मूल्य के इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात किया जो कि सालाना आधार पर 46.5 फीसदी अधिक है। इसके साथ ही इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात का पूरे वर्ष के लिए रखा गया लक्ष्य भी हासिल हो गया और सामानों के कुल निर्यात में इनकी हिस्सेदारी एक चौथाई से अधिक रही। इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात के लिए शीर्ष पांच गंतव्य अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, इटली और जर्मनी है। कुल निर्यातों में 15 फीसदी की हिस्सेदारी वाले पेट्रोलियम उत्पाद लक्ष्य के 110 फीसदी पर पहुंच गए। 21 मार्च तक 59.6 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया गया जो कि सालाना आधार पर 141 फीसदी अधिक है। आंकड़ों से पता चलता है कि कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन, अनाज, पेट्रोलियम उत्पाद, सूती धागा/कपड़े/तैयार सामान, हथकरघा उत्पाद, कोयला और अन्य अयस्क, इंजीनियरिंग सामान और प्लास्टिक तथा लिनोलियम ऐसे जिंस रहे जिनका निर्यात 21 मार्च तक लक्ष्य से अधिक हुआ। आधिकारिक बयान के मुताबिक, 'इंजीनियरिंग सामानों, परिधान और वस्त्रों आदि के निर्यात से संकेत मिलते हैं कि भारत प्राथमिक जिंसो का बड़ा निर्यातक है, यह भ्रम धीरे धीरे दूर हो रहा है।'
