मर्कोसुर से सूरजमुखी तेल का होगा आयात! | असित रंजन मिश्रा / नई दिल्ली March 24, 2022 | | | | |
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वहां से कच्चे सूरजमुखी तेल के आयात में रुकावट आ गई है, जिससे खाद्य तेल के दाम आसमान छूने लगे हैं।
ऐसे में भारत मर्कोसुर देशों (अर्जेंटीना, ब्राजील, पराग्वे और उरुग्वे) से कच्चा सूरजमुखी तेल के आयात के लिए दीर्घावधि अनुबंध करने की संभावना तलाश रहा है। लैटिन अमेरिकी देशों के समूह के साथ मौजूदा तरजीही शुल्क करार के तहत भारत को मर्कोसुर देशों से आने वाले सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क घटानी पड़ सकती है और साथ ही सख्त परीक्षण की जरूरत को भी दरकिनार करना पड़ सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'हम मर्कोसुर देशों से इस बारे में दो से तीन चरण की बातचीत कर चुके हैं। हमें दीर्घावधि अनुबंध पर हस्ताक्षर करने होंगे क्योंकि कृषि उपज के मामले में मांग को पूरा करने से पहले योजना बनाने की जरूरत होगी है। अभी तक मर्कोसुर देशों से केवल चीन को ही सूरजमुखी तेल का निर्यात किया जा रहा था क्योंकि भारत में निर्यात पर बंदिशें हैं। हमारे यहां शुल्क-कोटा संबंधी पाबंदियां हैं और साथ ही प्लांट क्वारंटीन की भी पाबंदियां हैं। हमें मर्कोसुर देशों के साथ मौजूदा तरजीही व्यापार करार को खोलना होगा और सूरजमुखी तेल पर शुल्क भी घटाना होगा।' अधिकारी ने कहा कि देश दक्षिणी में सूरजमुखी पौधारोपन को पुनर्जीवित करने की भी संभावना तलाश रहा है ताकि लंबी अवधि में घरेलू मांग आंशिक तौर पर पूरी की जा सके।
भारत ने मर्कोसुर देशों (अर्जेंटीना, ब्राजील, पराग्वे और उरुग्वे) के साथ पीटीए पर हस्ताक्षर किए हैं। वर्ष 2021 में मर्कोसुर देशों में भारत का निर्यात 67.4 फीसदी बढ़कर 7.8 अरब डॉलर रहा और आयात 51.7 फीसदी बढ़कर 9.1 अरब डॉलर था। भारत अपनी जरूरत का 60 फीसदी खाद्य तेल का आयात करता है जिसमें सूरजमुखी तेल की हिस्सेदारी करीब 14 फीसदी है। 2021 में भारत ने कुल कच्चा सूरजमुखी तेल का 90 फीसदी आयात यूक्रेन और रूस से किया था, जिसका मूल्य करीब 2.4 अरब डॉलर है और अर्जेंटीना से केवल 23.3 करोड़ डॉलर मूल्य का सूरजमुखी तेल आयात किया गया था। रूस-यूक्रेन युद्घ की वजह से घरेलू बाजार में सूरजमुखी तेल के दाम 140-150 रुपये लीटर से बढ़कर 190 रुपये लीटर तक पहुंच गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'खाद्य तेलों के दाम पहले से ही बढ़ रहे थे और इसकी वजह से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी उत्पादों के दाम बढ़ा रहे हैं। इससे खुदरा मुद्रास्फीति में भी तेजी आई है।' भू-राजनीतिक तनाव से रूस और यूक्रेन से आयात होने वाले जिंसों जैसे कि उर्वरक, कच्चे तेल, धातु आदि के दामों में तेजी आई है। इसके साथ यूक्रेन और रूस को होने वाले निर्यात पर भी असर पड़ रहा है। निर्यातक वैकल्पिक रास्ता भी तलाश रहे हैं।
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