बीएस बातचीत कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के सीईओ प्रतीक गुप्ता का मानना है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी विवाद और तेल की कीमतों पर स्पष्टता सामने आने तक शेयरों मेंं उतारचढ़ाव बना रहेगा। समी मोडक को दिए साक्षात्कार में गुप्ता ने कहा, चूंकि दुनिया भर में ब्याज दरो में बढ़ोतरी हो रही है, लिहाजा बाजार एकीकरण के दौर में प्रवेश कर सकता है। मुख्य अंश... बाजार में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिल रहा है, एक दिन यह गिरता है तो दूसरे दिन यह ऊपर चढ़ जाता है। क्या यह नई सामान्य स्थिति है? दो घटनाक्रम से जुड़े जोखिम अब नहीं रह गए हैं - पहला राज्यों मेंं हुए चुनाव के नतीजे और दूसरा फेडरल रिजर्व की तरफ से दरों में बढ़ोतरी। हालांकि रूस-यूक्रेन की स्थिति और तेल कीमतों पर स्पष्टता तक बाजारों में उतारचढ़ाव बना रहेगा। संयोग से चीन में इससे ज्यादा उतारचढ़ाव देखने को मिला है, जो पिछले हफ्ते 10 फीसदी नीचे गया और कुछ ही दिनों में पूरी तरह रिकवरी भी हो गई। यह उतारचढ़ाव भारत को भी प्रभावित करता है। वैश्विक निवेशकों की राय मिश्रित है - चीन का बाजार और आकर्षक हो गया है, ऐसे में भारत से रकम निकालकर चीन मेंं लगाया जाए। दूसरी राय यह है कि पिछले छह महीने में चीन ने भारत के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है, ऐसे में कुछ निवेशक भारत में बने रहना चाहते हैं। बाद वाली राय पिछले कुछ दिनों में देखने को मिली है क्योंकि हमने विदेशी निवेशको की बिकवाली में कमी देखी है।भारत के मूल्यांकन को अभी आप कैसे देखते है? सर्वोच्च स्तर से 7 फीसदी टूटने के बाद भी भारत अभी भी सस्ता नहीं है। निफ्टी वित्त वर्ष 23 की आय के करीब 20 गुने पर कारोबार कर रहा है। साथ ही मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इन्वेस्टमेंट्स (एमएससीआई) ईएम इंडेक्स के मुकाबले भारत का प्रीमियम मूल्यांकन करीब 70 फीसदी है। हमेशा ही प्रीमियम होता है और यह 15 फीसदी से लेकर 90 फीसदी के दायरे में रहता है। पर हम एक बार फिर इस दायरे के ऊपरी स्तर की ओर है। भारत का लंबी अवधि का परिदृश्य अच्छा है लेकिन अपेक्षाकृत महंगे मूल्यांकन ने इस साल बढ़त को सीमित कर दिया है, खास तौर से ब्याज दर में बढ़ोतरी के माहौल में। अमेरिका में आर्थिक मंदी के जोखिम का वैश्विक इक्विटी पर प्रतिकूल असर हो सकता है। अन्य जोखिम है भूराजनीतिक व तेल से जुड़ी अनिश्चितता क्योंकि यह आर्थिक व कंपनियों की आय की रफ्तार को सुस्त कर सकता है। कोरोना का जोखिम भी उभर रहा है क्योंकि चीन व दक्षिण कोरिया में मामले बढ़े हैं। इसके अलावा अभी मॉनसून का जोखिम भी है, जिसे अभी देखा जाना बाकी है।आप बाजारों में किस तरह की चाल देख रहे हैं? हमें लगता है कि इक्विटी बाजार साल के ज्यादातर समय में सीमित दायरे में रहेगा, यह मानते हुए कि भूराजनीतिक स्थिति में और गिरावट नहीं आएगी और तेल की कीमतें और ऊपर नहीं जाएंगी। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरें बढ़ रही हैं और जोखिम यह है कि आर्थिक बढ़त की रफ्तार शायद मजबूत नहीं रह सकती है, ऐसे में पिछले साल की तरह वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजारों का प्रदर्शन शायद मुश्किल होगा। आय की रफ्तार भी सुस्त हो रही है। दूसरी ओर, उच्च ब्याज दर इक्विटी बाजारों पर लगाम कसती है और हम फेड के कदम से दो-चार हो रहे हैं।आय की रफ्तार को लेकर आपका क्या अनुमान है? वित्त वर्ष 22 में हम निफ्टी की आय में 35 फीसदी की बढ़त हासिल करने के लिहाज से पटरी पर हैं और वित्त वर्ष 23 व 24 में हम हर साल करीब 15 फीसदी आय की रफ्तार की उम्मीद कर रहे हैं। निफ्टी की आय को लेकर हमारा अनुमान काफी ज्यादा नहीं बदला है लेकिन हमने वाहन क्षेत्र, उपभोक्ता सामान और सीमेंट क्षेत्र की आय के अनुमान में कटौती देखी है। जिंसों से जुड़े सभी क्षेत्रों ने आय में अपग्रेड देखा है। भारत का लंबी अवधि का परिदृश्य अन्य वैश्विक उभरते बाजारों के मुकाबले काफी मजबूत नजर आ रहा है।
