फिच ने विकास अनुमान घटाया | असित रंजन मिश्रा / नई दिल्ली March 22, 2022 | | | | |
फिच रेटिंग्स ने ऊर्जा की तेजी से बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए मंगलवार को वित्त वर्ष 23 के लिए भारत का अपना विकास अनुमान 180 आधार अंक तक घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है। यूक्रेन पर रूस के हमले और रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से ऊर्जा की कीमतें अधिक हो गई हैं, आपूर्ति-शृंखला में व्यवधान पड़ा है, कच्चे माल की कमी हुई है और मुद्रास्फीति की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। विकास की रफ्तार में गिरावट के परिणामस्वरूप फिच ने अपने नवीनतम वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में वर्ष 2022 के लिए अपने विश्व सकल घरेलू उत्पाद के विकास अनुमान को 0.7 प्रतिशत अंक तक घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया है।
रेटिंग एजेंसी ने ईंधन की बढ़ती लागत के संबंध में भारत के लिए अपने मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को भी संशोधित करके बढ़ा दिया है। फिच ने कहा कि हमने अपने मुद्रास्फीति के पूर्वानुमानों को संशोधित कर बढ़ा दिया है। ईंधन के स्थानीय दाम पिछले सप्ताहों के दौरान स्थिर रहे हैं, लेकिन हम मानते हैं कि तेल कंपनियां तेल की अधिक कीमतों को अंतत: ईंधन के खुदरा दामों पर डाल देंगी (सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कमी से कुछ सामंजस्य बैठाते हुए)। अब हम मुद्रास्फीति को और मजबूत होते हुए देख रहे हैं, जो धीरे-धीरे कम होने से पहले वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में सात प्रतिशत से ऊपर पहुंच चुकी है। हमें इस बात की संभावना लगती है कि मुद्रास्फीति पूर्वानुमान के अनुसार वर्ष 2021 में 6.1 प्रतिशत वार्षिक औसत और वर्ष 2022 में पांच प्रतिश्त के स्तर पर बनी रहेगी। उधर, चार महीने के अंतराल के बाद तेल विपणन कंपनियों द्वारा पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी की गई है।
फिच ने कहा कि अधिक-आवृत्ति वाले आंकड़ों से इस बात का संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 और 2021 के दौरान कोरोना वायरस की लहरों के विपरीत ओमीक्रोन की लहर से हल्के नुकसान के साथ उबर गई है। सेवा क्षेत्र के पीएमआई सूचकांक ने गतिविधि में जनवरी और फरवरी में ही मंदी दिखाई है। जनवरी में ओमीक्रोन लहर के चरम पर औद्योगिक उत्पादन मामूली वृद्धि दर्ज करने में कामयाब रहा। इस लहर के तेजी से नरम पडऩे के साथ ही प्रतिबंधों को वापस ले लिया गया है, जिससे वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास की रफ्तार के लिए मंच तैयार हुआ है।
उधर, इससे अलग आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने मंगलवार को कहा कि भारत की वास्तविक जीडीपी वर्ष 2022 में 8.1 प्रतिशत और वर्ष 2023 में 5.5 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है। संगठन ने कहा कि सकारात्मक रूप में वित्त वर्ष 2022 के लिए बजटीय प्रावधानों, जिनमें बुनियादी ढांचे का अधिक व्यय भी शामिल है, से महामारी के बाद उबरने में मदद मिल सकी।
|