इस्पात कंपनियां कच्चे माल की लागत में हुई बढ़ोतरी का बोझ हल्का करने के लिए विकल्प तलाश रही हैं क्योंकि वे अप्रैल से शुरू होने वाले अनुबंधों के लिए वाहन कंपनियों के साथ चर्चा शुरू कर रही हैं। आमतौर पर छह महीने की औसत इस्पात कीमतों को बातचीत के दौरान बेंचमार्क के तौर पर उपयोग किया जाता है। लेकिन बातचीत में इस्पात की कीमतों के अलावा रूस-यूक्रेन जंग के कारण कच्चे माल में तेजी का मुद्दा भी शामिल हो सकता है क्योंकि लागत मूल्य वृद्धि से कहीं आगे चल रही है। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्य एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, 'हमारी टीम वाहन कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है और उन्हें बाजार की स्थितियों से अवगत करा रही है। अगले अनुबंध के लिए चर्चा शुरू हो गई है।' उन्होंने कहा, 'विभिन्न सामग्री लागत को प्रभावित करती हैं जैसे फेरोअलॉय, रिफ्रैक्टरीज, कुछ धातुएं एवं खपत होने वाली सामग्री आदि जिनका वाहन क्षेत्र के लिए इस्पात तैयार करने में उपयोग किया जाता है। सभी कच्चे माल की लागत बढ़ गई है और वह केवल लौह अयस्क या कोकिंग कोल तक सीमित नहीं है।' आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि आगामी महीनों के अनुबंधों पर वाहन कंपनियों के साथ चर्चा अभी नहीं हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और मौजूदा बाजार पदिृश्य में उतार-चढ़ाव से उद्योग को झटका लग रहा है क्योंकि फरवरी के अंत और मार्च के बीच इनपुट लागत आसमान छू रही थी। धर ने कहा, 'हमें इसे अप्रैल से शुरू होने वाले अनुबंधों में समाहित करने की आवश्यकता है।' वाहन कंपनियों के साथ मौजूदा अनुबंध की अवधि अक्टूबर से मार्च तक है जबकि अप्रैल से अगले छह महीने की अवधि के लिए नए अनुबंध किए जाएंगे। पिछले छह महीनों के दौरान नवंबर में इस्पात की कीमत सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गई थी लेकिन दिसंबर में उसमें उल्लेखनीय गिरावट आई थी। फिलहाल इस्पात की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर लौट चुकी हैं। मार्च से कंपनियों ने मासिक अनुबंध के लिए कीमतों में करीब 6,000 रुपये प्रति टन का इजाफा किया है। एक सूत्र ने कहा कि व्यापार श्रेणी के लिए यह कहीं अधिक है। लेकिन लागत में वृद्धि फिलहाल मूल्य वृद्धि के मुकाबले कहीं अधिक है। कच्चे माल की कीमतों में कुछ समय के लिए तेजी दिखती थी लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उसे काफी रफ्तार मिली है। रूस और यूक्रेन इस्पात एवं अन्य कच्चे माल जैसे कोयला, लौह अयस्क एवं धातु आदि के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश हैं। इन दोनों देशों से आपूर्ति बाधित होने के कारण कीमतों में तेजी आई है। आचार्य ने कहा कि अब यह देखना होगा कि इस्पात और वाहन उद्योग के बीच लागत का बोझ किस प्रकार हल्का किया जा सकता है।
