भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के विलय का प्रस्ताव कुछ और नहीं बल्कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों (पीएसयू) को जीवनदान देने का एक और प्रयास भर होगा। बीएसएनएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पी के पुरवार का वक्तव्य इस बात की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विलय के जरिये सरकारी कंपनी को हालात बदलने का अवसर दिया है। आशा की जा रही है कि केंद्र सरकार अपनी जेब ढीली करके यह सुनिश्चित करेगी कि बीएसएनएल को कम से कम दो वर्षों तक पूंजी की कोई कमी न हो क्योंकि विलय के बाद वह नेतृत्व की भूमिका में होगी। सरकार का यह कदम घाटे में चल रही सरकारी दूरसंचार कंपनियों को उबारने के क्रम में हो सकता है लेकिन विलय का फॉर्मूला भारत के ग्रामीण ब्रॉडबैंड लक्ष्यों को हासिल करने के बीबीएनएल के लक्ष्य पाने या बीएसएनएल का घाटा कम करने में मददगार नहीं दिखता।
बीबीएनएल 2012 में स्थापित की गई थी ताकि सुदूर क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण ब्रॉडबैंड सेवा प्राप्त हो सके। यह टेलीमेडिसन और ऑनलाइन शिक्षा आदि के लिए आवश्यक है। परंतु अब तक के नतीजे संतोषजनक नहीं हैं। बीबीएनएल का ग्रामीण ब्रॉडबैंड व्हीकल-भारत नेट-सन 2025 तक छह लाख गांवों को जोडऩे के लक्ष्य से पीछे है। लेकिन, बीबीएनएल के खराब प्रदर्शन के कारण पहले से मुश्किल से जूझ रही बीएसएनएल के काम को और अधिक जटिल नहीं बनाया जाना चाहिए। बीबीएनएल की स्थापना ग्रामीण ब्रॉडबैंड के लिए खासतौर पर की गई थी। यह काम सार्वभौमिक सेवा दायित्व (यूएसओ) कोष की मदद से होना था। यह तब की बात है जब ग्रामीण ब्रॉडबैंड, जो उस वक्त तक बीएसएनएल का दायित्व था, उसे बीबीएनएल को सौंप दिया गया। सन 2012 के अलगाव को इस प्रस्तावित विलय के साथ पूर्व स्थिति में लाना उचित नहीं। बीएसएनएल 4जी सेवा लाने में पीछे रह गया जबकि निजी सेवा प्रदाता 5जी स्पेक्ट्रम की तैयारी कर रहे हैं। सन 2020-21 में बीएसएनएल और एमटीएनएल (बीएसएनएल और बीबीएनएल के साथ इसका भी विलय संभव है) का समेकित घाटा क्रमश: 95,701 करोड़ रुपये तथा 35,348 करोड़ रुपये रहा। इन कंपनियों के कर्मचारियों ने 2019-20 में बड़े पैमाने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का भी लाभ लिया। बीबीएनएल के बीएसएनएल के साथ विलय का निर्णय तब लिया गया जब 10 वर्ष पुराना संस्थान निजी भागीदारी के लिए बोली में कोई भागीदार पाने में विफल रहा। यह बोली ग्रामीण ब्रॉडबैंड का विस्तार बढ़ाने के लिए लगायी गई। बीबीएनएल के जरिये यूएसओ फंड के माध्यम से ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने का विचार था जिस तक सभी दूरसंचार कंपनियों की समान पहुंच होती। प्रस्तावित व्यवस्था भारत नेट के समान पहुंच के प्राथमिक लक्ष्य को ही दरकिनार कर सकती है। हालांकि बीएसएनएल ने दावा किया है कि यूएसओ फंड के 58,000 करोड़ रुपये से अधिक के फंड की अभिरक्षक होने के नाते वह सुनिश्चित करेगी कि उसकी सभी परिसंपत्तियां सभी सेवा प्रदाताओं को निष्पक्ष रूप से मिलें लेकिन सरकार को आत्मावालोकन की आवश्यकता है। घाटे में चल रही सभी सरकारी दूरसंचार कंपनियों को एक साथ करने के बजाय सरकार को उनकी हालत सुधारने के व्यावहारिक तरीकों पर विचार करना चाहिए। यदि बीबीएनएल को पीपीपी ढांचे की दिशा में बढऩे पर निजी बोली नहीं हासिल हुईं तो उसे अब इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। अंशधारकों ने निविदा में कठिन शर्तों को लेकर सवाल उठाए और कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित राजस्व साझेदारी की व्यवस्था कारोबारी समझ के अनुकूल नहीं है। इसके पश्चात लॉजिस्टिक का मसला है। मसलन विभिन्न राज्यों से ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए जरूरी मंजूरी एक चुनौती रही है। सेवा समझौतों के क्रियान्वयन को भी कई निजी कंपनियों ने एक बाधा के रूप में रेखांकित किया। सरकार ने बीएसएनएल को भले ही 2025 तक ग्रामीण ब्रॉडबैंड का लक्ष्य हासिल करने के लिए खुलकर काम करने की छूट दी हो लेकिन प्रस्तावित विलय फिर भी सही तरीका नहीं है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.