वृद्घि को सहारा देता रहेगा आरबीआई | मनोजित साहा और सुब्रत पांडा / मुंबई March 21, 2022 | | | | |
पिछले दो साल में मुद्रास्फीति में मौसमी बढ़ोतरी के बावजूद मौद्रिक नीति में बदलाव नहीं करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक वृद्धि दर को बढ़ावा देना जारी रखेगा। इसके लिए उत्पादक क्षेत्रों की मदद को तंत्र में पर्याप्त तरलता भी सुनिश्चित करेगा, साथ ही विनिमय दर में स्थिरता लाने की दिशा में भी काम करता रहेगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज ये बातें कहीं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीसीआई) के एक कार्यक्रम में दास ने कहा, 'आरबीआई ने पिछले दो साल से वृद्घि दर के अनुकूल मौद्रिक नीति बनाए रखी है और हमने मौद्रिक नीति को सख्त बनाने की आशंका को भी दूर किया है। आगे भी हमारा रुख समायोजन वाला होगा क्योंकि मुद्रास्फीति में नरमी आने के संकेत हैं।'
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक वृद्धि दर को सहारा देता रहेगा लेकिन कीमतों में स्थायित्व लाने की अपनी मुख्य जिम्मेदारी के प्रति भी सचेत रहेगा। उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था जब गिरावट के दौर से जूझ रही हो थी तब मौद्रिक रुख में बदलाव करना सही नहीं था। आरबीआई आगे भी वृद्घि को सहारा देता रहेगा। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में हम क्या करेंगे, उसके बारे में चर्चा की जाएगी।'
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में आठ महीने के उच्च स्तर 6.07 फीसदी पर पहुंच गई। आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष के लिए इसके 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। दास ने कहा कि 6 से 8 अप्रैल को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में इन आंकड़ों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा, 'कई क्षेत्रों में मुद्रास्फीति बढऩे को लेकर चिंता जताई जा रही है। 2020 और 2021 में भी ऐसी ही स्थिति थी। पिछले दो महीनों में मुद्रास्फीति 6 फीसदी से ऊपर रही है। हमारा पहले का अनुमान था कि मार्च 2023 तक मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहेगी। अब हमें यह देखना होगा। मैं मुद्रास्फीति के अनुमान पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि इस पर मौद्रिक नीति समिति में विचार किया जाएगा।'
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक बैंकिंग तंत्र में पर्याप्त तरलता बनाए रखना सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, 'हम सुनिश्चित करेंगे कि बाजार में समुचित तरलता हो और उधारी तंत्र समान्य तरीके से चले। अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त तरलता की आवश्यकता होगी।' उन्होंने कहा कि बीते दो साल में कुल 17 लाख करोड़ रुपये की तरलता सहायता दी गई जिनमें से बैंकों ने 12 लाख करोड़ रुपये का लाभ उठाया और 5 लाख करोड़ रुपये वापस आ चुके हैं।
केंद्रीय बैंक ने यूक्रेन को लेकर भू-राजनीतिक तनाव का भारत पर असर पडऩे की आशंका को भी खारिज किया और भरोसा दिलाया कि आरबीआई भारतीय मुद्रा के स्थायित्व को बरकरार रखेगा।
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