विश्लेषकों को पसंद आ रहे पेपर कंपनियों के शेयर | निकिता वशिष्ठ / नई दिल्ली March 20, 2022 | | | | |
बाजारों में बढ़ती अस्थिरता के बावजूद पेपर कंपनियों के शेयरों में इस कैलेंडर वर्ष में अब तक मजबूती दर्ज की गई है। एसीई इक्विटी के आंकड़े के अनुसार, उदाहरण के लिए, जेके पेपर का शेयर इस साल अब (वाईटीडी) आधार पर 49.5 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स, तमिलनाडु न्यूजप्रिंट ऐंड पेपर्स, रुचिरा पेपर्स, और आंध्रा पेपर में 26.3 प्रतिशत और 33 प्रतिशत की तेजी आई है।
तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी-50 और निफ्टी-500 सूचकांकों में इस साल अब तक 2 प्रतिशत और 3.4 प्रतिशत की कमजोरी आई है। विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू बाजार में सख्त कागज आपूर्ति, कई देशों में कागज की किल्लत के कारण निर्यात में तेजी, चीन से कागज की मांग सामान्य होने से वैश्विक कच्चे माल की कीमतों में भारी तेजी, प्लास्टिक से कागज पर जोर दिए जाने से वैश्विक पैकेजिंग मांग में वृद्घि आदि जैसे कारणों से निर्यात बढ़ा है। इससे प्रमुख कंपनियों के मार्जिन प्रोफाइल को भी मदद मिलेगी।
इस क्षेत्र के बारे में अपनी एक ताजा रिपोर्ट में सेंट्रम ब्रोकिंग के अखिल पारेख और केविन शाह ने कहा, 'कोविड-19 महामारी का प्रभाव घटने से स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और कोर्ट खुले हैं। मांग में सुधार के साथ, वितरकों ने माल को निकालना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, मुद्रास्फीति रुझान से भी वितरक स्तर पर सामान्य से ज्यादा मांग को बढ़ावा मिला है। मांग सामान्य होने और अनुकूल मूल्य निर्धारण से जेके पेपर, वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स और आंध्रा पेपर जैसी कंपनियों के लिए सकारात्मक परिवेश पैदा हुआ है। हमारे विश्लेषणों के अनुसार, अगली कुछ तिमाहियों के दौरान इन कंपनियों के लिए सकारात्मक बदलाव पैदा होने की संभावना है।'
अपशिष्ट कागज की किल्लत के कारण, ग्रेड बी/सी पेपर मिलों के लिए कच्चे माल की लागत ग्रेड ए मिलों को पार कर गई है। इसके अलावा, महामारी से कई कार्यालयों, अदालतों और स्कूलों को लंबे समय तक बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ा था। इस वजह से संग्रह काफी धीमा बना रहा। इन चिंताओं के साथ साथ, यूरोपीय संघ ने अक्टूबर 2021 में अपशिष्ट कागज के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। ग्रेड बी/सी मिलों ने भारत की कुल उत्पादन क्षमता में करीब 60-65 प्रतिशत का योगदान दिया और अपशिष्ट कागज पसंदीदा कच्चा माल होने से, पुनर्चंक्रित कागज की कीमतें 60-65 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं, जबकि महामारी से पहले ये 50 रुपये प्रति किलोग्राम थीं।
हालांकि पुनर्चंक्रित कागज मिलों के समान बने रहने के लिए, ग्रेड ए मिलों ने भी पिछले दो महीनों में कम से कम दो कीमत वृद्घि की हैं। विश्लेषकों को मार्च के अंत तक या अप्रैल के शुरू में एक और कीमत वृद्घि (6-7 प्रतिशत) की उम्मीद है। वहीं वितरकों को मौजूदा स्थिति इस साल मई/जून तक बनी रहने की संभावना है।
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