वैश्विक कॉरपोरेट विमर्श में जलवायु के बढ़ते खयाल का फायदा उठाने के लिए भारतीय रेलवे एक रेटिंग प्रणाली ला रहा है। इसमें उन कंपनियों को 'रेल ग्रीन पॉइंट' (आरपीजी) दिए जाएंगे, जो माल ढुलाई के लिए सड़क परिवहन के बजाय रेलवे को चुनती हैं। सड़क परिवहन में चार गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है। रेल मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, 'माल ढुलाई कराने वालों को पता होना चाहिए कि उन्होंने सड़क के बजाय रेल परिवहन का विकल्प चुनकर कितना कार्बन उत्सर्जन बचाया है। कार्बन बचत का अनुमान प्रति टन कार्बन डाई ऑक्साइड में लगाया जाएगा और ग्राहकों को रेल ग्रीन पॉइंट मुहैया कराए जाएंगे। प्रत्येक माल ढुलाई ग्राहक का रेल ग्रीन पॉइंट खाता माल ढुलाई परिचालन सूचना प्रणाली (एफओआईएस) में रखा जाएगा।' हालांकि भारतीय रेलवे इन ग्रीन पॉइंटों के बदले में किसी तरह का वित्तीय लाभ नहीं देगा मगर उसे उम्मीद है कि वह 'कंपनियों' को 'अच्छा महसूस' करने के लिए सड़क परिवहन से दूरी बनाने के लिए मनाने में सफल रहेगा। अधिकारी ने कहा कि कंपनियां शायद ये रेटिंग अपने संवाद और सालाना रिपोर्ट में दिखाएं। द एनर्जी ऐंड रिसोर्स इंस्टीट््यूट (टेरी) को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कैलकुलेटर विकसित एवं संशोधित करने की जिम्मेदारी दी गई है। मौजूदा स्तरों की बात करें तो सड़क परिवहन से 1 टन माल 1 किलोमीटर तक ढोने में 0.040 किलोग्राम तक कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है। इसके उलट रेलवे केवल 0.009 किलो यानी उसका 23 फीसदी ही उत्सर्जन करता है। अधिकारी ने कहा कि यह अंतर या रेलवे को चुनने से कार्बन बचत आरजीपी के रूप में दिए जाएंगे। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है, जब भारतीय रेलवे देश भर में कुल माल ढुलाई में अपनी हिस्ेसदारी बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) के तहत रेलवे ने देश की कुल माल ढुलाई में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 45 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया है, जो इस समय 26 से 27 फीसदी है। कंपनियों को सड़क परिवहन के बजाय रेल सेवाएं लेने के लिए लुभाने का प्रयास ऐसे समय किया जा रहा है, जब रेलवे अपने माल ढुलाई बास्केट में विविधता लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस समय भारतीय रेलवे के माल ढुलाई बास्केट में कोयले और लौह अयस्क का दबदबा है, जिनका कुल माल ढुलाई में संयुक्त रूप से 60 फीसदी से अधिक हिस्सा है। रेलवे ने फरवरी तक 127.8 करोड़ टन माल की ढुलाई की है और इसे चालू वित्त वर्ष में 140 करोड़ टन का स्तर पार करने का पूरा भरोसा है। विश्व बैंक के मुताबिक भारत में 60 फीसदी माल की ढुलाई सड़कों से होती है।
