कांग्रेस के कई नेताओं ने गांधी परिवार के संदर्भ में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की टिप्पणी को लेकर मंगलवार को उन पर प्रहार करते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भाषा बोल रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता सिब्बल ने अंग्रेजी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' को दिए साक्षात्कार में कहा है कि गांधी परिवार को कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से अलग होना चाहिए और किसी अन्य को मौका देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह 'घर की कांग्रेस' नहीं, बल्कि 'सबकी कांग्रेस' चाहते हैं। लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, 'आरएसएस और भाजपा क्यों चाहते हैं कि नेहरू-गांधी नेतृत्व से अलग हो? क्योंकि गांधी परिवार के नेतृत्व के बिना कांग्रेस, जनता पार्टी बन जाएगी। इस तरह से कांग्रेस को खत्म करना आसान होगा और फिर से आइडिया ऑफ इंडिया (भारत के विचार) को खत्म करना आसान होगा। कपिल सिब्बल यह जानते हैं, लेकिन वह आरएसएस/भाजपा की भाषा क्यों बोल रहे हैं?' कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सिब्बल पर प्रहार करते हुए कहा कि ऐसे नेताओं को पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ रोजाना बयानबाजी करने के बजाय अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩा चाहिए। हार के बाद अध्यक्षों से इस्तीफा मांगा हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए पांचों चुनावी राज्यों के पार्टी अध्यक्षों से इस्तीफा देने को कहा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस निर्देश के कुछ देर बाद ही उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने अपने त्यागपत्र की घोषणा की। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, गोवा इकाई के अध्यक्ष गिरीश चोडानकर और मणिपुर इकाई के अध्यक्ष एन लोकेन सिंह से इस्तीफा देने को कहा गया है। सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की प्रदेश इकाइयों के अध्यक्षों को इस्तीफा देने के लिए कहा है ताकि प्रदेश कांग्रेस कमेटियों का पुनर्गठन किया जा सके।'
