सूक्ष्म ऋणों पर ब्याज सीमा हटाई | सुब्रत पांडा / मुंबई March 14, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूक्ष्म ऋणों के लिए पात्रता हेतृु सालाना आय की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी है। नियामक ने ऐसे ऋणों पर ब्याज दर की बंदिश भी हटा दी है और सभी ऋणदाताओं से ब्याज दर तय करने के लिए बोर्ड से मंजूर नीति लागू करने को कहा है।
आरबीआई ने सूक्ष्म वित्त संस्थानों से मिलने वाले ऋणों पर आज जारी अंतिम दिशानिर्देशों में कहा कि वह ऋणदाताओं द्वारा तय ब्याज दरें देखेगा ताकि वे कर्जदाताओं से बहुत अधिक ब्याज नहीं वसूलें। इसने ऋणदाताओं से ऋणों की ब्याज दरों और संबधित शुल्क की भी सीमा तय करने को कहा है। बैंकिंग नियामक ने कहा कि आरबीआई द्वारा विनियमित सूक्ष्म वित्त संस्थान कर्ज मांगने वाले को मानक सरल सूचना पत्र के जरिये दर के बारे में बताएंगे। कर्जदार से ऐसी कोई राशि नहीं वसूल की जा सकती है, जिसका सूचना पत्र में स्पष्ट उल्लेेख नहीं किया गया है। नियामक ने सूक्ष्म वित्त ऋणदाताओं से कहा है कि वे अपने सभी कार्यालयों, जारी पुस्तिकाओं और अपनी वेबसाइट पर सूक्ष्म वित्त ऋणों पर वसूली गई अधिकतम, न्यूनतम और औसत ब्याज दरें प्र्रदर्शित करें।
नियामक ने ऋण सीमा बढ़ाकर सूक्ष्म वित्त ऋणों की परिभाषा भी संशोधित कर दी है। तीन लाख रुपये तक की सालाना आय वाले किसी परिवार को बिना गिरवी दिया गया कर्ज अब सूक्ष्म ऋण माना जाएगा। इस समय सूक्ष्म वित्त कर्जदार की परिभाषा में ग्रामीण क्षेत्रों में 1.25 लाख रुपये तक और शहरी तथा कस्बाई क्षेत्रों में 2 लाख रुपये तक की आमदनी वाले परिवार आते हैं।
आरबीआई ने कहा, 'निम्न आय परिवारों यानी 3 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवारों को मुहैया कराए जाने वाले सभी गिरवी रहित ऋणों को सूक्ष्म वित्त ऋण माना जाएगा, भले ही उनके उपयोग और आवदेन या प्रोसेसिंग या वितरण का तरीका कुछ भी हो।' आरबीआई ने यह भी कहा कि सूक्ष्म वित्त ऋणों की गिरवी मुक्त प्रकृति सुनिश्चित करने के लिए इन ऋणों को कर्जदार के जमा खाते पर कब्जे से नहीं जोड़ा जाए। एमएफआईएन के सीईओ और निदेशक आलोक मिश्रा ने कहा, 'यह ढांचा जरूरत से अधिक कर्ज लेने या बहुत से कर्ज लेने की समस्या को भी हल करेगा, जो इस क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चिंता थे।' मिश्रा ने कहा, 'इससे भी अहम यह है कि आरबीआई ने उन दिक्कतों को लेकर उचित नजरिया अपनाया है, जो ऋण मुहैया कराने में आती है।'
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