डॉक्टर से श्रमिक नेता बने दत्ता सामंत के नेतृत्व में 1980 के दशक के आरंभ में कपड़ा हड़ताल ने मुंबई के औद्योगिक परिदृश्य की तस्वीर बदल थी। इस हड़ताल में विभिन्न मिलों और लाखों श्रमिकों ने भाग लिया था। महाराष्ट्र सरकार की ओर से हाल में जारी आर्थिक समीक्षा के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में हड़ताल और तालाबंदी की घटनाओं में उन दिनों की तुलना में 95 फीसदी की कमी आई है। सरकारी आंकड़े 1981 से उपलब्ध हैं। 1981 में महाराष्ट्र में कुल 636 हड़तालें और तालाबंदी की घटनाएं हुई थी। 2021 में यह संख्या घटकर 29 रह गई है। इसी तरह से हड़तालों में शामिल होने वाले श्रमिकों की संख्या में भी गिरावट आई है। ऐसा नहीं है कि केवल महाराष्ट्र में ही श्रमिक आंदालनों में कमी आई है बल्कि राष्ट्रीय आंकड़ों से पता चलता है कि विगत दस वर्षों से इसमें लगातार कमी देखी जा रही है। बाद के वर्षों के आंकड़े अनंतिम हैं लेकिन वृहद रुझान से पता चलता है कि 2011 से इसमें अच्छी खासी कमी आई है। यदि अन्य औद्योगिक राज्यों को रुख करें तो वहां पर भी समान ढर्रा नजर आता है। तमिलनाडु में 2000 में 135 हड़ताल और तालाबंदी की घटनाएं हुई थीं। इनमें 49,437 श्रमिकों ने भाग लिया था। 2019 में ऐसी घटनाओं की संख्या महज 15 रह गई। हड़ताल में शामिल होने वाले कुल श्रमिकों की संख्या भी 90 फीसदी कम होकर 4,589 रह गई। गुजरात की संख्याओं का विश्लेषण 2018 से किया गया था। यह रुझान थोड़ा कम स्पष्ट है। शायद ऐसा इसलिए है कि वहां विवादों की संख्या बहुत कम हैं। 2018 में केवल 13 विवाद हुए थे जो 2019 में घटकर 9 रह गई और 2020 में बढ़कर 18 हो गई। अक्टूबर, 2021 तक वर्ष 2021 के लिए विवादों की संख्या 8 थी। इनमें शामिल होने वाले श्रमिकों की कुल संख्या 2,000 से 5,300 के बीच थी। यह स्थिति इसके बावजूद है कि राज्य में फैक्टरियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। 2020 के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 2018 में फैक्टरियों की संख्या 34,081 थी जो बढ़कर 36,726 हो गई। अधिक संख्या में फैक्टरियां खुल रही हैं और अधिक लोग काम कर रहे हैं। गुजरात राज्य सामाजिक-आर्थिक समीक्षा, 2021-22 में कहा गया है, 'औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य निदेशालय के मुताबिक राज्य में फैक्ट्री अधिनियम-1948 के तहत पंजीकृत चालू फैक्टरियों की संख्या 2019 के 35,338 से बढ़कर 2020(अनंतिम) में 36,726 हो गई। चालू फैक्टरियों औसत रोजाना रोजगार भी 2019 के 18.3 लाख से बढ़कर 2020(अनंतिम) में 18.9 लाख हो गई।' महामारी वर्ष के दौरान महाराष्ट्र के ताजे आंकड़े और भी कम है। उस वर्ष लंबे समय के लिए देश में पूरी तरह से लॉकडाउन लगा हुआ था। महाराष्ट्र की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, '2021 में 29 बार काम बंदी यानी कि हड़ताल और तालाबंदी की स्थिति रही जिसमें 6,799 कर्मचारी प्रभावित हुए थे जबकि उससे पिछले वर्ष 23 बार काम बंदी हुई जिसमें 6,434 कर्मचारी प्रभावित हुए थे। 2021 में काम बंदी के कारण 18.2 लाख मानव दिवसों का नुकसान हुआ जबकि 2020 में 19.3 लाख मानव दिवसों का नुकसान हुआ था।' 1981 में कुल फैक्टरियों की संख्या 16,594 थी जिनमें 12 लाख लोगों को रोजगार मिला था। 2021 में यह संख्या बढ़कर 36,848 हो गई जिनमें 29 लाख लोग नौकरी कर रहे थे।
