रियल्टी आईपीओ पर झुनझुनवाला से सहमत निवेश बैंकर | राघवेंद्र कामत / मुंबई March 13, 2022 | | | | |
आईपीओ बाजार मेंं उतरने के लिए कई प्रॉपर्टी डेवलपर कतार में है, लेकिन शेयर बाजार के अग्रणी िनवेशक व निवेशक बैंकर प्रॉपर्टी डेवलपर की तरफ से उनके कारोबारोंं को सूचीबद्ध कराने को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहींं हैं। हाल में मुंबई की प्रॉपर्टी डेवलपर सूरज एस्टेट डेवलपर्स ने आईपीओ के जरिए 500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए आवेदन किया है। पुराणिक बिल्डर्स को पहले ही सेबी से आईपीओ की मंजूरी मिल चुकी है। माना जा रहा है कि एनसीआर की अफोर्डेबल हाउसिंग डेवलपर सिग्नेचर ग्लोबल और मुंबई की कल्पतरू आईपीओ पर विचार कर रही है।
अग्रणी निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने हाल में सीआईआई के कार्यक्रम में कहा था कि सभी प्रॉपर्टी डेवलपर को सूचीबद्ध होने चाहिए और उन्हें सूचीबद्ध कराना चाहिए जिनके पास विस्तार करने और सामान्य तौर पर लाभप्रदता की राह पर चलने की क्षमता हो। उन्होंने कहा, अगर मैं डेवलपर होता तो मैं बाजार में सूचीबद्ध नहीं कराता। यह ऐसा कारोबार नहीं है जो सूचीबद्धता के लिए अतिसंवेदनशील है।
अरबपति निवेशक ने सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों की पूंजी पर कम रिटर्न को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, एक उद्यमी को तौर पर सवाल उठता है कि पूंजी पर रिटर्न कहां है? ब्लूचिप का पूंजी पर रिटर्न 18 से 25 फीसदी के बीच है। ऐसे में हमें रिटर्न में इजाफे के लिए कदम उठाना होगा। अभी तक रियल एस्टेट कंपनियोंं का नकदी प्रवाह नकारात्मक जैसा ही है।
बात में है दम
बेंगलूरु की शोभा व प्रेस्टीज एस्टेट्स को छोड़कर बीएसई रियल्टी इंडेक्स में शामिल सभी कंपनियों ने वित्त वर्ष 21 में पूंजी पर एक अंक में रिटर्न दिया है। यह जानकारी कैपिटालाइन के आंकड़ों से मिली।
इसी कार्यक्रम में ऐक्सिस कैपिटल के प्रबंध निदेशक नितिन इदानी ने कहा, आईपीओ हर किसी के लिए नहींं है। निवेशक कई चीजें मसलन नकदी, कॉरपोरेट गवर्नेंस आदि देखना चाहते हैं। छोटे पैमाने पर कारोबार चलाने वाली कंपनियों को हमेशा ही बड़ी कंपनियों के मुकाबले रकम जुटाने में चुनौती का सामना करना पड़ता है।
झुनझुनवाला के विचार से बैंकर सहमत नजर आ रहे हैं। एक निवेश बैंकर ने कहा, रेजिडेंशियल बिजनेस मॉडल को लेकर पूंजी बाजारों में बहुत ज्यादा रुचि नहींं है। विगत में इनकी सूचीबद्धता का इतिहास विचित्र रहा है। इसमेंं कफी परिसंपत्ति का क्षरण हो चुका है। बैंकर ने कहा कि विरासत के मसले, लैंड बैंक और भारी-भरकम बैलेंस शीट के अलावा काफी ज्यादा उधारी के कारण डेवलपर्स का रिटर्न काफी कम होता है। उन्होंने कहा कि नई कंपनियों के साथ ऐसे मसले नहींं हैं।
उदाहरण के लिए डीएलएफ और प्रेस्टीज जैसी कंपनियों ने कर्ज घटाने और बैलेंस शीट को बेहतर बनाने के लिए लैंड बैंक व वाणिज्यिक पोर्टफोलियो की बिक्री की।
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