ब्लैकस्टोन, केकेआर ऐंड कंपनी और ब्रूकफील्ड ऐसेट मैनेजमेंट समेत दुनिया की कुछ सबसे बड़ी वित्तीय कंपनियों ने रिलायंस कैपिटल एवं उसकी परिसंपत्तियों के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) सौंपे हैं। पीरामल, अदाणी और पूनावाला समूहों की वित्तीय इकाइयों ने भी अपने अभिरुचि पत्र भेजे हैं। इस घटनाक्रम से जुड़े एक व्यक्ति के मुताबिक निप्पॉन लाइफ, जेसी फ्लावर्स, ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट, अपोलो ग्लोबल, आर्पवूड कैपिटल, वर्डे पार्टनर्स, मल्टीपल्स एल्टरनेट एसेट मैनेजमेंट और हीरो फिनकॉर्प भी दौड़ में शामिल हो गई हैं। पीरामल समूह पहले ही दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (डएचएफएल) की दौड़ ओकट्री और अदाणी समूह को पछाड़कर जीत चुका है। रिलायंस कैपिटल उन तीन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में से एक है, जो दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस की समाधान योजना प्रक्रियाधीन है। रिलायंस कैपिटल के प्रशासक ने ईओआई जमा कराने की अंतिम तिथि 11 मार्च से बढ़ाकर 25 मार्च की थी क्योंकि कुछ संभावित बोलीदाताओं ने ईओआई जमा कराने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। इसमें छांटी जाने वाली कंपनियों को 5 मई तक वित्तीय बोलियां जमा कराने को कहा जाएगा। अभिरुचि पत्र जमा करने के बाद संभावित खरीदारों को डेटा कक्ष तक पहुंच मिल जाएगी। इससे उन्हें वित्तीय बोलियां जमा कराने के लिए अतिरिक्त सूचनाएं उपलब्ध हो जाएंगी। प्रशासक ने आठ क्लस्टरों या पूरी कंपनी के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित किए थे। अभिरुचि पत्र जमा कराने वाले ज्यादातर बोलीदाताओं ने पूरी कंपनी के लिए बोली लगाई है। प्रबंधक ने लाभ में चल रही दो कंपनियों- रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस समेत रिलांयस कैपिटल की बहुत सी सहायक कंपनियों की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। जीवन बीमा उपक्रम में जापान की निप्पॉन लाइफ के अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 49 फीसदी से बढ़ाने के आसार हैं। बीमा उद्यमों के अलावा रिलायंस सिक्योरिटीज, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, रिलायंस होम फाइनैंस और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनैंस की बिक्री की पेशकश की गई है। पहले भारतीय ऋणदाताओं ने रिलायंस होम फाइनैंस (आरएचएफएल) और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनैंस को मुंबई की वित्तीय कंपनी ऑथम इन्वेस्टमेंट को बेच दिया था, लेकिन आरबीआई ने इस सौदे को मंजूरी नहीं दी। इसके बाद प्रबंधक ने दोनों कंपनियों को नीलामी के लिए दिवालिया प्रक्रिया में शामिल कर दिया। ऑथम की योजना के मुताबिक ऋणदाताओं को अपने 12,000 करोड़ रुपये कर्ज के बदले 2,887 करोड़ रुपये और आरएचएफएल के खातों में मौजूद 1,800 करोड़ रुपये की नकदी मिलनी थी। उन्हें रिलायंस कॉमर्शियल के लिए 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले 1,600 करोड़ रुपये की पेशकश की गई। रिजर्व बैंक ने पिछले साल नवंबर में रिलांयस कैपिटल के बोर्ड को हटाकर खुद बोर्ड गठित किया था। आरबीआई ने कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए नागेश्वर राव को प्रशासक नियुक्त किया था।
