इक्विटी फंडों में निवेश फरवरी में तेजी से बढ़ा, लेकिन एसआईपी के जरिए इसमें योगदान स्थिर बना रहा और नए एसआईपी खाते खुलने की रफ्तार धीमी रही। उद्योग निकाय एम्फी के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी में करीब 23.4 लाख नए एसआईपी खाते खुले जबकि जनवरी में 26.5 लाख नए खाते खुले थे। एसआईपी के जरिए निवेश हालांकि फरवरी में मामूली घटकर 11,438 करोड़ रुपये रहा, जो जनवरी में 11,517 करोड़ रुपये रहा था। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि इसकी वजह भारतीय बाजारों में हुआ काफी उतारचढ़ाव रही। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कुल मिलाकर वैश्विक स्तर पर बाजार कमजोर नजर आ रहे थे क्योंकि यूक्रेन को लेकर भूराजनीतिक संकट था और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में लगातार बिकवाली कर रहे थे। निवेशक बाहर इंतजार कर रहे होंगे और उम्मीद है कि बाजारों में सामान्य स्थिति बहाल होने पर वे प्रवेश करेंगे। मौजूदा वित्त वर्ष में कुल नए एसआईपी खाते 2.45 करोड़ रहे हैं, वहीं एसआईपी खाता जारी न रहने वाले या जिनकी अवधि पूरी हो गई है उनकी संख्या 1.06 करोड़ रही। एसआईपी की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां फरवरी में 5.49 लाख करोड़ रुपये रही, जो जनवरी में 5.76 लाख करोड़ रुपये रही थी। एसआईपी के जरिए निवेश में गिरावट और नए खाते में कमी के बावजूद इक्विटी फंडों में फरवरी के दौरान 19,705 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय इक्विटी बाजारों में फरवरी के दौरान काफी गिराव देखने को मिली, जो एसआईपी के लिए अच्छा नहींं रहा। एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के मुख्य कार्याधिकारी विकास एम सचदेवा ने कहा, वैश्विक स्तर पर भूराजनीतिक संकट के बावजूद स्थिर एसआईपी निवेश और पैसिव निवेश का विकल्प बताता है कि परिसंपत्ति आवंटन के मामले में बड़ा सेगमेंट अभी भी बना हुआ है। यह एफपीआई की निकासी का प्रभावी प्रत्युत्तर देने के तौर पर काम करता रहेगा और यह बाजारों को पहले के मुकाबले ज्यादा स्थिरता लाने में भी मदद कर रहा है।
