येस बैंक की नजर लंबी अवधि की वृद्धि पर | अभिजित लेले / मुंबई March 06, 2022 | | | | |
निजी क्षेत्र के ऋणदाता येस बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बचाव पैकेज के बाद पुनर्गठित कंपनी के तौर पर इस महीने दो साल पूरे कर लिए। बैंक अब अपना अस्तित्व बचाने और स्थिरता सुनिश्चित करने में सफल रही है जिसकी झलक उसकी वृद्धि और ग्राहकों के विश्वास में मिलती है। इसलिए बैंक के लिए आगे की राह सुनिश्चित करने और अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करने के लिए यह बिल्कुल उपयुक्त समय है।
पहला साल चुनौतियों से जूझने, परिचालन को सुचारु करने और स्थिरता सुनिश्चित करने में गुजर गया। इसमें उसे भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वाणिज्यिक बैंकों के एक कंसोर्टियम से 10,000 करोड़ रुपये के इक्विटी पूंजी निवेश का सहारा मिला।
विशेष परिचालन के लिए एसबीआई से लाए गए प्रशांत कुमार को मार्च 2020 के आरंभ में इस संकटग्रस्त बैंक का प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त किया था। वह देश के सबसे बड़े ऋणदाता में मुख्य वित्तीय अधिकारी के पद पर कार्यरत थे और एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार के काफी करीबी थे।
कुमार का कहना है कि उन्हें इस बैंक को पुनर्जीवित करने का कार्य दिया गया जो बंद होने के कगार पर पहुंच गया था। अब इस बैंक का न केवल पुनरुद्धार हो चुका है बल्कि वह वृद्धि की राह पर अग्रसर है। बैंक ने नकदी संकट जैसी चुनौतियों का डटकर सामना किया और उससे उबरने के लिए रकम भी जुटाई। पुनर्गठन के महज चार महीने के भीतर जुलाई 2020 में बैंक ने एफपीओ के जरिये 15,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
ग्राहकों के विश्वास की सबसे महत्त्वपूर्ण बात जमाकर्ताओं सहित ग्राहकों का भरोसार बरकरार रहना है। हर महीने बैंक 1 लाख नए ग्राहक जोड़ रहा है जो चालू अथवा बचत खाता खुलवा रहे हैं।
बैंक को अपना अस्तित्व बचाने में करीब वित्त वर्ष 2021 का अधिकांश समय लग गया। पिछले 12 महीनों के दौरान बैंक ने वृद्धि एवं प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर लंबी अवधि के लिहाज से काम किया है। वृद्धि के लिहाज से नया वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2023) बैंक के लिए काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि उसकी नजर ताजा रकम जुटाने और परिसंपत्ति गुणवत्ता को बेहतर करने पर है। मार्च 2020 के बाद उसेन तीसरे वित्त पोषण दौर के तहत रकम जुटाई है और वह अपने डूबते ऋण को परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को हस्तांतरित कर रही है।
बैंक की नजर संस्थागत निवेशकों को शेयर बेचकर 10,000 करोड़ रुपये तक पूंजी जुटाने पर है। दिसंबर तक येस बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 17.7 फीसदी था। बैंक मार्च तक 50,000 करोड़ रुपये के एनपीए को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पूरी करना चाहता है। दिसंबर 2021 में उसका सकल एनपीए घटकर 14.7 फीसदी रह गया जो दिसंबर 2020 में 15.4 फीसदी और सितंबर 2021 में 15 फीसदी रहा था।
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