80डी में गुंजाइश बाकी तो स्वास्थ्य जांच से बचाएं कर | बिंदिशा सारंग / March 06, 2022 | | | | |
वित्त वर्ष का अंत होने जा रहा है और कर बचत के कागजात जमा करने का वक्त आ गया है। हो सकता है कि आपके दफ्तर में भी ये कागजात मांग लिए गए हों। हममें से ज्यादातर करदाताओं को कर बचाने वाली निवेश योजनाओं के बारे में अच्छी तरह मालूम होता है और यह भी पता होता है कि कहां कितना निवेश कर हम कितना कर बचा सकते हैं। लेकिन कई लोगों को शायद यह नहीं पता होगा कि स्वास्थ्य जांच भी हमें कर कटौती से कुछ राहत दिला सकती है। यदि आपने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान अपनी सेहत की जांच कराई है तो उस पर हुए खर्च के एवज में आप कर से राहत मांग सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम
सेहत और कर की बात करें तो सबसे पहले स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम याद आता है। आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर बचाने के लिए यह सबसे लोकप्रिय तरीका है। व्यक्तिगत करदाता और अविभाजित हिंदू परिवार स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम के बदले कर से छूट का दावा कर सकते हैं। अपने लिए खरीदे गए स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम को तो कर छूट के लिए सामने रख ही सकते हैं, अपने जीवनसाथी और आप पर आश्रित बच्चों तथा माता-पिता की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम भी कर छूट के दावे में इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं, टॉप-अप स्वास्थ्य बीमा और गंभीर बीमारियों के लिए खरीदे गए बीमा के लिए चुकाया गया प्रीमियम भी कर छूट के दावे में गिनाया जा सकता है। सामान्य करदाता किसी भी वित्त वर्ष के दौरान स्वास्थ्य बीमा पर 25,000 रुपये तक के प्रीमियम का दावा कर छूट के लिए कर सकता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम की राशि 50,000 रुपये रखी गई है।
एहतियातन स्वास्थ्य जांच
स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम को तो सभी जानते हैं मगर कर छूट के लिए कुछ और रास्ते भी हैं, जिनका पता कम लोगों को है। एहतियातन स्वास्थ्य जांच या प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप उन्हीं में से एक है। वित्त वर्ष के दौरान एहतियात के तौर पर कराई गई स्वास्थ्य जांच पर हुए खर्च के बदले आपको आयकर में राहत मिल सकती है। यदि आप सेहत की जांच करा चुके हैं या 31 मार्च से पहले जांच कराने का आपका कार्यक्रम पक्का है तो आपको इस कर छूट का लाभ मिल सकता है। मिगलानी वर्मा ऐंड कंपनी - एडवोकेट्स, सॉलिसिटर्स ऐंड कंसल्टेंट्स में मैनेजिंग पार्टन प्रत्यूष मिगलानी समझाते हैं, 'प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर आपको कर में राहत तो मिल सकती है मगर इसके जरिये आप कर योग्य आय में ज्यादा से ज्यादा 5,000 रुपये की कमी ला सकते हैं। हालांकि यह कटौती भी धारा 80डी के तहत मिलने वाली 25,000 रुपये की कटौती सीमा में ही शामिल है। 80डी में स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च भी शामिल होता है। इसका मतलब है कि अगर आपका स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 25,000 रुपये है तो आपको प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप के जरिये कर राहत नहीं मिल सकती।'
कैसे होगा काम
इसका फायदा तब मिलता है, जब आपके स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम 25,000 रुपये से कम होता है। मान लीजिए कि प्रीमियम धारा 80डी के तहत मिलने वाली 25,000 रुपये की राहत से कम है तो बची हुई राहत हासिल करने के लिए आप प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर खर्च हुई रकम का दावा कर सकते हैं। मान लीजिए कि 40 साल उम्र वाला कोई करदाता हर साल स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम के तौर पर 22,000 रुपये चुकाता है। इसके अलावा वह एहतियातन स्वास्थ्य जांच पर भी 5,000 रुपये खर्च करता है। इस तरह उसका कुल खर्च 27,000 रुपये हो जाता है। मगर उसकी कर योग्य आय में से केवल 25,000 रुपये कम किए जाएंगे यानी कर में छूट के लिए केवल 25,000 रुपये की गिनती की जाएगी। प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप के एवज में कर छूट पाने के लिए आपके पास स्वास्थ्य बीमा होना जरूरी नहीं है। स्वास्थ्य बीमा कराना अच्छी बात है मगर आपने यह बीमा नहीं कराया है तो भी आप स्वास्थ्य जांच के बदलने कर छूट का दावा कर सकते हैं। इस राहत के लिए आपको जांच का खर्च क्रेडिट कार्ड या चेक से चुकाने की भी जरूरत नहीं है। आपने यदि भुगतान नकद किया है तो भी आप इस राहत का दावा कर सकते हैं। मगर अपने चिकित्सा बिल और डॉक्टर का पर्चा संभालकर रखें ताकि आयकर विभाग आपसे सबूत मांगे तो फौरन पेश कर सकें। आपके कर स्लैब के हिसाब से आपको प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप के बदले 1,500 रुपये तक की कर छूट मिल सकती है। क्लियरटैक्स के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी अर्चित गुप्ता कहते हैं, 'यह प्रावधान आम तौर पर कम उम्र के करदाताओं के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि उनका स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम धारा 80डी की सीमा से कम ही होता है।'
धारा 80डीडीबी में छूट
किसी खास बीमारी के इलाज के बदले आयकर अधिनियम की धारा 80डीडीबी के तहत कर में छूट पाई जा सकती है। 60 साल से कम उम्र के करदाता के लिए इस धारा के तहत कर योग्य आय में कटौती की सीमा 40,000 रुपये है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 1 लाख रुपये है। ख्याल रहे कि यह कटौती केवल खास बीमारियों के लिए ही मिलती है, जिनका जिक्र आयकर अधिनियम के नियम 11डीडी में दिया गया है। इनमें तंत्रिका तंत्र से जुड़ीं बीमारियां, कैंसर, खून और खून बनाने वाले अंगों पर असर डालने वाली बीमारियां, स्मृतिलोप (डिमेंशिया), पार्किसन्स, थैलेसीमिया और कुछ अन्य बीमारियां शामिल हैं।
एनए शाह एसोसिएट्स में पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं, 'यदि करदाता अथवा उसका कोई आश्रित इनमें से किसी बीमारी से पीडि़त है तो वह अपने या आश्रित के इलाज में होने वाले खर्च के बदलने इस धारा के तहत कर कटौती का दावा कर सकता है।'
दावा करने के लिए आपके पास प्रमाणपत्र होना जरूरी है। यह प्रमाणपत्र आपका इलाज करने वाला डॉक्टर ही देगा। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर समीर जैन बताते हैं कि प्रमाणपत्र बनवाते समय किन बातों का ध्यान रखना है। वह कहते हैं, 'प्रमाणपत्र में कुछ विवरण जरूर होना चाहिए मसलन रोगी का नाम, उसकी उम्र, उसकी बीमारी और उस रोगी का इलाज करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर का पूरा ब्योरा। 2015 में हुए संशोधन के बाद इस धारा के तहत कर राहत में दावा करना आसान हो गया है क्योंकि अब केवल प्रमाणपत्र से काम चल जाता है।'
मिगलानी वर्मा ऐंड कंपनी - एडवोकेट्स, सॉलिसिटर्स ऐंड कंसल्टेंट्स में मैनेजिंग पार्टन प्रत्यूष मिगलानी कहते हैं, 'विशेषज्ञ डॉक्टर का चुनाव करते समय भी ध्यान रखें। आयकर विभाग द्वारा निर्दिष्ट विशेषज्ञ ही इस धारा के तहत बीमारी और उसके इलाज का प्रमाणपत्र जारी कर सकते हैं। अगर इलाज सरकारी अस्पताल में कराया जा रहा है, जहां सामान्य चिकित्सा अथवा आंतरिक चिकित्सा में परास्नातक डिग्री वाला कोई पूर्णकालिक डॉक्टर इलाज कर रहा है तो निर्दिष्ट विशेषज्ञ के बजाय वह डॉक्टर भी प्रमाणपत्र जारी कर सकता है।'
|