रूस-यूक्रेन युद्घ से पैदा हुए अनिश्चित परिदृश्य और बाजारों में भारी गिरावट की वजह से आईपीओ बाजार में कमजोरी पैदा हो गई है। इस साल अब तक सिर्फ तीन कंपनियां अपने आईपीओ लाने में सफल रही हैं। तुलनात्मक तौर पर, पिछले साल की समान अवधि के दौरान करीब 10 कंपनियां अपने आईपीओ लाने में कामयाब रही थीं। निवेश बैंकरों का मानना है कि मार्च में एक भी बड़ा आईपीओ लाना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि बड़े संस्थागत निवेशकों ने ज्यादा जोखिम लेने से परहेज किया है और वे फिलहाल पूंजी लगाना नहीं चाहते हैं। इससे आईपीओ लाने का इंतजार कर रहीं दर्जनों कंपनियों की योजनाएं टलती दिख रही हैं। कंपनियों को बढ़ती जिंस कीमतों समेत कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिससे महामारी के बाद वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक राहत उपायों को वापस लिए जाने की वजह से उनके मार्जिन और तरलता पर दबाव पैदा होने की आशंका है। बेहद महत्वपूर्ण यह है कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप में गिरावट का मतलब होगा कि आईपीओ को इच्छुक कंपनियों को अपनी मूल्यांकन संबंधित उम्मीदों में नरमी लानी होगी। निवेश बैंकरों का कहना है कि कई कंपनियां फिलहाल ताजा स्थिति को लेकर इंतजार करो और देखो की रणनीति अपनाना चाहती हैं। सेंट्रम कैपिटल में इक्विटी कैपिटल मार्केट्स के पार्टनर प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, 'बाजार धारणा काफी बदल गई है। हर कोई इंतजार करो और देखो की रणनीति अपना रहा है। वे अवसर पैदा होने की संभावना देख रहे हैं।' निफ्टी मिडकैप-100 अपने ऊंचे स्तरों से 15 प्रतिशत गिरा है, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 17 प्रतिशत की कमजोरी आई है। कुछ खास शेयर और क्षेत्रों (जैसे नए जमाने की टेक कंपनियां) में भारी गिरावट आई है। प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि कंपनियों के लिए आईपीओ जिंदगी में एक बार मिलने वाला अवसर है, और वे ऐसे समय में अपने निर्गम पेश करना नहीं चाहेंगे जब बाजार में अस्थिरता और चिंता व्याप्त हो। हल्दिया ने कहा, 'प्राथमिक बाजार सेकंडरी बाजार पर निर्भर है। कंपनियां यह पंसद कर सकती हैं कि चुनौतीपूर्ण हालात में सेबी उनके आईपीओ लाने को मंजूरी दे।' वर्ष 2021 में, आईपीओ के जरिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई गई थी। कई विश्लेषक अनुमान जता रहे थे कि इस साल एलआईसी के आईपीओ के जरिये 2021 का आंकड़ा पार हो सकता है। हालांकि इसकी संभावना अब कम दिख रही है। बाजार स्थिति बदतर होने से पहले कंपनियां अपने निर्गमों के लिए एलआईसी आईपीओ का इंतजार कर रही थीं। बीमा दिग्गज का 65,000 करोड़ रुपये का आईपीओ पहले मार्च के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित था। हालांकि मौजूदा बाजार हालात से अब एलआईसी के आईपीओ पर सवाल पैदा हो गए हैं। श्रीवास्तव ने कहा, 'विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाली कर रहे हैं। इसलिए तरलता सीमित हो रही है। ब्याज दरों में इजाफा हो रहा है। जब एलआईसी का आईपीओ आएगा, उससे पहले या बाद में, कम से कम एक सप्ताह तक कोई अन्य निर्गम नहीं आएगा।' उद्योग के जानकारों का कहना है कि अच्छी गुणवत्ता के आईपीओ यदि अच्छे मूल्यांकन पर आते हैं तो इनके लिए बढिय़ा मांग पैदा हो सकती है। हल्दिया ने कहा, 'पिछले 18 महीनों में, हमने देखा कि बड़े निर्गमों का तरलता पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। छोटे और घरेलू संस्थागत निवेशकों से पूंजी प्रवाह आश्चर्यजनक है। हमने छोटे और घरेलू संस्थागत खंड से अधिक अभिदान देखा है। निवेश के लिए बड़ी पूंजी का इंतजार रहेगा। सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि निर्गम की कीमत आकर्षक होनी चाहिए।' अन्य चिंताजनक कारक गैर-सूचीबद्घ खंड में गिरावट है। बाजार कारोबारियों के अनुसार, गैर-सूचीबद्घ बाजार में कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयरों में हाल के सप्ताहों में 20 से 40 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है। निवेश बैंकरों का कहना है कि कुछ कंपनियां मूल्यांकन में कमी लाने को इच्छुक दिख रही हैं। श्रीवास्तव का कहना है, 'मूल्यांकन उचित होगा और फिर भी स्थिति चुनौतीपूर्ण होगी। आपके द्वारा अपना आईपीओ घोषित किए जाने उसकी वास्तव में पेशकश किए जाने के समय के बीच 5-10 दिन का अंतर होता है। बाजार में बड़ा बदलाव आ सकता है। भले ही कोई कंपनी मूल्यांकन में 20-30 प्रतिशत तक की कमी ला सकती हो, लेकिन फिर भी इसकी गारंटी नहीं है कि निर्गम आवश्यक आएगा, क्योंकि वे इसे लेकर कुछ स्पष्टता चाहते हैं कि क्या निर्गम आएगा या नहीं।'
