लघु वित्त बैंक सूचीबद्धता अवधि में चाहें बढ़ोतरी | रघु मोहन / मुंबई March 06, 2022 | | | | |
लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) ने कुछ वित्तीय मानक पूरे करने के बाद अपनी सूचीबद्धता के लिए समयावधि मौजूदा 6 साल से बढ़ाकर 8 साल करने की मांग की है। इन बैंकों ने अपने आग्रह के समर्थन में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंतरिक कार्यसमूह की 'स्वीकृत सिफारिशों 31 और 27' का हवाला दिया है। आरबीआई ने पिछले साल 25 नवंबर को कहा था कि उसने आंतरिक कार्यसमूह की 33 सिफरिशों में से 21 स्वीकार कर ली हैं।
अगर केंद्रीय बैंक तत्काल सिफारिश 31 और 27 के लिए परिपत्र जारी कर दे तो जन स्मॉल फाइनैंस बैक, उत्कर्ष एसएफबी, फिनकेयर एसएफबी और ईएसएएफ एसएफबी जैसी आरंभिक पूंजी जुटाने जा रही कंपनियों को फायदा होगा। वजह यह है कि आरबीआई ने यह भी कहा है, 'इस अवधि में सभी भागीदारों पर ये फैसले लागू होंगे।'
एसएफबी के सूत्रों का कहना है कि परिपत्र के बिना उन्हें नहीं पता कि वे इस पर क्या करें।
आंतरिक कार्यदल की सिफारिश 31 (निजी बैंकों के स्वामित्व एवं कॉरपोरेट ढांचे पर बाह्य दिशानिर्देश) में कहा गया है, 'जब एक नया लाइसेंस दिशानिर्देश जारी किया जाता है और अगर नए नियम ज्यादा उदार हैं तो इनका लाभ मौजूदा बैंकों को तत्काल दिया जाना चाहिए। अगर नए नियम ज्यादा कड़े हैं तो पुराने बैंकों को नए कड़े नियमनों का भी पालन करना चाहिए। लेकिन बदलाव का रास्ता प्रभावित बैंकों के साथ विचार-विमर्श कर तय किया जा सकता है ताकि बिना किसी अड़चन के नए नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।'
सिफारिश 27 (भिवष्य में स्थापित होने वाले एसएफबी) में कहा गया है, 'ऐसे बैंकों को यूनिर्वसल बैंकों के लिए निर्धारित प्रवेश पूंजी आवश्यकता के समान नेटवर्थ पर पहुंचने की तारीख के छह महीने के भीतर या परिचालन शुरू करने की तारीख के 10 साल बाद (इनमें से जो भी पहले हो) सूचीबद्ध होना चाहिए।'
आरबीआई ने सिफारिश 27 को स्वीकार करते हुए एक संशोधन किया था, 'ऐसे बैंकों को परिचालन शुरू होने की तारीख से 8 साल के भीतर सूचीबद्ध होना चाहिए।' इन बैंकों की अनिवार्य सूचीबद्धता के लिए आठ साल की सीमा पर आरबीआई ने तर्क दिया, 'यह सूचीबद्धता की अहमियत को मद्देनजर रखते हुए और इन बैंकों को स्थिरता, परिचालन सुदृढ़ता और निवेशकों का भरोसा हासिल करने के लिए पर्याप्त समय मुहैया कराने के लिए तय की गई है।' एसएफबी इस वजह से असहज हैं क्योंकि मौजूदा एसएफबी को 2016 में नोटबंदी के प्रभावों और इसके बाद महामारी की मार झेलनी पड़ी है।
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